एडमिरल सुनील लांबा ने नए नौसेना प्रमुख के रूप में आज कमान संभाली और देश के समुद्री सीमा क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का संकल्प लिया। नेविगेशन एवं डायरेक्शन के विशेषज्ञ 58 वर्षीय लांबा के पास नौसेना प्रमुख के रूप में तीन वर्ष का कार्यकाल होगा। उन्होंने एडमिरल आरके धवन के बाद नौसेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली है। धवन सेवानिवृत्त हो गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘विश्व में सबसे अच्छी नौसेनाओं में शुमार भारतीय नौसेना की कमान संभालना वास्तव में सम्मान और सौभाग्य की बात है।’’ लांबा ने कहा कि पिछले कई वर्षों में नौसेना सभी तीनों आयामों में काम करने में सक्षम एक आधुनिक एवं सक्षम बल बनी है। उन्होंने कहा, ‘‘नौसेना में सेवाएं देने वाले पुरूष एवं महिलाएं पेशेवर रूप से प्रशिक्षित, प्रतिबद्ध एवं देशभक्त हैं और वे यह सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं कि हमारे राष्ट्रीय हितों की किसी भी जगह, किसी भी समय और हर जगह रक्षा की जाए।’’ डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र लांबा नौसेना प्रमुख बनने वाले 21वें भारतीय हैं। पहले दो नौसेना प्रमुख ब्रितानी थे।
तीन दशकों से भी पुराने अपने कॅरियर में उन्हें संचालनात्मक एवं स्टाफ संबंधी बहुत अनुभव है। उन्होंने कार्वेट आईएनएस सिंधुदुर्ग और फ्रिगेट आईएनएस दुनागिरि के नौवहन अधिकारी के तौर पर सेवाएं दी हैं। उन्होंने चार युद्धपोतों आईएनएस काकीनाडा (सुरंग भेदी पोत), आईएनएस हिमगिरि (फ्रिगेट) और विध्वंसकों आईएनएस रणविजय और आईएनएस मुंबई की कमान संभाली है। वह रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय सिकंदराबाद के पूर्व छात्र हैं जहां उन्होंने अध्यापन का काम भी किया। लांबा ने पश्चिमी बेड़े के बेड़ा अभियान अधिकारी और दक्षिणी एवं पूर्वी नौसेना कमानों के चीफ ऑफ स्टाफ जैसी कई अहम स्टाफ जिम्मेदारियां निभाई हैं। वह समुद्री प्रशिक्षण के फ्लैग ऑफिसर, महाराष्ट्र एवं गुजरात नौसेना क्षेत्र के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के कमांडेंट भी रहे। उन्होंने पश्चिमी नौसना कमान के प्रमुख के तौर पर नियुक्त होने से पहले कोच्चि में दक्षिणी नौसेना कमान के कमांडर इन चीफ के रूप में जिम्मेदारी निभाई थी। उन्होंने दो जून 2014 को उप प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला। एडमिरल लांबा को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक और अतिविशिष्ट सेवा पद से नवाजा जा चुका है।