Vinayaka Chaturthi: पौष विनायक चतुर्थी व्रत से होते हैं सभी संकट दूर

By प्रज्ञा पांडेय | Jan 03, 2025

आज पौष विनायक चतुर्थी है, हिन्दू धर्म में विनायक चतुर्थी का खास महत्व है। विनायक चतुर्थी के दिन जीवन में खुशियों का आगमन होता है तो आइए हम आपको पौष विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 


जानें पौष विनायक चतुर्थी के बारे में 

पंडितों के अनुसार इस दिन अन्न-वस्त्र, कम्बल का दान करें। परमपिता भगवान शिव परम ब्रम्ह हैं। विष्णु पालनकर्ता व कल्याणकारी हैं। विष्णु जी के नाम का मानसिक जप करें। आज गंगा स्नान करें। पौष माह में शंकर जी की उपासना भी बहुत ही पुण्यदायी है। इस दिन शिव पुराण के पाठ से धन आगमन व शुभता का आगमन होता है, पुण्य की प्राप्ति होती है। पौष माह में कम्बल व ऊनी वस्त्रों के दान करने से मनोवांछित फल मिलते हैं। गंगा स्नान व दान पुण्य करने से सभी पाप नष्ट होते हैं व आपका प्रगति मार्ग प्रशस्त होता है। प्रातःकाल शिव मन्दिर जाएं। भगवान शिवलिंग का जलाभिषेक करें। आज वर्ष का पहला वैभव लक्ष्मी व्रत भी है।


पौष विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 

पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 3 जनवरी शुक्रवार को 01:08 ए एम शुरू होगी। इस तिथि का समापन 3 जनवरी को ही रात 11 बजकर 39 मिनट पर होगा। पौष विनायक चतुर्थी नए साल 2025 की पहली चतुर्थी है। विनायक चतुर्थी का व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाएगा। इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा दिन में करते हैं। पौष विनायक चतुर्थी के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं और उस दिन भद्रा एवं पंचक भी लग रहे हैं, और भद्रा का वास धरती पर ही है।

इसे भी पढ़ें: Mahakumbh Mela 2025: कुंभ मेला कितनी तरह का होता है और यह कैसे एक-दूसरे से जुड़े हैं, जानिए इससे जुड़े महत्व


पौष विनायक चतुर्थी का महत्व 

पंडितों के अनुसार इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश जी की पूजा करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। काम में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शुभता बढ़ती है।


पौष विनायक चतुर्थी पर इस विधि से करें पूजा

शास्त्रों के अनुसार विनायक चतुर्थी पर सुबह सबसे पहले स्नान करके सूर्यदेव को जल देना चाहिए। इसके बाद घर साफ करके पंचोपचार कर पूरे विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। भगवान गणेश को पीले वस्त्र, दूर्वा, हल्दी मोदक आदि चढ़ाना चाहिए। भगवान गणेश की आरती देशी घी का दिया जलाकर करनी चाहिए। मंत्रों का जप करना चाहिए, साथ ही गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहे. ऐसी प्रार्थना भगवान गणेश से करनी चाहिए। अंतिम में भगवान गणेश को भोग लगाना चाहिए, फिर प्रसाद का वितरण करना चाहिए। साथ ही इस दिन अन्न, धन, वस्त्र का दान करें। विनायक चतुर्थी व्रत के दिन शुक्रवार व्रत भी है। ऐसे में आप प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद माता लक्ष्मी की पूजा करें और उनको खीर, बताशे आदि का भोग लगाएं। गणेश जी और माता लक्ष्मी की कृपा से कष्ट मिटेंगे, सुख, समृद्धि, धन, वैभव और शुभता में बढ़ोत्तरी होगी। शुक्रवार के दिन सफेद कपड़े पहनें, चावल, चीनी, खीर, दूध, इत्र आदि का दान करें। इससे आपकी कुंडली का शुक्र दोष दूर होगा।


पौष विनायक चतुर्थी व्रत में चंद्र दर्शन का महत्व

पंडितों के अनुसार विनायक चतुर्थी के अवसर पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात पूजा का कार्य पूर्ण होता है और विनायक चतुर्थी को अर्घ्य अर्पित करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।


पौष विनायक चतुर्थी से जुड़ी पौराणिक कथा भी है खास 

विनायक चतुर्थी की पौराणिक कथा अनुसार एक बार माता पार्वती और भगवान शिव नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ खेल रहे थे। तब खेल में हार जीत का फैसला करने के लिए महादेव ने एक पुतला बनाया और फिर उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी। फिर भगवान महादेव ने उस बालक को खेल के विजेता का फैसला करने की जिम्मेदारी दे दी। उस खेल में संयोग से तीनों बार माता पार्वती जीत गईं। जब खेल समाप्त हुआ तो बालक ने महादेव को विजयी बताया। यह सुनकर माता पार्वती को गुस्सा आ गया और उन्होंने बालक को अपाहिज होने का शाप दे दिया।


बालक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने तुरंत माता से क्षमा मांगी। तब माता पार्वती ने बालक से कहा कि अब वो शाप तो वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन इसका उपाय जरूर किया जा सकता है। माता पार्वती ने बालक को कहा कि एक दिन यहां पर भगवान गणेश की पूजा के लिए नाग कन्याएं आएंगी। तब तुम उनके कहे अनुसार व्रत करना, जिससे तुमको इस शाप से मुक्ति मिल जाएगी। बालक कई सालों तक इस शाप से जूझता रहा। फिर एक दिन नाग कन्याएं आईं। तब उनसें बालक ने गणेश व्रत की विधि पूछी। फिर बालक ने सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान गणेश प्रकट हुए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा।


बालक ने भगवान गणेश से कहा कि हे भगवान मुझे इतने शक्ति दें कि मैं अपने पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पर जा सकूं। भगवान गणेश ने बालक को आशीर्वाद दिया और अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद बालक कैलाश पर्वत पहुंचा और उसने अपने शाप से मुक्ति की कथा भगवान महादेव को सुनाई। चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती भगवान शिव से रुष्ट हो गई थीं। तब बालक के कहे अनुसार, भगवान शिव ने भी 21 दिनों का भगवान गणेश का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती की नाराजगी तुरंत खत्म हो गई। मान्यता है कि जो कोई भी विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है और विधि विधान व्रत रखता है उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही इस कथा को सुनने व पढ़ने मात्र से ही जीवन में आने सभी विघ्न दूर होते हैं।


- प्रज्ञा पाण्डेय

प्रमुख खबरें

Priyanka Gandhi के गालों जैसी सड़कें, विवादित टिप्पणी पर कांग्रेस ने Ramesh Bidhuri को घेरा, AAP ने भी की आलोचना

महंगाई की वजह से तीसरी तिमाही में FMCG कंपनियों की बिक्री, परिचालन लाभ पर असर पड़ेगा

Punjab & Sind Bank जीएसटी रिटर्न के आधार पर एमएसएमई के लिए तत्काल ऋण योजना शुरू करेगा

दिल्ली: शाहदरा में हुई गोलीबारी के मामले में दो अपराधी गिरफ्तार