By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 24, 2019
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए मंगलवार को कहा कि जल संरक्षण के महत्वपर्ण मुद्दे के प्रति बेरुखी दिखायी गई है और किसानों, कॉरपोरेट दिग्गजों और सरकारी निकायों सहित सभी पक्षों को इस विषय पर साथ आने की जरूरत है ताकि भावी पीढ़ियों को स्वच्छ पेयजल मिले। कोविंद ने छठे ‘भारत जल सप्ताह’ का शुभारंभ करते हुए कहा, ‘‘सदियों से यह उदाहरण है कि महान सभ्यताओं और शहरों का विकास नदियों के किनारे हुआ है। चाहे सिंधु घाटी सभ्यता हो, मिस्र की सभ्यता हो, चीनी सभ्यता हो.... चाहे बनारस, मदुरई, पेरिस या मास्को जैसे शहर हों... इन सभी का विकास नदियों के किनारे हुआ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जहां कहीं भी जल रहा, मानवता आगे बढ़ी । आज के समय में भी मनुष्य पानी की तलाश में सुदूर चांद पर जा रहा है। लेकिन दूसरी तरफ अपने ही ग्रह पर जल संरक्षण के प्रति हमारा रुख लापरवाही भरा रहा है।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जब एक बच्चा जन्म लेता है, तब हम उसके भविष्य को लेकर योजना तैयार करने लगते हैं। हम उसकी शिक्षा और अन्य बातों की चिंता करने लगते हैं।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘ लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि हमारे बच्चों के अस्तित्व के लिये स्वच्छ पेयजल जरूरी है।यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए कि भावी पीढ़ियों को स्वच्छ पेयजल मिले।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम कार्बन का प्रयोग कम करने की बात अक्सर करते हैं। अब समय आ गया है कि हम जल का प्रयोग कम करने की आवश्यकता पर बात करें। हमारे किसानों, कॉरपोरेट दिग्गजों और सरकारी निकायों को विभिन्न फसलों एवं उद्योगों में जल की खपत कम करने पर सक्रियता से विचार करना चाहिए। हमें कृषि एवं उद्योग की ऐसी पद्धतियों को प्रोत्साहित करना चाहिए जिनमें जल की कम से कम खपत हो।’’ उन्होंने ‘जल जीवन मिशन’ के लिए सरकार की प्रशंसा की जिसके तहत देश के सभी घरों में स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने का संकल्प लिया गया है। कोविंद ने कहा कि सभी देशों एवं पानी समुदायों को सभी के लिये टिकाऊ जल भविष्य के निर्माण के लिये साथ आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि शोध में यह बात सामने आई है कि 40 प्रतिशत आबादी पानी की कमी वाले क्षेत्रों में रहते हैं। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जड़ी चिंताओं के कारण सुरक्षित एवं स्वच्छ पेयजल अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।
राष्ट्रपति ने जल से जुड़े मुद्दों के तीव्र निपटान के लिये स्वच्छता एवं पेयजल सहित अन्य विभागों को मिलाकर जल शक्ति मंत्रालय बनाने का भी जिक्र किया। उन्होंने 2024 तक हर घर तक नल से जल पहुंचाने के सरकार के जल जीवन मिशन का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बोरिंग मशीन के अनियंत्रित और अत्यधिक उपयोग के कारण भूजल का काफी दोहन हुआ है। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें अपने भूजल के मूल्यों को समझना होगा और जिम्मेदार बनना होगा।’’ इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत जल के क्षेत्र में श्रेष्ठ पहल को साझा करने को तत्पर है और इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर दूसरों के अनुभवों से भी सीखना चाहता है। इससे नीतियों को बेहतर बनाने और बहुमूल्य संसाधनों के उपयोग के बारे में रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी। शेखावत ने कहा कि भारत ने इस विषय पर इज़राइल, कनाडा, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन सहित दुनिया के 14 देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत बनाया है। मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर वह विभिन्न विचारों का स्वागत करते हैं क्योंकि भारत हमारे ग्रह के बेहतर भविष्य की अपनी जिम्मेदारी को समझता है और इस लक्ष्य की दिशा में जरूरी कदम उठाने को कृत संकल्प है। इस सम्मेलन में जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया भी मौजूद थे।