वायुसेना जरूरत पड़ने पर सीमित समय में इच्छित कार्रवाई करने में सक्षम : एयर चीफ मर्शल चौधरी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 26, 2022

नयी दिल्ली। एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने रविवार को कहा कि भारत को अस्थिर पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर मौजूद स्थिति को ‘‘दो मोर्चों’’ के तौर पर देखना चाहिए और उसी के अनुरूप तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने यह बात चीन और पाकिस्तान के दोहरे सैन्य खतरे से उत्पन्न होने वाली संभावित चुनौतियों का संदर्भ देते हुए कही। वायुसेना प्रमुख ने दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, “भविष्य में भारत पर सभी मोर्चों से हमला हो सकता है, जिसमें सैन्य गतिरोध से लेकर दुष्प्रचार और ब्लैकआउट तक शामिल है।

इसे भी पढ़ें: राजेंद्र नगर विधानसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के दुर्गेश पाठक ने जीत हासिल की

ऐसे में भारत के सुरक्षा सिद्धांत और क्षमताओं को इन आशंकाओं का मुकाबला करने में सक्षम होना चाहिए।” जब उनसे विशेष तौर पर पूछा गया कि क्या यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रमकता चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर और अधिक आक्रमक रुख अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी तो उन्होंने कहा कि वैश्विक घटनाओं और भूराजनीतिक घटनाक्रमों से भारत-चीन संबंधों पर पड़ने वाले असर का लगातार विस्तृत तौर पर और सभी स्तरों पर आकलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘एक राष्ट्र के तौर पर हमें अपने मौजूदा और भविष्य के खतरों की सटीक पहचान करने की जरूरत है, ताकि उनका मुकाबला करने के लिए जरूरी क्षमता का विकास किया जा सके।’’ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के बीच चीन द्वारा एलएसी के पास तेजी से हवाई संसाधन तैनात करने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘वायुसेना जरूरत पड़ने पर बहुत सीमित समय में इच्छित कार्रवाई कर सकती है।’’

इसे भी पढ़ें: संगरूर उपचुनाव: शिअद (ए) उम्मीदवार सिमरनजीत मान की आप नेता गुरमेल सिंह पर बढ़त

तेज हो रही भूराजनीतिक उथल-पुथल का जिक्र करते हुए वायुसेना प्रमुख ने रेखांकित किया कि भविष्य के किसी भी संघर्ष के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी तत्वों को जोड़ने की जरूरत होगी, ताकि ‘‘ऑल ऑफ नेशन एप्रोच’’ अपनाया जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सामने पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर कुछ चुनौतियां मौजूद हैं। ऐसे में यह भारत के लिए अहम है कि वह दो अस्थिर सीमाओं को ‘‘दो आकस्मिक मोर्चों’’ के तौर पर देखे और उसी के अनुसार तैयारी करे।’’ वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारत की सैन्य अभियान योजना, क्षमता विकास और प्रशिक्षण दोनों मोर्चों पर विस्तृत तौर पर उत्पन्न होने वाले खतरों से निपटने के लिए होना चाहिए। भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत और पूर्व सेनाध्यक्ष एम एम नरवणे सहित कई शीर्ष सैन्य अधिकाररियों ने उत्तरी और पश्चिमी मोर्चे पर समन्वित खतरे को लेकर चिंता जताई थी। लेकिन यह पहली बार है, जब एक सेवारत सशस्त्र बल प्रमुख ने ऐसे खतरों से निपटने के लिए विस्तृत योजना बनाने का आह्वान किया है।

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, ‘‘हम अल्पाकलिक अभियानों से जुड़ी तैयारियों की अहमियत को समझते हैं, जिसके लिए त्वरित योजना बनाने, तेजी से अपने संसाधनों की तैनाती करने और वांछित प्रतिक्रिया देने की जरूरत पड़ेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वायुसेना लगातार संबंधित पहलुओं पर काम कर रही है, ताकि इन चुनौतियों से निपटने के लिए विश्वसनीय बल तैयार किया जा सके।’’ वायुसेना प्रमुख की यह टिप्पणी भारत के सुरक्षा योजनाकारों द्वारा वृहद तौर पर यह महसूस किए जाने के बाद आई है कि देश को तेजी से बदलते भू-राजनीतिक हालात और चीन द्वारा एलएसी पर दीर्घकालिक सैन्यीकरण की रणनीति के मद्देनजर वृहद सुरक्षा ढांचा बनाने की जरूरत है। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, ‘‘हमें दीर्घकालिक रुख अपनाने और मौजूदा स्थिति के आधार पर खतरों का आकलन करने के बजाय दुश्मन बलों की तैयारियों से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले असर को आंकने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर अलग-अलग चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, यह प्रकृति और संख्या के संदर्भ में है।

रक्षा बल के तौर पर हम हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के सामने आने वाले खतरे का जवाब देने के लिए सतर्क रहते हैं।’’ वायुसेना प्रमुख ने भरोसा जताया है कि भारतीय सशस्त्र बलों में‘‘सीमा पर किसी भी दुस्साहस का मुकाबला’’ करने के लिए पर्याप्त प्रतिरोध क्षमता है। चीन एलएसी के करीब अपनी सैन्य अवसंरचना को मजबूत कर रहा है, इस बारे में एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि वायुसेना सीमाओं पर अपनी क्षमता के विकास को लेकर लगातार सचेत रहती है और ऐसी कोई भी स्थिति उत्पन्न होने पर उसे नाकाम करने में सक्षम है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हमारी आधारभूत अवसंरचना को अद्यतन करने की गति से खुश हूं, जो हमारी नयी जरूरतों और अभियानों के लिए अहम है।’’ वायुसेना प्रमुख ने बताया कि चिनूक हेलीकॉप्टर का परिचालन पूर्व में निर्धारित दो ठिकानों में से एक पर शुरू हो चुका है और दूसरे ठिकाने पर अवसंरचना विकास लगभग पूरा होने वाला है। उन्होंने बताया कि पूर्वी सेक्टर में राफेल स्क्वॉड्रन के लिए अवसंरचना निर्माण और परिचालन क्षमता पूरी हो चुकी है। एयर चीफ मार्थल चौधरी के मुताबिक, पूर्वोत्त क्षेत्र में स्थापित मौजूदा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) को अतिरिक्त संसाधनों और उपकरणों से अद्यतन किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम महसूस करते हैं कि वायु शक्ति से हम तेजी से प्रभावी तरीके से विस्तृत भौगोलिक इलाके में सीमित समय में कार्रवाई कर सकते हैं।’’ हिंद प्रशांत क्षेत्र में वायुसेना की भूमिका के सवाल पर एयर चीफ मार्शल ने कहा कि वह देश की विदेश नीति के अनुकूल क्षेत्र में स्वतंत्र नौवहन और नियम आधारित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए अपनी भूमिका निभाने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘इलाके में शांति, संयम और स्वतंत्र आवाजाही को कायम रखने की जरूरत है और सबसे महत्वपूर्ण है कि क्षेत्र के सभी देशों को उनके आकार व ताकत से परे बराबर अधिकार मिलें।’’ वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘भारत का बढ़ता कद न केवल सामन विचारधारा वाले देशों, बल्कि हिंद-प्रशांत में मौजूद वैश्विक हितधारकों द्वारा भी महसूस किया जा रहा है।

प्रमुख खबरें

ऐसे खोदते-खोदते एक दिन अपनी ही सरकार को खोद देंगे, संभल विवाद पर अखिलेश यादव ने BJP को घेरा

Yearender 2024: वायनाड भूस्खलन, जयपुर अग्निकांड, वो दर्दनाक हादसे, जिससे सहम उठा पूरा देश

Stranger Things 5 | स्ट्रेंजर थिंग्स 5 के कलाकारों ने शूटिंग पूरी की, नेटफ्लिक्स शो 2025 में रिलीज़ के लिए तैयार

Champions Trophy: इस दिन होगा भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला, जानें दोनों टीमों के आंकड़े