By अभिनय आकाश | Dec 24, 2024
म्यांमार की जातिय हिंसा की आग पूरे दक्षिण एशिया को प्रभावित कर रही है। बात रखाइन राज्य के बढ़ते संकट और आराकान आर्मी के कहर की बात कर रहे हैं। आराकान आर्मी और जुंटा सेना की बीच संघर्ष ने हजारों रोहिंग्या मुसलमानों को देस छोड़ने पर मजबूर कर दिया। सिर्फ दो महीनों के अंदर 60 हजार से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंचे हैं। दरअसल, बांग्लादेश का रखाइन राज्य एकबार फिर हिंसा का केंद्र बन चुका है। आराकान आर्मी जो एक विद्रोही संगठन है उसने बांग्लादेश सीमा से सटे इलाकों पर कब्जा कर लिया। म्यांमार की जुंटा सेना फिर से इस इलाके को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रही। इस संघर्ष के बीच हजारों रोहिंग्या और अन्य अल्पसंख्यक अपनी जान बचाने के लिए म्यांमार छोड़कर भाग रहे हैं। लगातार आराकान आर्मी रोहिंग्याओं को निशाना बना रही और उसे म्यांमार से भगा रही है।
साल 2017 से शुरू हुआ रोहिंग्या संकट आज और भी गहरा हो चुका है। बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में पहले से 12 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरण ले चुके हैं। हाल ही में 60 हजार नए रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश पहुंचे। बांग्लादेशी अधिकारियों का कहना है कि ये लोग अलग अलग रास्तों और दलालों के जरिए सीमा पार कर रहे हैं। बांग्लादेश की सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि हम उन्हें शरण देने के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन हालात हमें मजबूर कर देते हैं। आराकान आर्मी की बढ़ती ताकत ने म्यांमार बांग्लादेश बॉर्डर पर हालात और बिगाड़ दिए हैं। आराकान आर्मी ने बांग्लादेश से सटे इलाकों पर कब्जा कर लिया। इन इलाकों पर पहले जुंटा सेना का नियंत्रण था। लेकिन अब ये आराकान आर्मी के हाथ में है।
रखाइन इलाका हमेशा से ही बुद्धिस्त लोगों का रहा है। लेकिन रोहिंग्याओं ने जब बुद्धिस्ट लोगों को मारना शुरू कर दिया तो इसका बदला लेने के लिए साल 2009 में आराकान आर्मी की स्थापना की गई। अभी तक तो ये सिर्फ रोहिंग्याओं से ही जंग लड़ रही थी। लेकिन जब से बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार आई है आराकान आर्मी ने बांग्लादेश पर भी हमले शुरू कर दिए हैं। आराकान आर्मी का मानना है कि बांग्लादेश में यूनुस सरकार आने के बाद रोहिंग्या मजबूत हो सकते हैं।