By अनन्या मिश्रा | Apr 30, 2024
पुराने जमाने के गुरुओं व ऋषियों के पैर धोने की परंपरा थी। क्योंकि ऐसे महापुरुषों के चरणों की रज बेहद कल्याणकारी मानी जाती थी। हर व्यक्ति व प्राणी के शरीर का आधार पैर हैं। वहीं पैर के कमजोर होने पर शरीर ठहर नहीं सकता है। वहीं जन्मकुण्डली की ग्रह स्थिति, हाथ में स्थित रेखाओं, ग्रह-नक्षत्रों, मस्तिष्क की रेखाओं और व्यक्ति के चाल से भी भविष्य का पता लगाया जा सकता है।
प्राचीन काल में व्यक्ति के चरणों की गति और मति से लोग सरलतापूर्वक भविष्य के बारे में बता देते थे। पैरों की चिन्हों, रेखाओं और बनावट से भी भविष्य का पता लगाया जाता है। वैसे तो पैर के करीब बीस-पच्चीस भेद बताए गए हैं, जिनमें चार मुख्य हैं। जिनको सर्वोत्तम, उत्तम, मध्यम और अधम श्रेणी में रखा जाता है।
सर्वोत्तम श्रेणी
जिन जातकों के पैर लाल कमल की आभा वाले, कोमल तलवे हो, सटी हुई उंगलियां हों, पसीने से रहित, ताम्बे के समान रंग के नाखून और ऐड़ियां सुन्दर हों। ऐसा व्यक्ति देश और विदेश में ख्याति पाते हैं। साथ ही यह जातक हर जगह सम्मानित होते हैं।
उत्तम पैर
जिन जातकों के पैरों का गुलाबी रंग का तलवा, पसीने रहित पैर, पैरों की अदृश्य नसें, लालिमा लिए हुए साधारण नाखून व पैर मुलायम हों। तो ऐसा जातक का पैर उत्तम माना गया है। इस तरह के पैर वाला जातक उत्तम सलाह देने वाला, तीक्ष्ण बुद्धि वाला और थोड़े से परिश्रम से प्रसिद्ध होने वाला होता है।
मध्यम पैर
मध्यम पैर वह हैं जिनका तलवा कोमल होने के साथ सर्पाकार, हलका गुलाबी या पीलापन, गेहुआं रंग का नाखून और मामूली नस दिखाई पड़ें। वहीं पैरों की उंगलियों पर साधारण बाल हों। तो ऐसा जातक दूर की सोचने वाला, पारिवारिक चिंता से ग्रस्त और वार्तालाप में निपुण होता है।
अधम पैर
अधम पैर वाला व्यक्ति के जीवन में संघर्ष की अधिकता रहती है। जिन जातकों की ऐड़ी मोटी और जगह-जगह से कटी-फटी हों, पैर टेढ़ा-मेड़ा हो, नाखून चिपटे व छोटे-छोटे हों, पैर स्पर्श में कठोर, ऊपरी भार पर उभरी हुई नसें और काला या हरापन लिया पैर खराब माना जाता है। ऐसा व्यक्ति अपने गलत फैसलों के कारण स्वयं मुसीबतों को आमंत्रित करता है। वहीं पैर की उंगलियां रूखी हों तो व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता का आगमन होता है।