तमिलनाडु और कर्नाटक के CM के बाद रेवंत रेड्डी का बड़ा फैसला, नीति आयोग की बैठक का करेंगे बहिष्कार

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By अंकित सिंह | Jul 24, 2024

तमिलनाडु और कर्नाटक के CM के बाद रेवंत रेड्डी का बड़ा फैसला, नीति आयोग की बैठक का करेंगे बहिष्कार

बजट को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गया है। यही कारण है कि विपक्ष शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उनके कर्नाटक समकक्ष सिद्धारमैया के एक दिन बाद, तेलंगाना के सीएम ए रेवंत रेड्डी ने भी नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। रेड्डी ने कहा कि बहिष्कार को विरोध के रूप में चिह्नित किया जाएगा। केंद्र ने कथित तौर पर तेलंगाना के अधिकारों को "चोट" पहुंचाई और इसके लिए धन जारी नहीं किया। उन्होंने विधानसभा में सरकार के फैसले की घोषणा की। 


 

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विधानसभा ने दिन भर की बहस के बाद केंद्रीय बजट में राज्य के प्रति केंद्र के कथित भेदभाव के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। हालांकि, विपक्षी बीजेपी ने सदन में इस प्रस्ताव का विरोध किया। कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। उनका दावा है कि केंद्रीय बजट में राज्य की मांगों की 'उपेक्षा' करने के विरोध में कर्नाटक इस बैठक का बहिष्कार करेगा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की आवश्यक जरूरतों पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में सर्वदलीय सांसदों की बैठक बुलाने के मेरे गंभीर प्रयासों के बावजूद, केंद्रीय बजट ने हमारे राज्य की मांगों की उपेक्षा की है। 


तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय बजट में राज्य की पूरी तरह से अनदेखी की गई और वह 27 जुलाई को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे। स्टालिन ने बजट को बेहद निराशाजनक करार देते हुए कहा कि चूंकि केंद्र सरकार ने तमिलनाडु को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है, इसलिए नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करना उपयुक्त होगा। 

 

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नीति आयोग की बैठक

प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं और उनकी अध्यक्षता में हर साल इसकी गवर्निंग काउंसिल की बैठक होती है। केंद्रीय सचिवालय की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार ही काउंसिल की स्थपना की गई है। इसमें सभी राज्यों के सीएम, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और प्रशासक सदस्य हैं। अब तक गवर्निंग काउंसिल की आठ बैठकें हो चुकी हैं। इस बैठक में कोऑपरेटिव फेडरलिज्म, विभिन्न सेक्टरों, विभागों से जुड़े विषयों और संघीय मुद्दों पर चर्चा होती है। 

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