By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 10, 2020
बेंगलुरु। राज्यसभा की चार सीटों के लिये कर्नाटक से पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सहित सभी चारों उम्मीदवार 19 जून को होने वाले चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित होने वाले हैं। कर्नाटक विधानसभा के सचिव एवं निर्वाचन अधिकारी एम. के. विशालक्षी ने जद (एस) से देवेगौड़ा, कांग्रेस से खड़गे और भाजपा के एरन्ना कडाडी तथा अशोक गस्ती के नामांकन पत्रों की जांच के बाद इन्हें (नामांकन पत्रों को) बुधवार को वैध घोषित किया। निर्दलीय उम्मीदवार संगमेश चिक्कनारागुंडा का नामांकन पत्र जांच के दौरान खारिज कर दिया गया।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा, ‘‘सिर्फ चार उम्मीदवार शेष रह जाने के चलते, चुनाव निर्विरोध और आम सहमति से होने वाला है।’’ उन्होंने कहा कि अब मतदान की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तारीख को यह स्पष्ट होगा।’’ नाम वापस लेने की आखिरी तिथि 12 जून है। राज्यसभा की चार सीटों के लिये कर्नाटक में 19 जून को चुनाव होने का कार्यक्रम है। ये चारों सीटें 25 जून को रिक्त हो रही हैं, जिनका प्रतिनिधित्व अभी कांग्रेस के राजीव गौड़ा और बी के हरिप्रसाद, भाजपा के प्रभाकर कोरे और जद (एस) के डी कुपेंद्र रेड्डी कर रहे हैं। विधानसभा में स्पीकर सहित भाजपा के 117 सदस्य हैं।
भगवा पार्टी चार में दो सीटों पर आसानी से जीत हासिल करने की स्थिति में है, जबकि कांग्रेस के 68 विधायक हैं और यह एक सीट पर ही जीत सुनिश्चित कर सकती है। जद (एस) के विधानसभा में 34 सदस्य हैं और वह अपने बूते राज्यसभा की एक सीट जीत पाने की स्थिति में नहीं है, लेकिन अपने अतिरिक्त वोटों से कांग्रेस का उसे समर्थन प्राप्त है। किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिये कम से कम 45 वोटों की जरूरत है। हालांकि, इस चुनाव में मतदान की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि किसी भी पार्टी ने एक दूसरे के खिलाफ अतिरिक्त उम्मीदवार नहीं उतारे हैं और खुद को उतनी ही सीटों तक सीमित रखा है, जिन पर वे जीत हासिल कर सकते हैं। उन्होंने विधानसभा में अपने संख्या बल के आधाार पर ऐसा किया है।
खड़गे, इस चुनाव में निर्वाचित घोषित होने पर राज्यसभा के पहली बार सदस्य बनेंगे। अपने चार दशक से अधिक लंबे राजनीतिक जीवन में वह जनता द्वारा हमेशा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते रहे हैं। राज्यसभा में देवेगौड़ा का यह दूसरा कार्यकाल होगा। वह 1996 में प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने थे।