By अंकित सिंह | Jan 21, 2022
इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति में जलने वाली मशाल की लौ अब दिखाई नहीं देगी। बलिदान की इस लौ को नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्योति के साथ विलय कर दिया गया है। एयर मार्शल बलभद्र राधाकृष्ण की अध्यक्षता में यह समारोह संपन्न हुआ। 1971 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय वार मेमोरियल में विलय किया गया है। इंडिया गेट के अमर जवान ज्योति से नेशनल वॉर मेमोरियल में जल रही लौ की दूरी 400 मीटर थी जिसे अब मिला दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी, 2019 को नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया था, जहां ग्रेनाइट के पत्थरों पर 25,942 सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि अजीब बात है कि अमर जवान ज्योति पर 1971 व अन्य युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है, लेकिन उनमें से किसी का भी नाम वहां नहीं है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि इंडिया गेट पर केवल कुछ शहीदों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो अफगान युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ाई लड़ी थी और इस तरह यह हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है। पूर्व सैनिकों ने यहां इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय समर स्मारक पर जल रही लौ के साथ विलय किए जाने के केंद्र के निर्णय पर शुक्रवार को मिली-जुली प्रतिक्रिया व्यक्ति की।