दूसरे देशों पर हमले के लिए अफगानिस्तान की धरती का नहीं होने दिया जाएगा इस्तेमाल : तालिबान नेता

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 07, 2022

नयी दिल्ली। तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हैबातुल्ला अखुंदजादा ने बुधवार को कहा कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल अन्य देशों पर हमले के लिए नहीं होने दिया जाएगा। साथ ही, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की अपील की। पिछले साल काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों में तेजी की आशंका को लेकर भारत और क्षेत्र के कई अन्य देशों ने लगातार चिंता व्यक्त की है। इस बीच उनकी टिप्पणी आई।

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तालिबान ने कहा कि वह 2020 में अमेरिका के साथ हस्ताक्षर किये गये एक समझौते का पालन कर रहा है, जिसमें उन्होंने आतंकवादियों से लड़ने का वादा किया था। पिछले साल अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से तालिबान ने बार-बार कहा है कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल अन्य देशों पर हमले करने के लिए नहीं किया जाएगा। अखुंदजादा ने ईद उल अजहा की छुट्टियों से पहले अपने संबोधन में कहा, ‘‘हम अपने पड़ोसियों, क्षेत्र और विश्व को आश्वस्त करते हैं कि हम अपनी धरती का इस्तेमाल किसी अन्य देश की सुरक्षा को खतरा डालने के लिए नहीं करने देंगे। ’’ तालिबान के आध्यात्मिक गुरु अखुंदजादा ने ईद उल अजहा पर अपने संदेश में कहा, ‘‘परस्पर संपर्क और प्रतिबद्धता के ढांचे के तहत हम अमेरिका समेत विश्व के साथ अच्छा, राजनयिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध चाहते हैं तथा हमारा मानना है कि यह सभी पक्षों के हित में है। उल्लेखनीय है कि काबुल में उलेमा और कबायली सरदारों की तीन दिवसीय सभा बीते शनिवार को संपन्न हुई जिसमें तालिबान शासन के लिए समर्थन मांगा गया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से देश की तालिबान नीत सरकार को मान्यता देने की अपील की गई। अखुंदजादा ने दक्षिण कंधार प्रांत स्थित अपने ठिकाने से काबुल पहुंच कर शुक्रवार को सभा को संबोधित किया था।

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तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद से अखुंदजादा का काबुल का यह पहला दौरा माना जा रहा है। बता दें कि भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममूंदजे ने पिछले महीने कहा था कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पूरे मुल्क में आतंकी गतिविधियों में खासी बढ़ोतरी हुई है। उन्हें अफगानिस्तान की अशरफ गनी नीत सरकार ने नियुक्त किया था। भारत ने अफगानिस्तान में नए शासन को मान्यता नहीं दी है और काबुल में वास्तव में समावेशी सरकार के गठन के लिए जोर दे रहा है। साथ में भारत का कहना है कि किसी भी देश के खिलाफ किसी भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगान धरती का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

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