By अंकित सिंह | Dec 04, 2021
बिहार में एक बार फिर से जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर राजनीति तेज हो गई है। इससे पहले मानसून सत्र के दौरान भी जाति आधारित जनगणना को लेकर बिहार की राजनीतिक खूब गर्म हुई थी। उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल जाति आधारित जनगणना की मांग के प्रस्ताव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। इस प्रतिनिधिमंडल में राजद नेता तेजस्वी यादव भी शामिल थे। हालांकि, ऐसा लगता है कि फिलहाल जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर केंद्र सरकार कुछ ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। यही कारण है कि एक बार फिर से लालू यादव ने जाति आधारित जनगणना की मांग कर दी है।
आजादी के बाद से एससी, एसटी को छोड़कर कोई जाति आधारित जनगणना नहीं की गई : सरकार
केंद्र सरकार ने कहा कि उसने आजादी के बाद से जनगणना में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के अलावा जाति आधारित गणना नहीं की है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही। प्रश्न पूछा गया था कि क्या सरकार ने जाति आधारित जनगणना के लिए कोई योजना या नीति बनाई है। राय ने कहा कि संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 के अनुसार अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के रूप में विशेष तौर पर अधिसूचित जातियों और जनजातियों को एक दशक में होने वाली जनगणना में गिना जाता है।