बात साफ़ है, विकास के लिए बताएंगे सैंकड़ों, लेकिन पेड़ हज़ारों काटे जाएंगे। पेड़ कलम करने के लिए बाज़ार में बढ़िया, तेज़, सस्ती और बिना आवाज़ आरियां मिलती हैं। पता नहीं चलता कब गिर गया मोटे तने वाला, खूब ऑक्सीजन देने वाला पेड़ और साथ ही गिर पड़ता है व्यवस्था के चरणों में सख्त क़ानून।
पेड़ काटना गलत है। काटेंगे तो सख्त जांच होगी। जांच का हुक्म होता है। नोटिस जारी होते ही गहन जांच शुरू हो जाती है। प्रारंभिक जांच में पेड़ गिराने की पुष्टि हो सकती है यानी जांच ठीक, पारम्परिक और लोकतांत्रिक तरीके से नहीं हुई। लगता है जांच करने वालों को ठीक तरीके से हैंडल नहीं किया गया। इस बीच मुख्यालय व्यापक स्तर पर जांच बिठाने की तैयारी कर सकता है। जांच गहन होनी है तभी समय डरा बैठा है, पता नहीं जांच में क्या निकल आए। कुछ ठोस निकला तो कार्रवाई करना मुश्किल हो जाएगा। कुछ नहीं निकला तो जांच जारी रखनी पड़ेगी। जांच की बची खुची इज्ज़त का सवाल है जी।
बताया जाता है जांच सही दिशा में जा रही है। बड़ी कुर्सी ने कम बड़ी कुर्सी से रिपोर्ट मांगी। विभाग ने अन्य क्षेत्रों में भी जांच शुरू कर दी। पेड़ काटने की पुष्टि की मरम्मत करने का राजनीतिक सुझाव आया ताकि आरोपों की परवाह न करते हुए जांच में स्पष्ट किया जाए कि एक भी वृक्ष किसी भी आरी या औज़ार से काटा नहीं गया। सभी वृक्ष प्राकृतिक विपदा यानि तेज़ बारिश आने के कारण, खुद उखड कर, पानी में गिर कर बह गए लेकिन पकडे नहीं जा सके।
सामान्य लोगों में कुछ असामान्य भी होते हैं। उन्होंने आरोप दोहराए कि कम्पनियां पेड़ काट रही हैं। वीडियो भी वायरल हुए लेकिन कम्पनियां ज्यादा शातिर होती हैं। उन्होंने आरोप लौटाते हुए कहा कि कुछ आम लोग मौके का फायदा उठाकर पेड़ काट रहे हैं ताकि कम्पनियों को लीज़ पर ज़मीन दे सकें। बात सही लगती है, दाम अच्छे मिल जाएं, वृक्षों ने उन्हें क्या पेड़े देने हैं ? यह बात प्रशंसा मांगती है कि राजस्व विभाग को भी जांच में शामिल किया जाता है। आम तौर पर सभी को पता होता है कि जांच में आरोप साबित नहीं होते फिर भी कुछ लोग जांच का प्रसिद्ध मज़ा लेने के लिए आवेदन देते रहते हैं। अपने साथ परिवार वालों को यहां तक कि पड़ोसियों को भी आशंकित जांच के दायरे में ले आते हैं।
इस बीच वृक्षों का गला काटने और विकास के प्लांट लगाने वाले सज्जन मिलकर, वन कल्याण एवं प्राकृतिक ऊर्जा मंत्री को सार्वजनिक रूप से सम्मानित कर सकते हैं। इस ज़रूरी उत्सव को समाचार पत्रों में भी बढ़िया कवरेज दी जा सकती है। ऐसा होने पर, आरोप और जांच दोनों, विकास के लिए पानी भरने जा सकते हैं।
- संतोष उत्सुक