मंत्रिमंडल विस्तार अपनी इच्छा के मुताबिक नहीं कर पाये योगी आदित्यनाथ

By अजय कुमार | Aug 21, 2019

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का करीब ढाई वर्षों से प्रतीक्षारत पहला मंत्रिमंडल विस्तार हो ही गया। भविष्य की राजनीति को साधने के लिए जहाँ 23 में से 10 मंत्री दलित व पिछड़े वर्ग से बनाए गए हैं, वहीं सवर्ण जातियों में सबसे ज्यादा छह ब्राह्म्णों को विस्तार में जगह मिली है। क्षत्रिय समुदाय से चार जबकि, वैश्य बिरादरी से तीन लोगों को शामिल किया गया है। वहीं क्षेत्रीय संतुलन का भी पूरा ध्यान रखा गया। भाजपा की झोली में अच्छी संख्या में सीटें डालने के बावजूद मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी पाने से वंचित रहे आगरा और मुजफ्फरनगर जैसे जिलों से भी मंत्री बनाकर लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि पार्टी को मजबूत बनाने वालों की अनदेखी नहीं की जाएगी। विस्तार में अपना दल के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष सिंह पटेल को भी कैबिनेट मंत्री बनाने के संकेत थे, लेकिन यह हो नहीं सका।

 

योगी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार ऐसे समय में हुआ है जबकि कुछ समय बाद 13 विधान सभा सीटों पर उप−चुनाव होने वाला है। ऐसे में उप−चुनाव के बाद एक छोटे से ही सही और मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। किस नेता को मंत्रिमडल में लेना और किसे हटाना है ? यह मुख्यमंत्री के विवेक पर निर्भर करता है, लेकिन ऐसा लगता है कि योगी जी पूरी तरह से स्वतंत्र होकर निर्णय नहीं ले एके। संभवतः उनके ऊपर आलाकमान का दबाव रहा होगा। इसीलिए कुछ ऐसे नये चेहरे मंत्रिमंडल विस्तार में जगह पा गए जो योगी की गुड लिस्ट में नहीं थे तो कुछ ऐसे चेहरों को योगी बाहर का रास्ता नहीं दिखा पाये या उनके पर नहीं कतर पाए जिनके बारे में चर्चा थी कि योगी जी ऐसे मंत्रियों के खिलाफ सख्त फैसला ले सकते हैं।

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सबसे खास रहा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह का कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाना, जबकि लगभग यह तय माना जा रहा था कि पंकज को मंत्री पद से नवाजा जाएगा। इसी प्रकार डिप्टी सीएम और कभी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल रहे केशव प्रसाद मौर्या के संबंध में भी यह चर्चा चल रही थी कि योगी जी मौर्या से कुछ विभाग वापस लेकर उनकी अहमियत कम करेंगे, लेकिन पिछड़े वर्ग के इस नेता की अहमियत बरकरार रही।

 

बात हटाए गए मंत्रियों की कि जाए वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने 75 प्लस होने के कारण मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया। अग्रवाल वैश्य समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं, इसलिए संभावना यही बन रही है कि उन्हें राज्यपाल या किसी आयोग में भेजा जा सकता है। वहीं अनुपमा जायसवाल को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। अनुपमा पहले भी संगठन की जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। अर्चना पांडेय को जरूर उनके पीए के भ्रष्टाचार के चलते मंत्री पद से हाथ धोना पड़ गया। धर्मपाल सिंह भी विभागीय अनियमितताओं के चलते विवादों में चल रहे थे।

 

जानकार कहते हैं कि योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की पूरी चली। उन्हीं से मंत्रणा के बाद ही योगी ने मंत्रिमंडल विस्तार को अमली जामा पहनाया। मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का तो पूरा ख्याल रखा ही गया इसके साथ−साथ निष्ठावान पार्टी नेताओं को भी अहमियत दी गई। मगर जो हो नहीं सका, उस की चर्चा की जाए तो उम्मीद यह लगाई जा रही थी कि योगी मंत्रिमंडल से चार नहीं कम से कम आठ मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। जिन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाए जाने की चर्चा हो रही थी, उसमें मंत्री स्वाति सिंह, नंद गोपाल नंदी, सिद्धार्थ नाथ  सिंह और मुकुट बिहारी लाल शामिल थे। स्वाति सिंह और सिद्धार्थ नाथ को कामकाज के आधार पर तो नंद गोपाल नंदी को उनके आचरण के कारण बाहर का रास्ता दिखाए जाने की बात कही जा रही थी। वहीं मुकुट बिहारी लाल को लोकसभा चुनाव हार जाने के कारण बाहर का रास्ता दिखाए जाने की बात कही जा रही थी। कहा यह जा रहा था कि मुकुट ने लोकसभा चुनाव पूरी ईमानदारी के साथ नहीं लड़ा था।

 

बहरहाल, लखनऊ के राजभवन में सम्पन्न हुए मंत्रिमडंल विस्तार कार्यक्रम में योगी मंत्रिमंडल में छह कैबिनेट मंत्री, छह राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 11 राज्य मंत्रियों ने शपथ ले ली है। छहर में से चार स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों को प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। योगी कैबिनेट में कुल मिलाकर 18 नए चेहरे शमिल किये गए हैं। एक राज्यमंत्री को पदोन्नति देकर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। योगी सरकार के नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के दौरान जय श्री राम के नारे भी लगे।

 

जिन नेताओं को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई उसमें डॉ. महेंद्र सिंह, सुरेश राणा, भूपेंद्र सिंह चौधरी, अनिल राजभर, राम नरेश अग्निहोत्री, कमल रानी वरुण को कैबिनेट मंत्री के रूप में और नील कंठ तिवारी, कपिल देव अग्रवाल, सतीश द्विवेदी, अशोक कटारिया, श्रीराम चौहान और रवींद्र जायसवाल ने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ ली है। वहीं राज्य मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नेताओं में अनिल शर्मा, महेश गुप्ता, आनंद स्वरूप शुक्ल, विजय कश्यप, डॉ. गिरिराज सिंह धर्मेश, लाखन सिंह राजपूत, नीलिमा कटियार, चौधरी उदयभान सिंह, चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, रमाशंकर सिंह पटेल और अजीत सिंह पाल शामिल थे।

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मंत्रिमडल विस्तार में वाराणसी का दबदबा दिखा। वाराणसी से लंबे समय से सक्रिय रहे भाजपा विधायकों को मंत्रिमंडल विस्तार में नई जिम्मेदारियां दी गई हैं। अब वाराणसी से योगी मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या तीन हो गई है। इसमें शहर उत्तरी से दो बार विधायक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता रवींद्र जायसवाल को राज्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है तो यहीं से राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे अनिल राजभर का प्रमोशन कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। अनिल राजभर शिवपुर क्षेत्र से विधायक हैं और अभी तक सैनिक कल्याण, खाद्य, होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा, प्रांतीय रक्षक दल के मंत्री थे। भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर द्वारा मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद से वह उनका विभाग विकलांग और पिछड़ा वर्ग को भी देख रहे थे। वहीं दूसरी ओर डॉ. नीलकंठ तिवारी को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में शपथ दिलाई गई है। शहर दक्षिणी से विधायक डॉ. तिवारी अभी तक विधि न्याय, युवा कल्याण, खेल एवं सूचना राज्य मंत्री थे।

 

दलित नेत्री और वर्तमान में घाटमपुर से विधायक कमल रानी वरुण को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को बीजेपी का बड़ा दलित कार्ड माना जा रहा है। कमला रानी भाजपा की उन्हीं कार्यकर्ताओं में से हैं, जिन्होंने राजनीति में जमीन से सफलता के आसमान तक का सफर तय किया है। वह 1989 में सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र के वार्ड से पार्षद चुनी गई थीं। इसके बाद 1996 और फिर 1998 में घाटमपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनीं।

 

इस बार राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कई नई परम्पराएं निभाई गईं। अमूमन जिन मंत्रियों को शपथ दिलाई जाती है, उन्हें मंच के नीचे ही बैठाया जाता है, लेकिन इस बार पहले से ही शपथ ग्रहण करने वाले मंत्रियों को मंच पर जगह प्रदान कर दी गई थी। शपथ ग्रहण करने वाले मंत्रियों का राज्यपाल आंनदी बेन पटेल और सीएम योगी ने गुलदस्ते देकर स्वागत किया।

 

-अजय कुमार

 

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