प्रवासी मजदूरों को लेकर राजनीति गर्म, पीयूष गोयल ने दिया विपक्ष के सभी आरोपों का जवाब
By अंकित सिंह | May 15, 2020
कोरोना संकट काल में प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजने को लेकर राजनीति जारी है। विपक्ष केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर है और आरोप लगा रहा है कि सरकार इन प्रवासी मजदूरों को भूल चुकी है। सरकार पर अमानवीय होने का भी आरोप लग रहा है। दरअसल ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हजारों की तादाद में प्रवासी मजदूर सड़कों पर पैदल चलते हुए अपने गृह राज्य लौटने को मजबूर हैं। भले ही केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि उसने श्रमिक ट्रेनों की व्यवस्था कर रखी है लेकिन अभी वे ट्रेनें मजदूरों की पहुंच से दूर है। मध्य प्रदेश की सड़कें हों या फिर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश की सड़क के हो या फिर अन्य राज्यों की, हर तरफ आपको मजदूर दिखाई देंगे जो मजबूरी में अपने घर को लौट रहे हैं।
विपक्ष के इन्हीं आरोपों का जवाब केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दिया। पीयूष गोयल ने सीधा सीधा पश्चिम बंगाल, झारखंड, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकारों पर हमला करते हुए कहा कि हम तो श्रमिकों के लिए ट्रेन की व्यवस्था कर चुके हैं लेकिन यह राज्य उन्हें आने की मंजूरी नहीं दे रही हैं। पीयूष गोयल ने दावा किया कि रेलवे हर दिन 300 से ज्यादा श्रमिक ट्रेन चलाने को तैयार है। उन्होंने पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि 1 मई से लेकर 15 मई तक पश्चिम बंगाल में सिर्फ दो ही ट्रेनें जा सकी हैं जबकि वहां तो हर रोज 100 से भी ज्यादा ट्रेनों की आवश्यकता है। बंगाल की सरकार राज्य में ट्रेनों की आने की मंजूरी नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार लगातार पश्चिम बंगाल से उनके प्रवासियों को भेजने के लिए चिट्ठी लिख रही है परंतु उसका कोई जवाब नहीं मिल रहा है। राज्य सरकारों के इन रवैया को गोयल ने शर्मनाक बताया। गोयल ने प्रवासी मजदूरों को आश्वासन दिया कि आप पैदल ना निकले, किसी बस या ट्रक पर ना जाएं। आप अपने पास के स्टेशन पर जाएं और वहां से रेलवे आपको आपके गंतव्य स्थान तक पहुंचाएगा। गोयल ने जिन राज्यों ने सबसे ज्यादा प्रवासी ट्रेनों को मंजूरी दी है उनके लिए प्रशंसा भी की। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 487 ट्रेनों को आने इजाजत दी है, बिहार सरकार ने 254 ट्रेनों को, ममता बनर्जी ने मात्र 9 ट्रेनों को आने की अनुमति दी है। कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ ने मात्र 10 ट्रेनों को, झारखंड में मात्र 48 ट्रेनों को प्रवेश करने की अनुमति मिली है।
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केंद्रीय रेल मंत्री ने किराए को लेकर भी अपनी चुप्पी तोड़ी। दरअसल पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे इन प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य तक भेजने के लिए जितने भी खर्च हो रहे हैं उसका 85 परसेंट हिस्से का वहन कर रहा है जबकि 15 तीसरी राज्य सरकार को देनी है। कुछ राज्य सरकार इस किराए को उसी वक्त दे रही हैं तो कुछ इसे बाद में देने की भी बात कर रही है। उन्होंने मजदूरों के टिकट पर कहा कि यह बात सत्य है कि मजदूर टिकट ले रहे हैं। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि स्टेशन पर भीड़ भार इकट्ठा ना हो और संक्रमण फैलने का खतरा उत्पन्न ना हो। बिहार, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा का उदाहरण देते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि बिहार सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार और उड़ीसा सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि मजदूर वहां जाते हैं और उन्हें टिकट का पैसा दे दिया जाता है। इसके साथ ही साथ उन्हें अतिरिक्त पैसे भी मिल जाते हैं। ऐसे में सिर्फ इसे राजनीति का मुद्दा बनाया जा रहा है जोकि शर्मनाक है।
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स्पेशल ट्रेनों पर बात करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि राज्यों के बीच आवाजाही को ज्यादा दिनों तक ठप नहीं रखी जा सकती है। इसी को देखते हुए सरकार ने उन लोगों के लिए इन विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की है जो अपने घर जाना चाहते है। जब उनसे पूछा गया कि क्या आने वाले दिनों में ट्रेनों का सफर अब ऐसा ही होने वाला है। तो उन्होंने साफ तौर पर संकेत दिया कि हां इसके लिए हम सभी को तैयार रहना होगा। गोयल ने कहा कि अब हमें कोरोना के साथ ही जीना होगा। ऐसे में हमें सतर्कता बरतनी होगी। फिलहाल रेलवे कंबल या चादर नहीं देने जा रहा है, ना हीं ट्रेनों में खाने पीने की व्यवस्था होगी। लॉक डाउन खत्म होने के बाद भी हमें इसी तरीके के सफर के लिए तैयार रहना होगा।