Abraham Lincoln Birth Anniversary: दास प्रथा के खिलाफ थे अब्राहम लिंकन, खुद की जिंदगी में समेटे थे एक विरासत

By अनन्या मिश्रा | Feb 12, 2024

आज ही के दिन यानी की 12 फरवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का जन्म हुआ था। वह अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे। दुनिया में और अमेरिका में अब्राहम लिंकन को दास प्रथा खत्म करने के लिए जाना जाता है। हांलाकि इसके इतर भी उनकी शख्सियत काफी कमाल की थी। लिंकन की जिंदगी खुद में एक विरासत को समेटे हुए थी। उनके जीवन में काफी संघर्ष रहा। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

अमेरिका के हार्डिन काउंटी, केंटकी में 12 फरवरी 1809 को थॉमस लिंकन और नैन्सी हैंक्स लिंकन की दूसरी संतान के तौर पर अब्राहम लिंकन का जन्म हुआ था। वह एक गरीब अश्वेत परिवार से ताल्लुक रखते थे। महज 10 साल की उम्र में उनके सिर से मां का साया उठ गया। किताबें पढ़ने के लिए उन्होंने फार्म में काम किया। कभी दीवारों में बाड़ लगाई तो कभी किसी स्टोर में काम किया। बताया जाता है कि उनको किताबें पढ़ने का इतना अधिक शौक था कि वह रोड लाइट के नीचे बैठकर किताबें पढ़ा करते थे।

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गरीबी के कारण उनके पास लिखने को कागज नहीं होता था, तो अब्राहम लिंकन दीवारों पर पत्थर से पढ़ी बातों को उकेरते और फिर दीवाल की पुताई कर उस पर लिखते। वह ब्लैक हॉल जंग में कैप्टन रहे और इलिनोइस विधायिका में 8 साल बिताए। साथ ही कई साल अदालतों में काम भी किया। 


अधूरा रह गया इश्क

अब्राहम लिंकन का पहला प्यार एन रटलेज थीं। हांलाकि उनका इश्क परवान चढ़ पाता इससे पहले साल 1835 में रटलेज को टाइफाइड हो गया और उनकी मौत हो गई। जिसके बाद साल 1830 में वह केंटकी की मैरी ओवेन्स से मिले। लेकिन विचारों के न मिलने पर दोनों अलग हो गए। फिर साल 1839 में वह मैरी टॉड से मिले और एक साल बाद दोनों ने सगाई कर ली। लिंकन और मैरी के चार बेटे हुए, लेकिन इनमें से सिर्फ एक बेटा थाॉमस टेड लिंकन की जीवित बचे।


संघर्ष से नहीं छूटा पीछा

अब्राहम लिंकन की जिंदगी संघर्ष भरी रही। 31 साल की उम्र में वह कारोबार में फेल हुए, तो वहीं 32वें साल में स्टेट लेजिस्लेटर के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 33वें साल में नए कारोबार में भी फेल हुए, तो वहीं 35वें साल में मंगेतर की मौत हो गई। 36 साल की उम्र में नर्वस ब्रेक डाउन का शिकार और जिंदगी के 43वें साल में वह कांग्रेस के लिए चुनाव लड़े और उसमें भी नाकाम हुए। 48वें साल में दोबारा प्रयास किया और फिर हार का मुंह देखना पड़ा। फिर 55वें साल में लिंकन सीनेटर को स्टीफन ए डगलस के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। लेकिन डगलस के साथ बहस के कारण वह पूरे देश में फेमस हो गए।


इस प्रसिद्धि का फायदा यह हुआ कि साल 1860 में उन्होंने रिपब्लिकन नामांकन जीता। वहीं अगले साल वाइस प्रेजिडेंट के चुनावों में फिर नाकामी मिली। 59वें साल में सीनेट चुनाव में हार मिली। अब्राहम लिंकन लड़ते रहे लेकिन कभी रुके नहीं। आखिर में वह साल 1860 में पहले रिपब्लिकन बने, जो अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बनें। राष्ट्रपति के तौर पर लिंकन ने रिपब्लिकन पार्टी को एक मजबूत राष्ट्रीय संगठन बनाने का काम किया।


दास प्रथा से नफरत

अब्राहम लिंकन गुलामों पर होने वाले जुल्मों के सख्त खिलाफ थे और वह दास प्रथा को पूरी तरह से खत्म करना चाहते थे। उस दौरान अमेरिका में गुलाम प्रथा का बोलबाला था। बता दें कि दक्षिणी राज्यों के बड़े खेतों के मालिक गोरे थे। यह लोग अफ्रीका के काले लोगों से अपने खेत में काम करवाने के लिए अफ्रीकन को अपना दाम बनाते थे। वहीं उत्तरी राज्य को लोग इस प्रथा के खिलाफ थे।


लिंकन इस समस्या को सुलझाना चाहते थे। लेकिन दक्षिण राज्यों के लोग गुलामी के खात्मे के खिलाफ थे और यह लोग नया देश बनाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन लिंकन देश की एकता की रक्षा करना चाहते थे। गुलामी प्रथा को लेकर उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच गृह युद्ध की स्थिति बन गई। इस युद्ध का लिंकन ने बहादुरी से सामना करते हुए कहा कि आधा देश गुलाम और आधा आजाद नहीं रह सकता। इस जंग में लिंकन की जीत हुए और 1 जनवरी 1866 को उन्होंने मुक्ति की घोषणा की।


मृत्यु

इसके बाद 4 मार्च 1864 को अब्राहम लिंकन दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बनें। वहीं इसके एक महीने बाद गृह युद्ध के खत्म होने पर 14 अप्रैल गुड फ्राइ़डे को एक कार्यक्रम रखा गया था। इस समारोह में एक्टर जॉन विल्कीस बूथ ने अब्राहम लिंकन की गोली मारकर हत्या कर दी। महज 56 साल की उम्र में अब्राहम लिंकन ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

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