European Parliament Election: 27 देशों के 35 करोड़ वोटर्स, ऐसा चुनाव जो पूरे यूरोप को बदल देगा

By अभिनय आकाश | Jun 09, 2024

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रकि चुनाव भारत में पूरा हो चुका है। इसमें लगभग 65 करोड़ मतदाताओं ने वोटिंग की है। वहीं अब नई सरकार के शपथग्रहण की तैयारियां भी जोर-शोर से हो रही है। लेकिन इन सब के बीच आपको पता है कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लोकतांत्रकि चुनाव भी हो रहा है। यूरोपीय संसद के लिए 6 जून से शुरू हुआ चुनाव आज यानी 9 जून को समाप्त हो जाएगा। इस चुनाव में 27 देशों के लगभग 35 करोड़ वोटर्स हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि जिस संसद के लिए इतने देशों के लोग वोट डालते हैं वो आखिर करती क्या हैं? यूरोपीय संसद का चुनाव होता कैसे है? 

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नीदरलैंड से शुरुआत

यूरोपीय संघ के संसदीय चुनाव के लिए 27 सदस्य देशों में चार दिन तक चलने वाली चुनाव प्रक्रिया नीदरलैंड में 6 जून को मतदान के साथ शुरू हुई। नीदरलैंड यूरोपीय संघ (ईयू) का एकमात्र सदस्य देश है जिसने अपना एक दिवसीय मतदान इतनी जल्दी शुरू किया है। सभी सदस्य देशों द्वारा मतदान पूरा करने के बाद रविवार रात को पूरे यूरोप के परिणाम घोषित किए जाएंगे।

पांच साल के कार्यकाल के लिए वोटिंग

यूरोपीय संसद के पांच साल के कार्यकाल के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) के 20 देशों में 9 जून को मतदान शुरू हो गया। यूरोपीय संसद के 720 सदस्यों को चुनने के लिए नागरिक मतदान कर रहे हैं। सदन में सीट जनसंख्या के आधार पर आवंटित की जाती हैं। माल्टा एवं लक्जमबर्ग की सदन में सबसे कम छह और जर्मनी की सबसे अधिक 96 सीट हैं। हर पांच साल में होने वाले चुनावों के आधिकारिक नतीजे यूरोपीय संघ के 27 देशों के मतदान प्रक्रिया पूरी होने से पहले प्रकाशित नहीं किए जा सकते।

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यूरोपीयन पार्लियामेंट क्या है 

आपने यूरोपीय यूनियन यानी ईयू का नाम कई बार सुना होगा। ये यूरोप के 27 देशों का संगठन है। इन देशों की सरकार आपस में मिलकर काम करती है। ये राजनीतिक और आर्थिक मंच है और इसके नियम कई और सभी सदस्य देशों पर लागू होते हैं। मगर ईयू अकेले दम पर सारा काम नहीं कर सकता है। इसलिए उसने अलग अलग संस्थाओं के बीच काम और शक्तियों का बंटवारा कर दिया है। इनमें यूरोपीयन काउंसिल, यूरोपीयन कमीशन और यूरोपीयन पार्लियामेंट है। यूरोपीयन पार्लियामेंट ईयू की एकलौती ईकाई है जिसके सदस्य सीधे वोट से चुने जाते हैं। ये ईयू की विधायी संस्था है। ये खुद से बिल सदन के पटल पर नहीं कर सकते हैं, लेकिन कोई भी बिल संसद की मंजूरी के बिना पास नहीं हो सकता है। ईयू के साथ होने वाला कोई भी समझौता संसद की हामी के बिना नहीं हो सकता है। 

 

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