By अंकित सिंह | Oct 15, 2022
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने आज 1000 किलोमीटर पूरी कर ली है। फिलहाल कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक में है। आज के मौके पर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता कर्नाटक पहुंचे हैं। इसी कड़ी में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अभी कर्नाटक में हैं। हाल के दिनों में राजस्थान में हुए सियासी संकट के बाद राहुल गांधी और अशोक गहलोत की यह पहली मुलाकात है। सवाल यह है कि क्या अशोक गहलोत को लेकर कांग्रेस के भीतर जो गतिरोध उत्पन्न हुई थी, वह राहुल गांधी से उनके मुलाकात के बाद खत्म हो जाएगी? क्या अशोक गहलोत को राहुल गांधी का साथ मिलेगा? क्या अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहेंगे?
कर्नाटक के बेल्लारी में अशोक गहलोत ने आज कहा कि जिस प्रकार ये लोग पूरे देश में तनाव, हिंसा, सांप्रदायिकता का माहौल बना रहे हैं ये देश बर्दाश्त नहीं करेगा। राहुल गांधी का संदेश है कि आपस में भाईचारा हो, सभी राज्यों, वर्गो और धर्मो में प्यार मोहब्बत की राजनीति हो। सद्भावना का माहौल बने। माना जा रहा है कि राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान अशोक गहलोत ने अपना पक्ष जरूर रखा होगा। इससे पहले सचिन पायलट भी राहुल गांधी से मुलाकात कर चुके हैं। इससे पहले भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए अशोक गहलोत 22 सितंबर को कोच्चि भी पहुंच चुके थे। उस दौरान अशोक गहलोत ने राहुल गांधी से अध्यक्ष पद संभालने का आग्रह किया था। उस दौरान भी राहुल गांधी ने साफ तौर पर कहा था कि गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति अध्यक्ष नहीं बनेगा। राजस्थान में पूरे सियासी घटनाक्रम के बाद अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और माफी भी मांगी थी।
राजस्थान सियासी संकट के बीच अशोक गहलोत सुर्खियों में आ गए थे। राजस्थान में पिछले कई सालों से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। पिछले दिनों यह भी खबर आई थी कि कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी राजस्थान में मुख्यमंत्री को लेकर कोई बड़ा निर्णय ले सकती हैं। हालांकि अब जो खबर है उसके मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के बाद ही कोई बड़ा निर्णय लिया जाएगा। लेकिन कहीं ना कहीं अशोक गहलोत की विश्वसनीयता पर सवाल जरूर उठे थे। जिस तरीके से राजस्थान में पार्टी के भीतर उठापटक का दौर देखने को मिला, उसके बाद अशोक गहलोत पार्टी के ही कई नेताओं के निशाने पर आ गए थे। इसी घटनाक्रम के बाद अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गए थे।