By अजय कुमार | Apr 15, 2020
जनसंख्या के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश, जिसकी कुल आबादी 23 करोड़ के करीब है, पर किसी भी सरकार के लिए कभी भी शासन करना आसान नहीं रहा। इसका सबसे बड़ा कारण था यूपी की पहचान का जाति-धर्म में बंटा रहना। वोट बैंक की सियासत के चलते यहां सरकार को नित्य प्रतिदिन नई-नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए यूपी की जनता के दिलों पर कभी भी कोई दल या नेता लम्बे समय तक राज नहीं कर पाया। कारणों पर जाया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रदेश की सत्ता पर जो भी आसीन हुआ, उसने प्रदेश के विकास से अधिक वोट बैंक की सियासत फलने-फूलने पर ज्यादा बल दिया। तमाम राजनैतिक दलों के वोट बैंक की सियासत के चलते ही बड़ी से बड़ी मुसीबत के समय भी प्रदेश की जनता कभी एकजुट नहीं हो सकी। संभवतः यह पहला मौका होगा, जब कुछ अपवादों को छोड़कर कोरोना महामारी से निपटने के लिए प्रदेश की जनता एक साथ खड़ी नजर आ रही है। इसका श्रेय प्रदेश की जनता के साथ-साथ विशेष तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। योगी की मेहनत और सख्ती के चलते उत्तर प्रदेश में कोरोना ज्यादा नहीं फैल पाया है। अगर तबलीगी जमात के कुछ लोग और उनको शरण देने वाले आड़े नहीं आते तो यूपी में कोरोना का दायरा काफी संकुचित नजर आ रहा था।
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बहरहाल, अच्छी बात यह रही कि योगी सरकार तबलीगी जमात और उसको शरण देने वालों के आगे झुकी नहीं, बल्कि और सख्ती के साथ पेश आई। परिणाम स्वरूप प्रदेश में मौजूद तबलीगी जमात के लोगों को पकड़-पकड़ कर सामने लाया जा रहा है। इसीलिए योगी आदित्यनाथ सरकार पूरे देश में चर्चा बटोर रही है। राजनीति के गलियारों मे योगी मॉडल की खूब चर्चा हो रही है। जानलेवा कोरोना वायरस के बढ़ते कदम रोकने के लिए प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने विशेषकर आगरा में जो मॉडल अपनाया, उसकी तो और भी ज्यादा प्रशंसा हो रही है। एक मौके पर तो योगी मॉडल ट्विटर पर भी टॉप ट्रेंड करता दिखा। इतना ही नहीं कई राज्यों और यहां तक कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार तक ने योगी सरकार के हॉट स्पॉट मॉडल को अपने यहां भी लागू करने में हिचक नहीं दिखाई, जबकि अमूमन विरोधी दलों की सरकारें इससे बचती रहती हैं। योगी का हॉट स्पाट मॉडल तमाम राज्यों के लिए भी बड़ी उम्मीद बनकर उभरा है। योगी मॉडल की सराहना केन्दीय स्वास्थ्य मंत्रालय तक कर रहा है। इसकी वजह है देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश में कोरोना के मामले काफी कम निकल रहे हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लॉकडाउन का भी सख्ती से पालन कराया था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कोरोना का सबसे पहला कलस्टर आगरा में सामने आया था। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने पूरी सतर्कता बरती और बेहतर रणनीति के साथ कार्य करना शुरू किया। जिसके तहत जनपद के सभी हॉट स्पॉट को चिह्नित, रैपिड रिस्पॉन्स टीम, बल्क में सैंपलिंग, कॉल सेंटर की स्थापना, डोर स्टेप डिलीवरी और सभी घरों को सेनेटाइज किया गया। आज की तारीख में कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए देश में दो मॉडल की सबसे अधिक चर्चा हो रही है। एक आगरा तो दूसरा भीलवाड़ा है। बात भीलवाड़ा मॉडल की सफलता की कि जाए तो इसका सारा श्रेय वहां के जिलाधिकारी को जाता है, जिन्होंने कोरोना का पहला मामला सामने आने के बाद पूरे जिले में सख्ती से लॉकडाउन लागू किया था। वहीं आगरा में यूपी की योगी सरकार ने हॉट स्पॉट को चिह्नित करके पूरे जनपद में बिना कर्फ्यू लगाए सिर्फ हॉट स्पॉट्स को सील किया। सील क्षेत्रों में डोर स्टेप डिलीवरी के माध्यम से लोगों को आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाया गया। चिह्नित किए गए क्षेत्रों के सभी घरों को दमकल गाड़ियों के माध्यम से सैनेटाइज किया गया। इस व्यवस्था से लोग पैनिक भी नहीं हुए और कम समय में सभी केसों की पहचान कर ली गई। इस मॉडल के सफल होने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पहले चरण के तहत इसे प्रदेश के अन्य 15 जनपदों में भी लागू कर चुकी है। अभी तक योगी सरकार 150 के करीब हॉट स्पॉट चिह्नित कर चुकी है। योगी ने साफ कह दिया है, जहां कहीं एक भी केस मिलेगा, वहां पूरा इलाका सील कर दिया जाएगा।
गत दिनों स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आगरा में अपनाई गई प्रणाली को एक मॉडल के रूप में वर्णित किया था, जिसके दूसरे दिन ट्विटर इंडिया पर हैश टैग योगी मॉडल चलाया गया। यूजर योगी सरकार द्वारा प्रदेश के गरीब, श्रमिक, वृद्ध और दिव्यांगों के भरण-पोषण की व्यवस्था से जुड़ी जानकारियों को ट्वीट और रिट्वीट करते रहे। उधर, मुख्यमंत्री कार्यालय के ट्विटर हैंडल से भी ट्वीट कर लिखा गया है कि कोविड-19 के कहर का खात्मा सिर्फ योगी आदित्यनाथ के अंदाज में ही हो सकता है। आज भी योगी की टीम-11 जिस प्रतिबद्धता के साथ आमजन को आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं को उन तक पहुंचा रही है, वह अद्भुत है। यह कहने में किसी को कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि कोरोना से संघर्ष को जन भागीदारी से जोड़कर योगी ने इसे आंदोलन और मानवता के समर के रूप में स्थापित कर दिया है। सरकार के साथ समाज की युति से युगांतकारी परिणाम दिखाई दे रहे हैं।
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लब्बोलुआब यह है कि योगी सरकार द्वारा प्रदेश में कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए प्रत्येक जिले और उसके भी भीतर अलग-अलग जगहों का एक माइक्रो प्लान बनाया गया। 1248 विशेष टीमें बनाई गईं। जिसमें नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के लोग शामिल थे। इन टीमों ने घर-घर जाकर करीब 9.3 लाख लोगों का सर्वे किया। इन्होंने 1.65 लाख घरों की स्क्रीनिंग की। इनमें से 25 सौ लोगों की पहचान की गई जिनमें कफ, सर्दी, बुखार जैसे लक्षण थे। 36 लोगों का यात्रा इतिहास था। सबकी जांच की गई। योगी सरकार स्वयं तो कोरोना के खिलाफ अभियान चलाए हुए है ही, इसके साथ-साथ केन्द्र की प्रत्येक गाइड लाइन का भी पूरी तरह से अनुसरण कर रही है।
- अजय कुमार