By रितिका कमठान | Oct 24, 2023
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है जो कि अलग-अलग धर्म को मानने वाले और लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के लिए है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर धार्मिक जोड़ो को लेकर कहा है कि जब तक जुड़ा है इस रिश्ते को शादी के जरिए कोई नाम नहीं देता है तब तक इस संरक्षण देने का कोई आदेश नहीं दिया जा सकता।
कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि जीवन बहुत कठिन और मुश्किल होता है। हालांकि इस मामले पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने कुमारी राधिका और सोहैल खान की याचिका को खारिज कर दिया है। इसमें एक ही याची के चचेरे भाई अहसान फिरोज ने हलफनामा देकर याचिका दाखिल की थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहते है मगर अपहरण के आरोप में मथुरा की रिफाइनरी थाने में एफआईआर रद्द करने की मांग की गई है। पुलिस संरक्षण की मांग करते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस मामले पर कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता दी है। मगर इस तरह के रिश्ते अस्थायी होते है। युवा खुद ही इन रिश्तों पर गंभीरता के साथ विचार नहीं कर पाते है।
खंडपीठ का कहना है कि कोर्ट का मानना है कि इस तरह के रिश्तों में स्थिरता और ईमानदारी कम होती है बल्कि लगाव अधिक होता है। जोड़े जबतक शादी करने का फैसला नहीं करते हैं तब तक वो रिश्तो को लेकर पूरी तरह से श्योर नहीं होते है। अदालत ने साफ किया है कि इस तरह के रिश्तों में कोई राय व्यक्त करने से अदालत खुद को रोकेगी।