By अनुराग गुप्ता | Sep 20, 2021
नयी दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी को मजबूत करने की दिशा में पहल कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी अपनी टीम को फिर से मजबूत कर रहे हैं। हालांकि पिछली बार उनके अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद टीम विखर गई थी और कुछ ने तो भविष्य की अनिश्चिताओं को देखते हुए पार्टी का भी साथ छोड़ दिया था।
कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के पदाधिकारियों के साथ डिजिटल कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा था कि जो लोग हकीकत और भाजपा का सामना नहीं कर सकते वो पार्टी छोड़ सकते हैं और निडर नेताओं को कांग्रेस में लाना चाहिए। राहुल ने यह बात जुलाई में कही थी लेकिन अब इसके मायने समझ में आने लगे हैं।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल कराने की योजना तैयार है। राहुल चाहते हैं कि प्रशांत किशोर को जल्द से जल्द पार्टी में लाया जाए। वहीं राहुल ने हाल ही में जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ नेता कन्हैया कुमार से भी मुलाकात की थी। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने की संभावनाएं जताई जाने लगी।
कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं युवा नेता
प्राप्त जानकारी के मुताबिक भाकपा के भीतर सहज नहीं महसूस कर पा रहे कन्हैया कुमार और गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी इस महीने के आखिर तक कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कन्हैया और जिग्नेश 28 सितंबर को शहीद भगत सिंह की जयंती पर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। इनके अलावा अलग-अलग राज्यों के कई युवा नेताओं को राहुल ने चिन्हित किया है और उन्हें जल्द ही पार्टी में शामिल कराया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि गुजरात प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ही कन्हैया और जिग्नेश को लेकर पार्टी के आलानेतृत्व के बीच बातचीत की मध्यस्थता कर रहे हैं।
बिखर गई थी राहुल की टीम
लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद राहुल गांधी ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस कार्यसमिति के समक्ष स्पष्ट कर दिया था कि उनकी बहन प्रियंका को अध्यक्ष बनाने के बारे में बिल्कुल भी न सोचा जाए। राहुल के इस्तीफे के बाद उनके वफादार माने जाने वाले युवा नेता बिखर गए। पार्टी ने उन्हें साइडलाइन कर दिया। जिसके बाद कुछ ने तो पार्टी छोड़ दी और कुछ सक्रिय राजनीति से दूर हो गए।
आपको बता दें कि राहुल के मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। जिसकी वजह से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिर गई और फिर उन्हें भाजपा ने मंत्री बना दिया। जितिन प्रसाद ने भी अपना रास्ता बदल लिया और भाजपा में चले गए। सचिन पायलट ने भी कोशिश की थी लेकिन उनकी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया, अभी वो कांग्रेस में ही हैं और खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं। जबकि सुष्मिता देव ने कांग्रेस छोड़कर ममता के खेमे से जुड़ गईं लेकिन अपनी पुरानी पार्टी के बारे में कुछ भी उल्टा सीधा नहीं कहा।
राहुल की टीम के नेताओं ने एक-एक कर पार्टी को अलविदा कहा। जिसके बाद राहुल पर सवाल खड़ा हुआ। पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने तो सुष्मिता देव के जाने पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि जब युवा चले जाते हैं तो बूढ़ों को इसे मजबूत करने के प्रयासों के लिए दोषी ठहराया जाता है। पार्टी आगे बढ़ती रहती है वो भी आंखें बंद करके। लेकिन कपिल सिब्बल के इस ट्वीट का जवाब राहुल गांधी के कुछ वक्त पहले दिए गए बयान में दिखाई देता है।
क्या बोले थे राहुल ?
राहुल ने कहा था कि बहुत सारे लोग जो डरे हुए नहीं है, लेकिन कांग्रेस से बाहर हैं। ऐसे सभी लोग हमारे हैं। उन्हें अंदर लाइए और जो हमारी पार्टी में हैं और डरे हुए हैं उन्हें बाहर करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि ये आरएसएस के लोग हैं और उन्हें बाहर जाना चाहिए, उन्हें आनंद लेने दीजिए। हम उन्हें नहीं चाहते हैं, उनकी जरूरत नहीं है। हमें निडर लोगों की जरूरत है। यही हमारी विचारधारा है। यही आप लोगों को मेरा बुनियादी संदेश है। इस दौरान उन्होंने अपने करीबी मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने की बात भी कही। उन्होंने कहा था कि उन्हें अपना घर बचाना था, वह डर गए और आरएसएस के साथ चले गए।