मिलिये मोदी मंत्रिमंडल के 10 सर्वश्रेष्ठ मंत्रियों से जिन्होंने अपने काम की बदौलत बनाई नई पहचान

By नीरज कुमार दुबे | May 30, 2020

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली वर्षगाँठ पर जहाँ भाजपा अपनी उपलब्धियों का बखान कर रही है वहीं तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार को विभिन्न मोर्चों पर विफल बता रहे हैं। लेकिन किसी के कह देने भर से कोई सफल या विफल नहीं हो जाता। जनता स्वयं आकलन करती है कि कौन सफलतापूर्वक काम कर रहा है और कौन सिर्फ बातें कर रहा है। जनता इसी को आधार बना कर जनादेश देती है और लगातार दो बार से जनादेश नरेंद्र मोदी के पक्ष में आ रहा है। यह सही है कि 2019 का लोकसभा चुनाव पूरी तरह से नेतृत्व के मुद्दे पर लड़ा गया था और भाजपा ने बड़े ही रणनीतिक तरीके से लोकसभा चुनाव को 543 सीटों के उम्मीदवारों का चुनाव नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री पद का सीधा चुनाव बना दिया था जिसमें बाजी मोदी के हाथ लगी। मोदी पहले से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता में आये तो उन्होंने जनाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए अपने मंत्रिमंडल में कई फेरबदल किये। अपने मंत्रिमंडल में उन्होंने अनुभव के साथ-साथ प्रशासनिक क्षमता को भी वरीयता दी और जातिगत समीकरणों को भी बखूभी साधा। मोदी के इस नये मंत्रिमंडल में वैसे तो कई मंत्रियों ने अपने कार्यों की बदौलत गहरी छाप छोड़ी है लेकिन आइये हम चर्चा उन 10 कैबिनेट मंत्रियों की करते हैं जोकि वर्ष भर अपने कामों के बलबूते और विभिन्न मुद्दों पर सक्रियता के कारण चर्चा में रहे।

 

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1. अमित शाह- भाजपा अध्यक्ष पद पर कार्य करते हुए अमित शाह ने सफलता की ऐसी कहानी लिखी जिसे दोहरा पाना किसी के लिए भी मुश्किल होगा। उन्होंने ना सिर्फ भाजपा को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनाया बल्कि 2019 में अपने कठिन परिश्रम और जबरदस्त चुनावी रणनीति के जरिये महागठबंधनों की चुनौतियों का भी बखूभी सामना किया और विजेता बनकर उभरे। जब वह लोकसभा चुनाव के लिए गांधीनगर जैसी प्रतिष्ठित सीट से मैदान में उतरे तभी यह साफ हो गया था कि केंद्र में भाजपा यदि लौटती है तो अमित शाह की सरकार में बड़ी भूमिका रहने वाली है। यही हुआ भी। मोदी सरकार के गठन के बाद अमित शाह को राजनाथ सिंह की जगह गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी। अमित शाह ने मंत्री पद संभालते ही जिस तरह काम करना शुरू किया उससे तमाम लोगों को पहली बार पता चला कि गृह मंत्री कितना शक्तिशाली होता है और उसके पास क्या-क्या काम होते हैं। अमित शाह ने आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई करने के उद्देश्य से कानूनों को सख्त बनाया और हमारी जांच एजेंसियों को नयी ताकत प्रदान की। इसके बाद कश्मीर में उन्होंने वो काम कर दिखाया जो अब तक के गृह मंत्री नहीं कर पाये थे। अमित शाह ने पूरी तैयारी के साथ जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों का स्वरूप प्रदान कर दिया। खास बात यह रही कि इस दौरान पुख्ता तैयारियों की बदौलत किसी प्रकार की अशांति नहीं हो पायी। कश्मीर में शांति स्थापित करने और राज्य से तमाम पाबंदियां खत्म करने के बाद गृह मंत्री ने राज्य के विकास के लिए कई नीतियां बनाईं और उन्हें आगे बढ़ाया।

 


अमित शाह ने इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून संसद में पास कराने में सफलता प्राप्त की। हालांकि इस कानून के विरोध में जिस प्रकार का दुष्प्रचार किया गया और सरकार के विरोध में तमाम शहरों में धरने-प्रदर्शन आदि आयोजित किये गये उससे देश की छवि खराब की गयी। लेकिन अमित शाह यह स्पष्ट कर चुके थे कि पीछे हटने का सवाल ही नहीं है और ऐसा ही उन्होंने किया भी। देश ने पहली बार देखा कि कोई गृह मंत्री स्वयं कह रहा है कि सीएए पर जिसके भी मन में सवाल है वह मुझसे आकर बात कर सकता है और उसे तीन दिन के भीतर मिलने का समय दिया जायेगा। अमित शाह के गृह मंत्री कार्यकाल के पहले ही साल में जब उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया तो उससे पहले अमित शाह पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता बंदोबस्त कर चुके थे और लोगों को इस बात के लिए मना चुके थे कि न्यायालय का जो फैसला आयेगा वह सभी को मान्य होगा। अदालत ने जब अपना फैसला राम मंदिर के पक्ष में सुनाया तो देश में कहीं भी अशांति की खबर नहीं आई।


इस वर्ष के प्रारम्भ में जब राष्ट्रीय राजधानी में दंगे हुए तो गृह मंत्री ने बहुत जल्द ही हालात को संभाल लिया और दंगा फैलाने वाले सभी लोगों को जेल की सींखचों के पीछे पहुँचा दिया। देश में कानून व्यवस्था को बनाये रखने की बात हो, अर्धसैन्य बलों की सुविधाएँ बढ़ाने की बात हो...गृह मंत्री ने शानदार काम किया है। यही नहीं गृह मंत्री अमित शाह जब संसद में बोल रहे होते हैं तो सभी लोग खामोशी से उनकी बात को सुनते हैं क्योंकि वह बिना तथ्य कोई बात नहीं करते। 

 

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कोरोना काल में भी स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही गृह मंत्री की भी काफी व्यापक भूमिका है। लॉकडाउन-1 से लेकर अब तक इससे जुड़े सभी मुद्दों के अलावा राज्यों के साथ समन्वय की बात हो, उनकी जरूरतें पूरी करने की बात हो, उन्हें जरूरी निर्देश देने की बात हो, लॉकडाउन पर आगे की रणनीति के लिए राज्यों से विचार-विमर्श की बात हो, प्रवासी श्रमिकों की दिक्कतों को दूर करने की बात हो, तमाम पहलुओं पर गृह मंत्री के रूप में अमित शाह दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। 


2. राजनाथ सिंह- मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में देश के गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह को जब इस बार रक्षा मंत्री बनाया गया तो सभी चौंक गये थे क्योंकि राजनाथ सिंह के लिए यह एक नया क्षेत्र था लेकिन जल्द ही राजनाथ सिंह ने उन लोगों का भ्रम तोड़ दिया जो यह मान रहे थे कि वह इस मंत्रालय में ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे। सबसे पहले तो राजनाथ सिंह ने अपनी छवि बदली। स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में यात्रा करने वाले वह पहले रक्षा मंत्री बने और उसके ठीक बाद उन्होंने फ्रांस जाकर राफेल विमान में भी उड़ान भरी और विजयादशमी के अवसर पर राफेल विमान की शस्त्र पूजा भी की। बरसों से देश को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस की जरूरत थी। 

 


राजनाथ सिंह के कार्यकाल के पहले साल में ही देश को पहले सीडीएस के रूप में बिपिन रावत मिले। यही नहीं राजनाथ सिंह ने अमेरिका में 2+2 वार्ता के जरिये और जापान, रूस तथा अन्य देशों का दौरा कर उनके साथ भारत के रक्षा संबंधों को नयी मजबूती प्रदान की और वह जिस तरह लगातार अपने विदेशी समकक्षों के साथ चर्चाएं करते रहते हैं वह दर्शाता है कि भारत की रक्षा तैयारियों, भारत को नवीनतम रक्षा प्रौद्योगीकियों से लैस करने के लिए वह कितने प्रयासरत रहते हैं। भारत को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में जिस तरह आत्मनिर्भर बनाने की कवायद चल रही है वह आने वाली पीढ़ी के लिए लाभदायक रहेगी। यही नहीं इस वर्ष जब लखनऊ में रक्षा प्रदर्शनी आयोजित की गयी तो देश-विदेश की अनेक कंपनियों ने भारत की सैन्य ताकत की झलक देखी और इस दौरान स्वदेशी रक्षा उत्पादों के निर्यात के कई करार भी हुए। सारे प्रयास इस दिशा में हैं कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आयातक से निर्यातक देश बनाया जाये। पाकिस्तान और चीन की ओर से मिल रही चुनौतियों पर भी रक्षा मंत्री सतर्क निगाह रखे रहते हैं और पाकिस्तान से निबटने के लिए तो उन्होंने सेना को खुली छूट दी हुई है। पीओके को लेकर भी राजनाथ सिंह कई बार गहरे संकेत दे चुके हैं। चीन के साथ तनाव कम करने के लिए भी उनकी कोशिशें जारी हैं इसके लिए राजनयिक और रक्षा, दोनों स्तर पर काम चल रहा है।

 

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3. डॉ. हर्षवर्धन- देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन इस समय मोदी सरकार के व्यस्ततम मंत्रियों में से एक हैं। दिल्ली में भाजपा सरकार रहने के दौरान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में डॉ. हर्षवर्धन ने पल्स पोलियो अभियान चलाया था जिसे बाद में राष्ट्रव्यापी स्तर पर अपनाया गया। इस अभियान की मदद से देश को पोलियो से निजात मिली। कोरोना वायरस का जब एक भी मामला देश में नहीं था तभी से स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अभियान चलाकर कोविड-19 से निपटने की तैयारी शुरू कर दी थी। जनवरी माह से ही रोजाना स्वास्थ्य मंत्रालय में कोविड-19 से जुड़े विषयों पर बैठकें होने लगी थीं। देश का स्वास्थ्य ढाँचा बहुत अच्छा नहीं था लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के रूप में डॉ. हर्षवर्धन ने पिछले तीन-चार माह में शानदार काम करके दिखाया है।

 


देश में इस सप्ताह तक के आंकड़ों पर गौर करें तो 930 समर्पित कोविड अस्पतालों में 1,58,747 पृथक बिस्तर हैं, 20,355 आईसीयू बिस्तर और 69,076 ऑक्सीजन सुविधा से लैस बिस्तर उपलब्ध हैं। इसके अलावा देश में कोविड-19 से निपटने के लिए 10,341 पृथक केन्द्र और 7,195 कोविड देखभाल केन्द्र और 6,52,830 बिस्तर उपलब्ध हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों और केन्द्रीय संस्थानों को 113.58 लाख एन95 मास्क और 89.84 लाख व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) उपलब्ध कराये हैं। 435 सरकारी प्रयोगशालाओं और 189 निजी प्रयोगशालाओं के जरिये देश में जांच क्षमता को बढ़ाया गया है। यह स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रयासों का ही नतीजा है कि भारत की कोविड-19 से मृत्यु दर 2.86 प्रतिशत है, जबकि विश्व औसत 6.36 प्रतिशत है। जब कोरोना वायरस ने भारत में कदम रखा था उस समय कोई जांच लैब नहीं थी जबकि आज 600 के आसपास जांच लैब हैं।


यही नहीं जब देश के कोरोना वॉरियर्स पर हमले बढ़े तो आगे बढ़ कर महामारी अधिनियम में संशोधन कराया जिससे कोरोना के खिलाफ जंग में जुटे डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने पर कड़ी सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया और उसके बाद से देखें तो स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हमले लगभग बंद हो गये हैं।

 

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इसके अलावा डॉ. हर्षवर्धन की साख का कमाल ही है कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के निदेशक बनाये गये हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय जिस तरह दिन-रात काम कर रहा है और तमाम तरह से जागरूकता लाने के प्रयास कर रहा है वह काबिलेतारीफ है। स्वास्थ्य मंत्री के रूप में डॉ. हर्षवर्धन राज्यों के हालात पर खुद भी निगाह बनाये हुए हैं और राज्यों की मुश्किलों का समाधान निकालने के साथ-साथ वह जिस तरह पृथक-वास केंद्रो, कोविड समर्पित अस्पतालों आदि के हालात का जायजा खुद जाकर लेते हैं उससे भी व्यवस्थाओं में काफी सुधार आया है।


4. नितिन गडकरी- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री के रूप में नितिन गडकरी पिछले कार्यकाल की परियोजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं साथ ही राजमार्ग के निर्माण में वह जो तेजी लाये हैं उसका मुकाबला करना कठिन है। गंगा की स्वच्छता से जुड़े उनके प्रयास भी रंग लाये हैं और एमएसएमई सेक्टर को उनके द्वारा लगातार दिखायी जा रही राह का भी सकारात्मक असर हुआ है। गौरतलब है कि एमएसएमई सेक्टर सर्वाधिक संख्या में रोजगार उत्पन्न करता है। इसी कारण प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी दूसरी पारी में इस विभाग की कमान गडकरी को सौंपी थी। हालांकि लॉकडाउन की वजह से एमएसएमई सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है लेकिन सरकार के आर्थिक पैकेज से इस सेक्टर की हालत में सुधार आने की संभावना है। 

 


गडकरी सरकार के उन कुछ मंत्रियों में शुमार हैं जोकि विकास की राजनीति करते हैं और बिना किसी लाग-लपेट के एकदम साफगोई से अपनी बात रखते हैं। गडकरी आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति नहीं करते और राजनीति में मित्र बनाना ज्यादा पसंद करते हैं। यही कारण है कि तमाम दलों में उनके मित्र हैं। गडकरी के पास आइडियाज का खजाना है और उनका सदैव यही प्रयास रहता है कि किसी भी परियोजना का खर्च कम से कम आये ताकि देश का पैसा बचे लेकिन लागत कम आने का मतलब यह नहीं है कि वह गुणवत्ता से समझौता कर लेते हैं। गडकरी ने सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को रोकने के लिए मोटर वाहन संशोधन कानून पारित करवाया और इसके लिए उन्हें राज्यों के साथ समन्वय बनाने में बहुत मेहनत भी करनी पड़ी। नितिन गडकरी चारधाम प्रोजेक्ट को लेकर भी काफी व्यस्त हैं जो उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था के विकास में महती भूमिका तो निभायेगा ही साथ ही धार्मिक यात्राओं और पर्यटन का स्वरूप भी एकदम बदल जायेगा। गडकरी नियमित रूप से उद्योग जगत के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ ऑनलाइन चर्चाएं भी कर रहे हैं और उनकी समस्याओं को सुलझाने का भी भरपूर प्रयास कर रहे हैं।


5. एस. जयशंकर- मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य कारणों का हवाल देते हुए सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया था जिसके बाद प्रधानमंत्री ने जयशंकर को विदेश मंत्रालय की कमान सौंपी। भारतीय विदेश सेवा से जुड़े रहे जयशंकर ऐसे पहले अधिकारी रहे जो सक्रिय राजनीति में आये और सीधे कैबिनेट मंत्री बन गये। मृदुभाषी और सौम्य स्वभाव वाले जयशंकर अमेरिका और चीन समेत कई देशों में भारत के राजदूत रह चुके हैं और विदेश सचिव के पद पर काम करने के उनके अनुभव को देखते हुए उनका चयन किया गया। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की बारीकियों को समझने वाले जयशंकर ने विदेश मंत्री का पद संभालते ही भारतीय विदेश नीति को नयी दिशा दी। 

 


जयशंकर की इस बात की भी तारीफ करनी होगी कि एक साल में वह किसी भी विवाद में नहीं पड़े और सकारात्मक राजनीति को लेकर ही आगे बढ़े। जयशंकर की काबिलियत उस समय देश ने देखी जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों का रूप दे दिया तो पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ्रामक बातें फैलाने लगा और मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने लगा। उस समय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विभिन्न देशों का दौरा कर वहां की सरकारों को भारत के पक्ष से अवगत कराया और देश में भी विभिन्न देशों के राजदूतों को ऐसे समझाया कि दुनिया के एकाध देश को छोड़कर कोई भी देश भारत सरकार के फैसले के विरोध में खड़ा नहीं हुआ और लगभग पूरे विश्व समुदाय ने यही कहा कि अनुच्छेद 370 हटाना भारत का आंतरिक मुद्दा है। यही नहीं चीन में जब कोरोना वायरस का प्रकोप फैला तो भारत सरकार ने बिना देरी किये वुहान से हजारों भारतीयों को सुरक्षित निकाला। इसके अलावा वंदे भारत मिशन के तहत विदेशों में फँसे हजारों भारतीयों को वायु मार्ग और जल मार्ग से निकालने का काम भी निरंतर जारी है। इसके अलावा विदेश स्थित भारतीय मिशन इस बात के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं कि वहां रह रहे भारतीयों के हित सुरक्षित रहें और उनके रोजगार संबंधी दिक्कतों को भी दूर किया जा सके। अमेरिका में एच1बी वीजा मुद्दे को लगातार अमेरिकी प्रशासन के समक्ष उठा कर हजारों अनिवासी भारतीयों के हितों की रक्षा की जा रही है।

 

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6. निर्मला सीतारमण- वित्त मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण के कार्यों का अभी तक निष्पक्ष आकलन नहीं हुआ है। यकीनन उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने और पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए असाधारण उपाय किये हैं। देश ने उनके रूप में ऐसा वित्त मंत्री पहली बार पाया है जो समाज के विभिन्न वर्गों के साथ बजट पूर्व चर्चाओं में ही सिर्फ विश्वास नहीं रखता है बल्कि बजट के बाद भी बड़े-बड़े शहरों में जाकर लोगों की राय लेता है। याद कीजिये इससे पहले किस वित्त मंत्री ने कॉरपोरेट टैक्स में 10 प्रतिशत की बड़ी कटौती की थी? याद कीजिये इससे पहले किस वित्त मंत्री ने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए 1 अक्तूबर, 2019 से देश में विनिर्माण कंपनी लगाने वाले कारोबारियों को भी राहत प्रदान करते हुए उनके कर की दर को 25 से घटा कर 15 प्रतिशत किया था? माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से अपना स्टार्टअप शुरू करने की योजना पर विचार कर रहे लोगों का हौसला बढ़ेगा और वह उद्योग लगाने को आगे आएंगे। 

 


लॉकडाउन के समय में देश को दिये गये आर्थिक पैकेजों, तमाम तरह की राहतों आदि से भी लोगों को सीधा लाभ मिला है। 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज से सभी वर्गों को कुछ ना कुछ राहत मिले, इसकी चिंता भी वित्त मंत्री ने की। वित्त मंत्री के प्रयासों से कालाधन रखने वालों पर नकेल कसी गयी है और वित्तीय अनुशासन बढ़ा है। यह सही है कि राजकोषीय घाटा बढ़ा है लेकिन मुद्रास्फीति लगातार नियंत्रण में है। वित्त मंत्री ने एनपीए के मुद्दे पर बैंकों पर लगाम भी लगायी है। साथ ही वित्त मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण की एक बड़ी उपलब्धि यह रही कि बैंक के पैसे का घोटाला करने वाले प्रमोटरों को उन्होंने जेल की सलाखों के पीछे पहुँचाया और बड़ी ही समझदारी से महाराष्ट्र के पीएमसी बैंक और निजी क्षेत्र के येस बैंक को डूबने से बचाया जिससे खाताधारकों के हित सुरक्षित रहे। यही नहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय करने और इस निर्णय को बिना किसी परेशानी के उन्होंने अमली जामा भी पहनाया। 

 

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7. हरदीप पुरी- शहरी विकास मंत्री के रूप में हरदीप सिंह पुरी ने कई नये प्रयोग किये हैं ताकि सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जा सके और शहरों की बुनियादी ढाँचे संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सके। दिल्ली में विधानसभा चुनावों से पहले अनाधिकृत कालोनियों को नियमित करने का बड़ा काम भी हरदीप सिंह पुरी ने कर दिखाया जोकि अरसे से लंबित था। पुरी के पास नागर विमानन मंत्रालय का जिम्मा भी है जहां उन्होंने कई असाधारण काम कर दिखाये। 

 


चीन में जब कोरोना वायरस फैला तो वहां से भारतीयों को निकालने के लिए विशेष उड़ानें चलाने की बात हो या फिर इस समय वंदे भारत मिशन के तहत विदेशों में फँसे लोगों को स्वदेश वापस लाने की बात हो, नागर विमानन मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है। यही नहीं जब लॉकडाउन के चलते विमान सेवाएं भी बंद हो गयीं तब हवाई अड्डों पर कोविड-19 से बचने के लिए तमाम सुविधाओं को स्थापित किया गया और एयर एंबुलेंसों, डाक उड़ानों, जरूरी सामान की आपूर्ति करने के लिए विशेष उड़ानों आदि की व्यवस्थाएं की गयीं। इसके अलावा हवाई अड्डे को पेपरलैस बनाने के साथ ही ऐसी व्यवस्थाएँ की गयीं कि लोग एक दूसरे के संपर्क में कम से कम आयें। साल भर के अभी तक के कार्यकाल में हरदीप पुरी ने पिछले कुछ दिनों में जो काम कर दिखाया है उससे वह सर्वाधिक काम करने वाले 10 मंत्रियों की सूची में पहुँच गये हैं। यही नहीं उड़ान योजना को भी अब काफी विस्तार दिया जा चुका है और हवाई अड्डों की दशा में अब पहले से काफी सुधार देखने को मिलता है। एयर इंडिया जिस पर अब भी बिकने का खतरा मँडरा रहा है उसकी हालत में हरदीप पुरी के कार्यकाल में उल्लेखनीय सुधार भी हुआ है।

 

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8. पीयूष गोयल- रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी मोदी सरकार के चर्चित मंत्रियों में से एक हैं। उन्हें रेल मंत्रालय की कमान मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के अंतिम दिनों में ही मिल गयी थी और तब से रेल दुर्घटनाओं में बहुत बड़ी कमी आई है। हालांकि रेलवे में अब भी काफी काम बाकी है। वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत अच्छा कदम रही और रेलों में साफ-सफाई और भोजन की गुणवत्ता में भी सुधार आया लेकिन अब भी ट्रेनों का समय पर संचालन दूर की कौड़ी बनी हुई है। लॉकडाउन के बाद प्रवासी श्रमिकों को उनके गृहराज्य तक पहुँचाने के लिए भी रेल मंत्रालय ने बड़ा अभियान चलाया लेकिन इसमें कई खामियाँ सामने आईं जिसे दूर भी किया गया। 

 


वाणिज्य मंत्री के रूप में पीयूष गोयल व्यापार समझौता खासकर अमेरिका के साथ भारत के व्यापार समझौते की राह में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। विदेशी निवेष आकर्षित करने के लिए प्रधानमंत्री ने जो टीम बनायी है उसका भी पीयूष गोयल अहम हिस्सा हैं। वह लगातार विदेशी निवेश आकर्षित करने के प्रयास कर रहे हैं उनकी नजर उन विदेशी कंपनियों पर भी है जो चीन छोड़कर बाहर आना चाहती हैं। इसके अलावा पीयूष गोयल वेबीनार के माध्यम से उद्योग जगत की तमाम हस्तियों के साथ संपर्क में हैं। देश का निर्यात बढ़ाने और सप्लाई चेन को सुदृढ़ करने पर भी उनका पूरा ध्यान है। पीयूष गोयल की एक कामयाबी यह भी रही कि उनके कार्यकाल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ा है। पीयूष गोयल का प्रयास है कि तकनीक, आर्थिक सहायता, बिजली तथा भूमि आदि से संबंधित उद्योगों की सभी चिंताओं को दूर किया जाये। इसके अलावा राज्यसभा में उप-नेता पद पर रहते हुए भी वह फ्लोर मैनेजमेंट का काम शानदार तरीके से कर रहे हैं और यही कारण है कि पिछले सत्रों में राज्यसभा में बहुमत नहीं होते हुए भी मोदी सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सफल रही।


9. मुख्तार अब्बास नकवी- मोदी कैबिनेट में एकमात्र मुस्लिम चेहरा मुख्तार अब्बास नकवी देश के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री हैं। मंत्रालय की कमान मिलते ही उन्होंने इसकी दशा और दिशा ही बदल दी। उनसे पहले के मंत्री जहां सिर्फ समुदाय की राजनीति ही करते रहे वहीं नकवी ने अल्पसंख्यकों को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किये। हुनर हाट को जिस तरह उन्होंने प्रोत्साहित किया है उससे यह लोकप्रिय आयोजन बन गया है। इस मंच के माध्यम से बड़ी संख्या में अल्पसंख्यकों को अपना हुनर दिखाने और अपने कारोबार को आगे बढ़ाने का मौका मिला है। 

 


इतिहास में पहली बार शायद मुस्लिम बच्चियों की इतनी चिंता किसी मंत्री ने की। नकवी ने मंत्री बनते ही एक बड़ा फैसला किया जिसके तहत मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल में ढाई करोड़ मुस्लिम बेटियों की पढ़ाई के लिए प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति दी जायेगी। यानि हर साल 50 लाख बच्चियों के लिए पैसे सीधे उनके अकाउंट में जाएंगे। यही नहीं नकवी के ही कार्यकाल में तीन तलाक जैसी कुप्रथा समाप्त हो पाई। इसके अलावा अल्पसंख्यक महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण के अलावा शादी-शगुन नामक योजना भी शुरू की गयी। इस साल के शुरू में जब प्रधानमंत्री ने अपने 36 मंत्रियों को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने भेजा था तो कश्मीर घाटी में लोगों के बीच जाकर नकवी ने सरकार के प्रति जनता के विश्वास को बढ़ाने का काम किया।


10. रामविलास पासवान- केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान की भूमिका इस समय काफी महत्वपूर्ण हो गयी है क्योंकि कोरोना संकट के इस दौर में वह इस बात की पूरी चिंता कर रहे हैं कि गरीबों, श्रमिकों को भूखे पेट नहीं सोना पड़े। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत बीपीएल परिवारों को तीन माह का राशन पहले ही मुफ्त दिया जा चुका है इसके अलावा तीन और माह का राशन दिये जाने की प्रक्रिया चल रही है। जिसमें केंद्र अपनी तरफ से राज्यों को खाद्य सामग्री भेज चुका है। 

 


खाद्य मंत्री पासवान इस बात की पूरी निगरानी करते हैं कि जितना गेहूं, जितना चावल, जितनी दाल राज्यों ने उठाई है वह जरूरतमंदों तक पहुँच रही है या नहीं। यही नहीं रामविलास पासवान 'वन नेशन वन राशन कार्ड' की महत्वाकांक्षी योजना भी लेकर आये हैं जिसके तहत राशनकार्ड धारी व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से में अपना राशन ले सकेगा। यही नहीं पासवान ने सरकार में दोबारा मंत्री बनते ही उपभोक्ताओं के हित में एक विधेयक भी संसद में पारित कराया। इस विधेयक में उपभोक्ताओं के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने और खराब सामग्री, सेवा के संबंध में शिकायतों के निवारण के लिए एक व्यवस्था कायम करने का प्रयास किया गया है। नई व्यवस्था में केंद्र और राज्य सरकारों को उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण में न्यायिक और गैर न्यायिक सदस्य नियुक्त करने का अधिकार भी मिल गया है।


-नीरज कुमार दुबे


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