By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 14, 2019
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को किसानों से अपील की है कि वह फसल काटने के बाद उसके अपशिष्ट (पराली) को खेत में न जलाएं। योगी ने कहा कि पराली जलाने से भूसे के रूप में आप न केवल बेजुबान जानवरों का हक मारते हैं, बल्कि पराली के साथ ही मिट्टी में मौजूद करोड़ों की संख्या में मित्र बैक्टीरिया और फंफूद जल जाते हैं। इस तरह से इससे पर्यावरण और खेत की उर्वरा शक्ति को स्थाई क्षति पहुंचती है। मुख्यमंत्री ने सम्बंधित विभागों से किसानों को इस बाबत जागरुक करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि किसानों में उस तकनीक को लोकप्रिय करें, जिससे पराली जलाने की जगह आसानी से उसको जैविक खाद में बदला जा सके।
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मुख्यमंत्री योगी आज यहां इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ‘‘नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण भारत की परंपरा रही है। लिहाजा हम ही इसका नेतृत्व भी कर सकते हैं। प्रकृति का जरूरत से अधिक दोहन होने पर हम खुद प्रकृति के कोप के शिकार हो जाएंगे। हाल के वर्षों में यह हुआ है। यही वजह है कि पर्यावरण प्रदूषण गंभीर वैश्विक समस्या बनकर उभरा है। प्रकृति से प्रेम और तकनीक पर अमल से इस गंभीर समस्या से पार पाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज के कुम्भ में हमने गंगा की निर्मलता एवं अविरलता और कचरे के प्रबंधन का सफल प्रयोग किया। पूरी दुनिया में कुम्भ की दिव्यता, भव्यता और स्वच्छता की सराहना हुई। इससे साबित होता है कि अगर योजना बनाकर हम उस पर प्रभावी तरीके से अमल करें तो प्रदूषण की समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध भी इसी कड़ी का हिस्सा है।
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उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत के बाद से ही प्रधानमंत्री लगातार इस बाबत संदेश दे रहे हैं। इस अभियान को सफल बनाने के लिए इसे जनआंदोलन बनाने के साथ ही हर किसी को सफाई को अपना संस्कार भी बनाना होगा। योगी ने कहा कि उर्जा के गैर परम्परागत स्रोतों को बढ़ावा देना भी प्रदूषण कम करने का एक प्रभावी तरीका है। प्रदेश सरकार लगातार इस पर जोर दे रही है।