By नीरज कुमार दुबे | Mar 14, 2023
उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को मजबूती प्रदान कर रही और प्राचीन धार्मिक स्थलों का कायाकल्प कर रही योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसके तहत नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि और रामनवमी पर्व के दौरान समूचे राज्य में मंदिरों में दुर्गा सप्तशती और अखंड रामायण के पाठ सहित विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। हम आपको बता दें कि चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रही है और रामनवमी 30 मार्च को मनाई जाएगी। वैसे तो नवरात्रि पर्व के दौरान देशभर के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़, नवरात्रि मेले, माता के जागरण आदि कार्यक्रमों की धूम रहती है लेकिन इस बार योगी सरकार की पहल पर होने वाले कार्यक्रमों के चलते राज्य भर में एक अलग ही माहौल होगा।
हम आपको बता दें कि इससे पहले महाकुंभ का अब तक का सबसे सफल आयोजन कर चुकी योगी सरकार के कार्यकाल में रामलीलाओं के आयोजन को भव्यता प्रदान की गयी और अयोध्या की दीपावली को भी दिव्य और भव्य रूप प्रदान किया गया। योगी के कार्यकाल में ही कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तों के यात्रा मार्ग से हर तरह के अवरोध भी हटाये गये और उन पर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा कराने की शुरुआत भी की गयी। योगी के कार्यकाल में ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है, वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का पहला भाग पूर्ण हो चुका है, मिर्जापुर में माँ विन्ध्यवासिनी कॉरिडोर का निर्माण भी तेजी से आगे बढ़ रहा है और मथुरा-वृंदावन में भी कॉरिडोर बनाये जाने की चर्चा है। योगी सरकार ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन कर इस क्षेत्र के तीव्र विकास की राह पर पहले ही कदम बढ़ा चुकी है। बरसाना की लठमार होली को योगी सरकार राज्य पर्वों की सूची में ला चुकी है और इस बार तो इसके भव्य आयोजन के लिए विशेष रूप से साठ लाख रुपये का बजट भी जारी किया गया था। अब उत्तर प्रदेश में नवरात्रि पर्व के दौरान जो कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे वह माहौल को भक्तिमय तो बनाएंगे ही साथ ही शक्ति पूजा के माध्यम से स्त्री सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण का संदेश भी जायेगा। साथ ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले शुरू हो रहे इस तरह के आयोजन भाजपा की हिंदुत्व वाली राजनीति को भी निश्चित रूप से आगे बढ़ायेंगे।
जहां तक योगी सरकार के हालिया आदेश की बात है तो हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव मुकेश मेश्राम ने एक आदेश में कहा है कि चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसलिए इस दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को भेजे गए निर्देश में स्थानीय प्रशासन से महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष अभियान के तहत मंदिरों और ‘शक्तिपीठों’ में दुर्गा सप्तशती, देवी गान और देवी जागरण आयोजित करने को कहा गया है।
आदेश में कहा गया है कि अष्टमी और रामनवमी (29 और 30 मार्च) को प्रमुख मंदिरों और ‘शक्तिपीठों’ में अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया जाए ताकि मानवीय, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों का प्रसार किया जा सके। आदेश में कहा गया है कि इसके लिए प्रत्येक ब्लॉक, तहसील और जिले में एक आयोजन समिति गठित की जाए। संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव मुकेश मेश्राम ने कहा है कि इस क्रम में कुछ भी नया नहीं है क्योंकि इससे पहले भी इस तरह के कार्यक्रम होते रहे हैं। उन्होंने कहा, ''इन कार्यक्रमों के आयोजन से स्थानीय स्तर पर कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच भी मिलेगा।’’ उन्होंने कहा है कि इस संबंध समुचित समन्वय के लिए राज्य स्तर पर दो नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) की अध्यक्षता वाली एक समिति उन कलाकारों का चयन करेगी जो कार्यक्रमों में प्रदर्शन करेंगे। आदेश में कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए और बड़ी जन भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। आदेश के अनुसार, संस्कृति विभाग इन कार्यक्रमों में प्रदर्शन के लिए चुने गए कलाकारों को मानदेय के रूप में भुगतान करने के लिए प्रत्येक जिले को एक लाख रुपये उपलब्ध कराएगा। आदेश के मुताबिक सरकार ने स्थानीय प्रशासन से इन कार्यक्रमों की तस्वीरें संस्कृति विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने को भी कहा है। आदेश में कहा गया है कि 21 मार्च तक सभी तैयारियां कर ली जाएं और जीपीएस लोकेशन, मंदिरों के फोटो और मंदिर प्रबंधन निकायों के संपर्क विवरण संस्कृति विभाग के साथ साझा किए जाएं। उधर, सरकारी आदेश से साधु-संतों के बीच हर्ष का माहौल है। अयोध्या स्थित प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने कहा है कि यह फैसला स्वागतयोग्य है।