By अंकित सिंह | Jul 08, 2021
बुधवार को बहुप्रतीक्षित मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया गया। विस्तार में जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश तो की ही गई साथ ही साथ अपनों को जोड़ने की कवायद भी दिखी। यही कारण है कि नए मंत्रिमंडल में लोजपा, जदयू और अपना दल को जगह दी गई। मोदी कैबिनेट में 43 नए मंत्रियों ने शपथ ली। जदयू से आरसीपी सिंह, लोजपा से पशुपति पारस और अपना दल से अनुप्रिया पटेल शामिल हैं इन सबके बीच अब एक बार फिर से एनडीए में नाराजगी देखी जा रही है।
उत्तर प्रदेश में एनडीए का हिस्सा निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद में मोदी मंत्रिमंडल में अपनी पार्टी को प्रतिनिधि पर नहीं मिलने को लेकर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर केंद्रीय मंत्रिमंडल में अनुप्रिया पटेल को शामिल किया जा सकता है तो फिर उनके पुत्र प्रवीण निषाद को क्यों नहीं? संजय निषाद ने तो यह तक कह दिया कि निषाद समुदाय के लोग भाजपा से दूर जा रहे हैं और अगर उसने अपनी गलतियां नहीं सुधारी तो आने वाले चुनाव में उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। वर्ष 2018 के लोकसभा उपचुनाव में प्रवीण ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ यानी गोरखपुर की सीट पर भाजपा प्रत्याशी को हराया था और बाद में वह संत कबीर नगर लोकसभा सीट से भी सांसद चुने गए।
दूसरी ओर जदयू सिर्फ एक मंत्री पद मिलने से नाराज है। माना जा रहा है कि नीतीश की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। जदयू के लोकसभा में कुल 16 सदस्य हैं। ऐसे में जदयू का सवाल यह है कि 5 सांसदों वाली लोजपा को भी एक कैबिनेट की सीट दी जाती है और 16 सदस्य वाली जदयू को भी एक ही मिलती है। फिर यह सही कैसे। कभी खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग भी चाचा पशुपति पारस को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर नाराज हैं। चिराग लगातार यह कहते रहे हैं कि किस नाते मोदी मंत्रिमंडल में पशुपति पारस को जगह दी गई।