By अभिनय आकाश | Sep 30, 2021
कांगो में विश्व स्वास्थ्य संगठन के इक्कीस कार्यकर्ताओं पर इबोला के प्रकोप के दौरान लोगों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया गया है, डब्ल्यूएचओ-कमीशन जांच पैनल ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि 2018-2020 मिशन से जुड़े 83 कथित ऐसे लोगों की पहचान की गई और इनमें से 21 लोग के विश्व स्वास्थ्य संगठन के कर्मचारी थे। एसोसिएटेड प्रेस की जांच के महीनों बाद पैनल ने अपने निष्कर्ष जारी किए, जिसमें पाया गया कि डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ प्रबंधन को 2019 में कई दुरुपयोग के दावों के बारे में सूचित किया गया था, लेकिन उत्पीड़न को रोकने में विफल रहा और यहां तक कि इसमें शामिल प्रबंधकों में से एक को पदोन्नत किया गया।
WHO प्रमुख ने घटना पर जताया दुख
स्वतंत्र कमेटी की जांच में खौफनाक हकीकत सामने आने के बाद WHO प्रमुख टेड्रोस एडनम घेब्रेयेसस ने घटना पर दुख जताया है। टेड्रोस ने कहा कि यह उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है कि गुनाह करने वालों को सजा मिले। गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम गेब्रेयेसस ने दावों की जांच के लिए पिछले अक्टूबर में समिति का गठन किया। मीडिया की खबरों में बताया गया था कि कांगो में 2018 में इबोला फैलने के बाद इस संकट से निपटने में लगे अज्ञात अधिकारियों ने महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया, जिसके बाद समिति का गठन किया गया। उस वक्त टेड्रोस ने कहा था कि वह ‘‘क्षुब्ध’’ हैं। उन्होंने कहा था कि जो भी कर्मचारी यौन उत्पीड़न में संलिप्त पाया जाएगा उसे तुरंत बर्खास्त कर दिया जाएगा।
डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. माइकल याओ को कई बार लिखित में यौन उत्पीड़न के आरोपों की सूचना दी गई। याओ को बाद में पदोन्नति दे दी गई। डब्ल्यूएचओ के चिकित्सक ज्यां पॉल नगान्दु और एजेंसी के दो अन्य अधिकारियों ने एक युवती के लिए जमीन खरीदने का लिखित वादा किया था,जिसे कथित तौर पर गर्भवती बना दिया था। नगान्दु ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए उन्हें ऐसा करने को कहा गया था। कुछ महिलाओं ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित किया और उन्हें उम्मीद है कि उन्हें कड़ा दंड मिलेगा।