जानते हैं दुनिया का सबसे बड़ा मच्छर कहां है और इसके काटने से क्या होता है?

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 30, 2018

छोटे बच्चे जब चलना सीखते हैं तो चलते-चलते कई बार गिर भी जाते हैं तब बच्चे के रोने पर मां कहती है कोई बात नहीं बेटा उठो देखो मच्छर मर गया और बच्चा रोना भूलकर खुशी-खुशी खड़े होकर वापस चलने पर फोकस करता है। कहने का मतलब है कि बचपन से ही मच्छरों ने इंसानों को इतना परेशान कर रखा है कि उसके हाथों यदि यह मर भी जाए तो दुःख नहीं बल्कि खुशी मिलती है। बचपन तो ठीक है बड़े होने तक भी हमें मच्छरों के काटने का भय बना रहता है। मच्छरों के काटने से बचने उन्हें मारने के लिए तरह-तरह के कीटनाशक कई नए-नए तरीके, उत्पाद अपना अच्छा खासा बाजार जमाए बैठे हैं बावजूद इसके मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों में लगातार इजाफा ही हो रहा है। 

 

आज मच्छरों का खौफ इतना बढ़ चुका है कि यह छोटा सा कीट एक विशाल राक्षस नजर आने लगा है। विशाल राक्षस से याद आया हाल ही में चीन में एक भयंकर सा दिखने वाला इतना बड़ा मच्छर पाया गया जिसे मच्छरों की प्रजाति का राक्षस मच्छर कहा जा सकता है। सामान्य तौर पर मच्छरों का आकार जहां 3 से 6 मिमी तक ही होता है इस विशाल मच्छर का आकार 11.15 सेंटीमीटर यानि लगभग 4.5 इंच है। इस मच्छर की खोज हाल ही में चीन के सिचुआन प्रांत में हुई है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा मच्छर कहा जा रहा है। इस मच्छर को पश्चिम चीन के कीट संग्रहालय ‘इंसेक्ट म्यूजियम ऑफ वेस्ट चाइना’ के क्यूरेटर झाओ ली ने पिछले साल अगस्त में चेंगदू के माउंट किंगिंचेंग की यात्रा के दौरान खोजा था।

 

झाओ ली के मुताबिक इस मच्छर का संबंध दुनिया की सबसे लंबी मच्छर की प्रजाति ‘होलोरूसिया मिकादो’ से है। यह प्रजाति पहली बार जापान में पाई गई थी जिसका आकार आठ सेंटीमीटर था। इसे ‘होलोरूसिया मिकादो’ नाम ब्रिटिश कीट विज्ञानी जॉन ओब्दैयाह वेस्टवुड ने 1876 में दिया था। झााओ ली के अनुसार इस प्रजाति के मच्छरों का शरीर इतना बड़ा होता है कि ये ठीक से उड़ भी नहीं पाते। उड़ते समय ये ऐसे दिखते हैं जैसे कुलांचे मार रहे हों। ये मच्छर ज्यादातर उन इलाकों में पाए जाते हैं जहां पेड़-पौधों की बहुतायत होती है। इस प्रजाति के वयस्क मच्छरों का जीवन कुछ ही दिन का होता है। 

 

चीन में इस प्रजाति के मच्छर सिचुआन के पश्चिमी हिस्सों में मुख्य रूप से चेंगदू के मैदानी इलाकों में और 2200 मीटर से नीचे पर्वतीय इलाकों में मिलते हैं। इन्हें क्रेन फ्लाई भी कहा जाता है। ली के अनुसार ये मच्छर दिखने में भले ही खतरनाक लगते हैं किन्तु इनसे डरने जैसी बात नहीं है। ये इंसानों अथवा जानवरों का खून नहीं चूसते बल्कि फूलों से पराग सेवन कर जीते हैं। गौरतलब है कि दुनिया भर में मच्छरों की हजारों प्रजातियां हैं जिनमें से मात्र 100 प्रजातियां ही ऐसी होंगी जो खून पर पलती हैं।

 

-अमृता गोस्वामी

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