By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 25, 2019
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और अन्य दूरसंचार परिचालकों को सरकार को 1.4 लाख करेाड़ रुपये देने पड़ सकते हैं। उच्चतम न्यायालय के आदेश से दूरसंचार उद्योग को झटका लगा है जो पहले से अरबों डॉलर के कर्ज तथा ग्राहकों को बनाये रखने के लिये शुल्क कटौती युद्ध से जूझ रहे हैं। दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों को बृहस्पतिवार को उस समय बड़ा झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने उनसे करीब 92,000 करोड़ रुपये की समायोजित सकल आय की वसूली के लिए केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली।
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न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाहकी तीन सदस्यीय पीठ ने दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार की गयी समायोजित सकल आय की परिभाषा बरकरार रखी है। सरकार ने संशोधित आय के आधार पर लाइसेंस शुल्क मद में भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और कई बंद हो चुकी दूरसंचार परिचालकों से 92,000 करोड़ रुपये की मांग की है।लेकिन स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क, जुर्माना और ब्याज को जोड़ने के बाद वास्तविक भुगतान करीब 1.4 लाख करोड रुपये बैठेगा। सूत्रों ने कहा कि अगले कुछ दिनों में आंकड़ों पर विचार किया जाएगा।
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पुरानी दूरसंचार कंपनियां सर्वाधिक प्रभावित होंगी जबकि दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो के ऊपर सबसे कम राशि बनेगी। कंपनी 2016 में अस्तित्व में आयी। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद वोडाफोन-आइडिया का शेयर 23 प्रतिशत लुढ़ककर निचले स्तर पर आ गया। वहीं एयरअेल का शेयर 9.7 प्रतिशत नीचे आया। वहीं जियो की मूल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज 3.2 प्रतिशत मजबूत हुआ।
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एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि दूरसंचार परिचालकों के ऊपर सभी देनदारी का नये सिरे से आकलन किया जाएगा। कुल राशि करीब 1.34 लाख करेाड़ रुपये हे। यह 4-5 प्रतिशत ऊपर जा सकता है।लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क समेत भारती एयरटेल पर सर्वाधिक 42,000 करोड़ रुपये की देनदारी बन रही है।वहीं वोडाफोन-आइडिया पर यह 40,000 करोड़ रुपये बैठेगा। जियो को केवल 14 करोड़ रुपये के आसपास देना पड़ सकता है।शेष राशि एयरसेल और रिलायंस कम्युनिकेशंस जैसे अन्य परिचालकों पर निकल सकती है।