भारतीय गोल्फ की पहचान बनीं Aditi Ashok ने पेरिस ओलंपिक के लिए किया क्वालीफाई

By Anoop Prajapati | Jul 08, 2024

लंबे समय से भारतीय गोल्फ की पहचान बनीं गोल्फर अदिति अशोक ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाले ओलंपिक गेम्स के लिए क्वालीफाई करने में सफलता हासिल की है। उनका सफर आसान नहीं रहा है, अदिति अशोक 2016 में पेशेवर खिलाड़ी बनने के बाद से भारत में महिलाओं के गोल्फ के लिए एक ट्रेलब्लेज़र रही हैं। उन्होंने एशियन गेम्स 2023 में रजत पदक जीतने के साथ लेडीज यूरोपियन टूर खिताब जीते और लेडीज प्रोफेशनल गोल्फ टूर में नियमित रूप से भाग लिया। बेंगलुरु में एक मध्यमवर्गीय घराने में जन्मी अदिति अशोक पांच साल की उम्र में पहली बार गोल्फ की ओर आकर्षित हुई थीं, जब उनका ध्यान कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन में हरे-भरे कोर्स पर गया था।


29 मार्च 1998 को जन्मी अदिति अशोक भारत के लिए उल्लेखनीय जीत हासिल करने के बाद खेलों में एक प्रमुख हस्ती बन गईं। बेंगलुरु के प्रसिद्ध फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल में अपनी पढ़ाई और खेल के प्रति अपने जुनून को देखते हुए, भारतीय गोल्फर ने कोर्स में नियमित रूप से अभ्यास करना शुरू कर दिया और स्थानीय टूर्नामेंट में खेलने लगीं। अदिति अशोक ने अपनी पहली राज्य स्तरीय ट्राफियां, कर्नाटक जूनियर और दक्षिण भारतीय जूनियर चैंपियनशिप 2011 में 13 साल की उम्र में जीती थी। उन्होंने उस साल राष्ट्रीय अमेच्योर खिताब भी जीता था। अदिति जल्द ही अगले तीन साल - 2012, 2013 और 2014 – में नेशनल जूनियर चैंपियनशिप जीतकर और 2014 में जूनियर और सीनियर दोनों खिताब जीतकर एक युवा खिलाड़ी के रूप में प्रसिद्धी हासिल की। 


वो 2013 में एशियन यूथ खेलों और 2014 में यूथ ओलंपिक और एशियन खेलों में खेलने वाली एकमात्र भारतीय गोल्फर बन गईं। अदिति अशोक का प्रभावशाली अमेच्योर करियर अपने चरम पर तब पहुंच, जब उन्होंने 2015 में लेडीज ब्रिटिश एमेच्योर स्ट्रोक प्ले चैंपियनशिप जीती। वो 1 जनवरी 2016 को प्रोफेशनल खिलाड़ी बन गईं। इसके छह महीने बाद ही उन्होंने रियो ओलंपिक में इतिहास रच दिया। अदिति समर गेम्स में खेलने वाली पहली भारतीय महिला गोल्फर बनीं और 18 साल की उम्र में महिला स्पर्धा में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी भी थीं। जहां अनिर्बान लाहिड़ी और एसएसपी चौरसिया भारत में जाने-माने और स्थापित पेशेवर थे, बहुत कम लोगों ने गोल्फिंग समुदाय में अदिति अशोक के बारे में सुना था। 


इसलिए, ये वास्तव में उल्लेखनीय था कि उन्होंने कम समय के लिए ओलंपिक गोल्फ कोर्स में दूसरे दौर में सबसे आगे रही थीं, सबसे बड़ी बात ये थी कि वो टूर्नामेंट में 60 में से 57 वें रैंक की खिलाड़ी थीं। लेकिन रियो 2016 में कम अनुभव की वजह से अदिति अशोक अंततः 60 गोल्फरों में से 41 वें स्थान पर रहीं। शौक के लिए इस खेल को खेलने वाली बेंगलुरू की इस लड़की ने पहले खिताब के एक हफ्ते बाद कतर ओपन में अपना दूसरा खिताब जीता और अपने इस दमदार प्रदर्शन की बदौलत लेडीज यूरोपियन टूर रूकी ऑफ द ईयर' का पुरस्कार जीता। 2017 में अदिति अशोक ने इस खेल में कई नए आयाम को छूआ, जिसमें एलपीजीए टूर पर भारत का पहली बार किसी का प्रतिनिधित्व करना सबसे खास था। 


टोक्यो 2020 में अदिति के सराहनीय प्रदर्शन के बाद उनका कद और बढ़ गया है। वो कासुमीगासेकी कंट्री क्लब में गोल्फ टूर्नामेंट के अंतिम दौर तक पदक की दौड़ में थीं। हालांकि, दो साल बाद, अदिति अशोक ने हांगझोऊ में 2023 एशियाई खेलों में रजत पदक जीतकर एक अहम मल्टी-स्पोर्ट इवेंट में पोडियम पर अपनी जगह बनाई। इस तरह से वह एशियन गेम्स में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला गोल्फर भी बन गईं। वर्ष की शुरुआत में, उन्होंने अपने चौथे लेडीज यूरोपियन टूर (LET) खिताब के लिए मैजिकल केन्या लेडीज़ ओपन जीता था। भारतीय गोल्फर महिला मेजर्स में नियमित हैं और टोक्यो 2020 और हांगझोऊ 2023 के अपने सराहनीय प्रदर्शन के बाद आने वाली चुनौतियों और उम्मीदों को देखते हुए वो आने वाले समय में गोल्फ कोर्स पर राज करने की कोशिश करेंगी।

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