ऑर्गेनाइजेशन सुपरवाइजर से लेकर कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजिस्ट तक, केजरीवाल की सीक्रेट टीम के 8 मेंबर जिन पर वो करते हैं सबसे ज्यादा भरोसा

By अभिनय आकाश | Jun 19, 2023

“दिल्ली के लोगों की सेवा करनी है, मैं अकेला कुछ नहीं कर सकता....मैं बहुत छोटा आदमी हूं।" साधारण सी चप्पल, नीले रंग की ढीली ढाली कमीज और हल्के सीलेटी रंग की पैंट पहने केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद को परिभाषित करने के लिए न जाने कितनी बार इन शब्दों का इस्तेमाल किया होगा। अपने व्यक्तित्व और बोलने कि बेचारगी भरी शैली से किसी को भी पहली नज़र में वह किसी कक्षा के आज्ञाकारी छात्र प्रतीत हो सकते हैं। ईमानदारी वैसे तो एक शब्द है। लेकिन इस शब्द की ताकत के सहारे ही केजरीवाल की आम आदमी पार्टी एक समय दिल्ली के दिलों को जीत कर सत्ता पर काबिज हुई। भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा अरविंद केजरीवाल 2013 से तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने, शायद एक दशक में भारतीय राजनीति में सबसे बड़ी सफलता की कहानी है। केजरीवाल की कहानी का एक अभिन्न हिस्सा केंद्र के साथ टकराव को लेकर भी सुर्खियां बटोरते रहे हैं। उनमें से एक नौकरशाहों के तबादलों और पोस्टिंग से संबंधित शक्तियों पर एक लंबी लड़ाई। ज्यादातर मुख्यमंत्री चुने हुए नौकरशाहों के साथ मिलकर काम करते हैं और नीति और प्रशासन के मामलों में अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन केजरीवाल इस संबंध में एक अपवाद रहे हैं क्योंकि उन्हें नौकरशाही क्षेत्र में ऐसी शक्तियां कभी नहीं मिलीं। केजरीवाल के लिए सहयोगियों और सलाहकारों के एक करीबी घेरे ने इस अंतर को भर दिया। पिछले 10 सालों में टीम केजरीवाल के कई पुराने दोस्त छूटे हैं और कई नए इसमें जुड़ते चले गए हैं। आइए उन लोगों पर एक नज़र डालते हैं जो वर्तमान में केजरीवाल के इनर सर्कल का हिस्सा हैं।

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विभव कुमार

केजरीवाल के निजी सचिव विभव कुमार आप प्रमुख के सबसे भरोसेमंद साथी हैं। कुमार ही वो शख्स है जो केजरीवाल की मीटिंग्स, मेडिसिन, खान-पान और जिन वाहनों में सीएम सफर करेंगे सभी पर अपनी नजर रखते हैं। संक्षेप में उन्हें ऑल-इन-वन मैन कहा जाता है। पार्टी के भीतर कई पदाधिकारियों के लिए केजरीवाल के कार्यालय का रास्ता कुमार से होकर गुजरता है। केजरीवाल के साथ उनका जुड़ाव 2000 के दशक की शुरुआत में हुआ जब केजरीवाल सूचना के अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता थे। कुमार एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की एक पत्रिका के लिए काम करते थे और बाद में इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) व 2011 में अन्ना हजारे आंदोलन में एक वीडियो एडिटर के रूप में काम करते थे।

संजय सिंह

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह आप में सबसे चर्चित चेहरों में से एक हैं। वो पार्टी के संसदीय रणनीतिकार और उसके मुख्य प्रवक्ताओं में से एक हैं। लेकिन पर्दे के पीछे सिंह और भी बहुत कुछ हैं। पार्टी में संजय सिंह को रियल नेता कहा जाता है। सिंह केजरीवाल के मुख्य राजनीतिक सलाहकारों में से एक हैं और आप और अन्य राजनीतिक दलों  सहयोगी हो या विरोधी दोनों के बीच सेतु का काम करते हैं। सिंह आप के संस्थापक सदस्य हैं। 2015 में दिल्ली में बहुमत के साथ अपना पहला कार्यकाल पाने वाली पार्टी की तरफ से जब राज्यसभा में प्रतिनिधि भेजने की बात आई तो केजरीवाल की पहली पसंद संजय सिंह ही बने। 

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संदीप पाठक 

राज्यसभा में आप का प्रतिनिधित्व करने वाले संदीप पाठक केजरीवाल के एक और भरोसेमंद सहयोगी हैं और पार्टी के पदानुक्रम में दूसरे स्थान पर हैं। जब इसकी विस्तार रणनीतियों की बात आती है तो पाठक वो शख्स हैं जो उन राज्यों में डेरा डालते हैं जहां केजरीवाल को मौका दिखता है। पाठक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में सहायक प्रोफेसर हुआ करते थे और 2016 में आप में शामिल हुए थे। वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं, जिन्हें सर्वेक्षण, संगठन-निर्माण और अनुसंधान सौंपा गया है। संक्षेप में पाठक ही वो व्यक्ति हैं जिनके इनपुट केजरीवाल को यह तय करने में मदद करते हैं कि उन्हें किस राज्य में चुनावी रूप से निवेश करना चाहिए।

गोपाल मोहन 

गोपाल मोहन पॉलिसी को ड्रॉफ्ट करने और उसे अमल में लाने से संबंधित मामलों में केजरीवाल के मुख्य सलाहकारों में से एक हैं। आईआईटी-मद्रास के पूर्व छात्र मोहन कई प्रमुख परियोजनाओं के पीछे एक प्रमुख व्यक्ति हैं। इनमें दिल्ली में क्लोज-सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) नेटवर्क, मुफ्त वाईफाई हॉटस्पॉट, मोहल्ला क्लीनिक और बहुत कुछ शामिल है। मोहन नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में केजरीवाल के प्रतिनिधि हैं और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) में भी उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। वो आप और दिल्ली के नौकरशाहों के बीच भी एक ब्रिज का काम भी करते हैं। इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन के दिनों से मोहन भी केजरीवाल के सहयोगी रहे हैं।

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जैस्मीन शाह 

आईआईटी-मद्रास के पूर्व छात्र जैस्मीन शाह आप और दिल्ली सरकार के लिए संचार रणनीतियों के प्रभारी हैं। 2018 में आप में शामिल होने से पहले उन्होंने वैश्विक शोध केंद्र में अपनी नौकरी छोड़ दी थी और तब से वह पार्टी प्रमुख के करीबी सहयोगी हैं। शाह की नीतियों की समझ और संसाधन-प्रबंधन कौशल उन्हें पार्टी के लिए एक मूल्यवान एसेट बनाती है। वो आप के लिए मीडिया स्ट्रैटजी और कैंपेन स्ट्रैजजी को तैयार करते है। दिल्ली के संवाद और विकास आयोग के प्रभारी शाह एक थिंक टैंक की भूमिका भी अदा करते हैं जो मुख्य रूप से दिल्ली सरकार को बजटीय और परिवहन नीतियों पर सलाह देता है।

दुर्गेश पाठक 

तैंतीस वर्षीय दुर्गेश पाठक वर्तमान में टीम केजरीवाल के सबसे कम उम्र के सदस्य हैं। केजरीवाल के साथ उनका जुड़ाव आईएसी के दिनों से भी है, जब पाठक भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने के इच्छुक थे।  उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली में आप के वॉलेंटियर बेस को स्थापित करने में मदद की, जिसके बाद विधानसभा चुनाव में पार्टी को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई। केजरीवाल की वार्षिक विपश्यना यात्राओं में वे ही उनके साथ जाते हैं। बॉस का फोन बंद होने के साथ, वह केजरीवाल और पार्टी के बीच एकमात्र संपर्क बिंदु के रूप में कार्य करते हैं। पाठक वर्तमान में दिल्ली नगर निगम से संबंधित सभी मामलों के लिए केजरीवाल के प्वाइंट मैन हैं।

राघव चड्ढा 

राघव चड्ढा भी आप के सबसे चर्चित चेहरों में से एक हैं। वो एक राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं जो प्राइम टाइम में सभी प्रमुख टेलीविजन बहसों में पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा उन्हें केजरीवाल के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक माना जाता है, जिन पर वे अपने क्राइसिस मैनेंजमेंट स्किल्स के लिए भरोसा करते हैं। कोविड-19 महामारी की डेल्टा लहर के दौरान, चड्ढा ही थे जिन्हें ऑक्सीजन आपूर्ति का प्रबंधन सौंपा गया था। वर्तमान में चड्ढा पंजाब के लिए केजरीवाल के प्वॉइंट मैन हैं, जहां आप सत्ता में है। चड्ढा सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं और मुख्यमंत्री भगवंत मान के कार्यालय तक उनकी सीधी पहुंच है।

आदिल अहमद खान

टीम केजरीवाल के एक अन्य प्रमुख सदस्य आदिल अहमद खान पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं। पूर्व पत्रकार, खान पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं और दिल्ली में आप के संगठन के पर्यवेक्षक के रूप में काम करते हैं। खान को पार्टी के लिए कार्यक्रम आयोजित करने का काम सौंपा गया है, जैसे हाल ही में रामलीला मैदान में आयोजित सम्मेलन, जहां उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में बड़े विरोध प्रदर्शनों के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को जुटाया।


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