By अभिनय आकाश | Sep 01, 2022
कहते हैं की उत्तर में भारत की रक्षा हिमालय करता है लेकिन हकीकत यह है कि भारत को सबसे ज्यादा खतरा उत्तर से ही रहा है। देश के उत्तर पश्चिम में मौजूद है पाकिस्तान तो देश के उत्तर पूर्व की सीमा से लगता है चीन का इलाका। भारत की कुल सीमा 15200 किलोमीटर है जिसमें आधी सीमा समुद्र किनारे है यानि 7517 किलोमीटर। ऐसा कम ही देशों की सेनाओं के साथ होता है कि जिसकी निगरानी के लिए हिमालय जैसी पर्वतमाला हो, विशाल लहराता समुद्र हो और साथ में मौजूद हो धोखा देने के लिए तैयार पाकिस्तान जैसा पड़ोसी मुल्क। भारत को जल, थल और आकाश तीनों की निगरानी के लिए तैयार रहना होता है जो कही से भी आसान नहीं है और उस पर सबसे बड़ी दिक्कत होती है पाकिस्तान की प्रेत सेना यानि आतंकवादियों की फ़ौज जिसे पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और पाकिस्तान सरकार मिलकर पालती है ।
भारत के 4 राज्यों की सीमा पाकिस्तान से लगती है
15 हज़ार किलोमीटर लंबी सीमा में भारत को सबसे ज्यादा सावधान रहना होता है पाकिस्तान से लगने वाली सीमा में, इस सीमा में अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी है तो 788 किलोमीटर लंबी एलओसी भी है जो इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान अब भी भारत के एक हिस्से में कब्ज़ा जमाए बैठा है । भारत की 3,323 किलोमीटर लंबी सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है । भारत के चार राज्यों की सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है । जिसमें गुजरात की 508 किलोमीटर, राजस्थान की 1037 किलोमीटर, पंजाब की 533 किलोमीटर और जम्मू और कश्मीर की 1225 किलोमीटर सीमा शामिल है।
ऑपरेशन डेजर्ट हॉक
1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध को भारतीय इतिहास में मात्र हाशिए की जगह मिलती है। लोगों की यादों में भी उस युद्ध की वो जगह नहीं है जो शायद 1962 के भारत चीन युद्ध या 1971 के बांगलादेश युद्ध की है । कारण शायद ये है कि इस लड़ाई से न तो हार की शर्मसारी जुड़ी है और न ही निर्णायक जीत का उन्माद । घटना के 62 साल बाद तस्वीरें या तो ज़हन से पूरी तरह मिट जाती हैं या धुंधली पड़ जाती हैं । लेकिन इससे एक फ़ायदा भी होता है। बीता हुआ समय तस्वीर को एक बेहतर परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है। 1965 युद्ध की शुरुआत अप्रैल में रन ऑफ कच्छ में पाकिस्तान के ऑपरेशन डेजर्ट हॉक से हुआ। पाकिस्तान ने कच्छ के बड़े हिस्से पर अपना हक जताया। पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ रची गई युद्ध की साजि़श का पहला चरण ऑपरेशन डेजर्ट हॉक था।
ऑप्रेशन जिब्राल्टर
30 जून को सीजफायर हुआ, लेकिन इसके बाद पाकिस्तान ने दूसरा ऑप्रेशन जिब्राल्टर शुरू कर दिया। जवाब में भारत ने 28 अगस्त को हाजीपीर पर कब्जा कर लिया। इसके तुंरत बाद पाकिस्तान ने अपना तीसरा ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू कर दिया। 1 सितंबर को छम्ब से भारत में घुसकर वह अखनूर पुल तक आ पहुंचा। यहां से पाकिस्तान का ध्यान बंटाने के लिए भारत ने 6 सितंबर को पंजाब फ्रंट खोला और फौजें बरकी तक जा पहुंची, लाहौर अब दूर नहीं था।
लाहौर पर हो जाता कब्जा
लाहौर में भारतीय सेना की तीन डिविजन ने हमला बोला। 6 सितंबर 1965 को सुबह 4 बजे भारतीय सेना की XI कोर पाक के कई इलाकों पर कब्जा कर हमले को अंजाम तक लेकर गई। सेना ने पहली बार एलओसी को पार कर लाहौर और सियालकोट पर अटैक किया था। इसके साथ ही भारत ने आधिकारिक रूप से युद्ध की शुरुआत कर दी थी। 7 सितंबर को भारतीय फौजों ने सियालकोट सेक्टर में बढ़त लेनी शुरू की। इधर अमृतसर पर कब्ज़े के इरादे से 7 सितंबर को पाकिस्तान ने खेमकरण पर हमला बोला और 8 सितंबर तक असल उत्तर गांव तक आ पहुंचा और यहां लड़े गए टैंक युद्ध को सबसे भीषण युद्ध में से एक कहा गया। पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण में भारत से कमजोर साबित होने के बाद पाकिस्तान थम गया। भारत ने पाकिस्तान के सियालकोट, लाहौर और कश्मीर के कुछ उपजाऊ इलाके जीत लिए थे। पाकिस्तान ने भारत के छंब और सिंध जैसे इलाकों पर कब्जा किया था। भारत फायदे में था और पाकिस्तान नुकसान में। 23 सितंबर को दोनों देशों की तोपों और बंदूकों ने आग उगलनी बंद की। युद्ध का अंत संयुक्त राष्ट्र द्वारा सीजफायर की घोषणा के साथ हुआ।
कच्छ से ताशकंद
25 मई 1965 : पाक का कच्छ में ऑपरेशन डेजर्ट हॉक लॉन्च।
30 जून: सीजफायर
5 अगस्त 1965 : पाक का कश्मीर में ऑपरेशन जिब्राल्टर लॉन्च
28 अगस्त 1965 : भारत का हाजीपीर और अन्य कश्मीरी इलाकों पर कब्जा
1 सितंबर 1965 : पाकिस्तान का ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम लॉन्च
6 सितंबर 1965 : भारत ने पंजाब फ्रंट खोला और लाहौर की ओर बढ़ा
7 सितंबर 1965 : भारत ने पाक के सियालकोट में बढ़त ली
8 सितंबर 1965 : पाकिस्तान ने राजस्थान के मुनाबाउ पर हमला किया
8 से 10 सितंबर 1965 तक : खेमकरण असल उत्तर में पैटन तबाह
22 सितंबर तक सभी फ्रंट्स पर युद्ध और फिर सीजफायर
11 जनवरी 1966 को ताशकंद में समझौता