By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 09, 2021
काबुल/पेशावर। अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद, उनके दो उपप्रधानमंत्रियों समेत तालिबान की अंतरिम सरकार के कम से कम 14 सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची में हैं जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ गयी है। वैश्विक आतंकवादी घोषित सिराजुद्दीन हक्कानी को कार्यवाहक गृहमंत्री बनाया गया है वहीं सिराजुद्दीन हक्कानी के चाचा खलील हक्कानी को शरणार्थी मामलों का कार्यवाहक मंत्री नामित किया गया है। सिराजुद्दीन के सिर पर पर एक करोड अमेरिकी डॉलर का इनाम घोषित है।
कार्यवाहक रक्षामंत्री मल्ला याकूब, कार्यवाहक विदेश मंत्री मुल्ला अमीर खान मुत्ताकी, उपविदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनिकजई भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 1988 प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध है। इसे तालिबान प्रतिबंध समिति के नाम से भी जाना जाता है। बीबीसी ऊर्दू ने खबर दी, ‘‘ तालिबान की अंतरिम सरकार के कम से कम 14 सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची में हैं।’’ अफगानिस्तान के 33 सदस्यीय मंत्रिमंडल में चार ऐसे नेता शामिल हैं जो ‘तालिबान फाइव’ में शामिल थे। उन्हें गुआंतानामो जेल में रखा गया था। उनमें मुल्ला मोहम्मद फाजिल (उपरक्षामंत्री), खैरूल्लाह खैरख्वा (सूचना एवं संस्कृति मंत्री), मुल्ला नूरुल्लाह नूरी (सीमा एवं जनजातीय विषयक मंत्री) तथा मुल्ला अब्दुल हक वासिक (खुफिया निदेशक) शामिल हैं। इस समूह के पांचवें सदस्य मोहम्मद नबी उमरी को हाल में पूर्वी खोस्त प्रांत का गवर्नर नियुक्त किया गया।
‘तालिबान फाइव’ नेताओं को 2014 में ओबामा प्रशासन ने रिहा किया था। फाजिल और नूरी पर 1998 में शिया हजारा, ताजिक और उज्बेक समुदायों के नरसंहार का आदेश देने का आरोप है। तालिबान ने एक ऐसी समावेशी सरकार का वादा किया था जो अफगानिस्तान की जटिल जातीय संरचना का परिचायक हो लेकिन मंत्रिमंडल में कोई हजारा सदस्य नहीं है। मंगलवार को घोषित किये गये सारे मंत्री पहले से ही स्थापित तालिबान नेता हैं जिन्होंने 2001 से अमेरिकी नीत गठबंधन सेना के विरूद्ध लड़ाई लडी। अंतरिम मंत्रिमंडल में किसी महिला को भी जगह नहीं मिली है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन को संयुकत राष्ट्र प्रतिबंध रिपोर्ट में तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का करीबी बताया गया है। वह फिलहाल निर्णय लेने वाले शक्तिशाली निकाय रहबरी सूरा के प्रमुख हैं।
दोनों उपप्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और मौलवी अब्दुल सलाक हनाफी भी संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में हैं और उन पर मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल रहने के आरोप हैं। अंतरिम सरकार की घोषणा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हमीद की पिछले सप्ताह की अघोषित काबुल यात्रा के बाद की गयी है। हक्कानी नेटवर्क के शीर्ष नेताओं, जिनके बारे में समझा जाता है कि उनके आईएसआई से संबंध है, को शामिल करना पाकिस्तान खासकर उसकी खुफिया एजेंसी का तालिबान पर प्रभाव का संकेत है।