By नीरज कुमार दुबे | Aug 21, 2019
काफी मशक्कत और महीनों के विचार विमर्श के बाद आखिरकार योगी आदित्यनाथ की नयी टीम सामने आ गयी है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले मंत्रिमण्डल विस्तार के तहत 23 मंत्रियों को शपथ दिलायी गयी है। राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने छह कैबिनेट मंत्रियों, छह राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) और 11 राज्य मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। स्वतंत्र प्रभारी के राज्यमंत्रियों- महेन्द्र सिंह, सुरेश राणा, भूपेन्द्र सिंह चौधरी और अनिल राजभर को प्रोन्नति देते हुए कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलायी गयी। वहीं, भोगांव से विधायक राम नरेश अग्निहोत्री तथा घाटमपुर से विधायक कमला रानी वरुण को सीधे कैबिनेट में जगह दी गयी है। सूचना राज्यमंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी को भी प्रोन्नति दी गयी है। उन्हें स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री पद की शपथ दिलायी गयी। इसके अलावा कपिलदेव अग्रवाल, सतीश द्विवेदी, अशोक कटारिया, श्रीराम चौहान और रवीन्द्र जायसवाल जैसे नये चेहरों को भी स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री पद की शपथ दिलायी गयी। इसके अलावा अनिल शर्मा, महेश गुप्ता, आनन्द स्वरूप शुक्ला, विजय कश्यप, गिर्राज सिंह धर्मेश, लाखन सिंह राजपूत, नीलिमा कटियार, चौधरी उदयभान सिंह, चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, रमाशंकर सिंह पटेल और अजित सिंह पाल को राज्यमंत्री बनाया गया है। शपथ ग्रहण समारोह के बाद सभी नवनियुक्त मंत्रियों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इस दौरान जय श्री राम के नारे भी लगे।
खाली हो गये थे कई पद
शपथ ग्रहण समारोह से पहले मुख्यमंत्री ने पांच मंत्रियों के इस्तीफे मंजूर कर लिये थे। वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल और भूतत्व एवं खनिकर्म राज्य मंत्री अर्चना पांडेय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंपा था। धर्मपाल, अनुपमा और अर्चना को भाजपा मुख्यालय में प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने तलब किया था और पार्टी के फैसले की जानकारी देते हुए इस्तीफा देने को कहा था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने तो दो दिन पहले ही एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत के चलते परिवहन मंत्री पद से अपना त्यागपत्र भेज दिया था। इसके अलावा सांसद चुने जाने के बाद सत्यदेव पचौरी, प्रो. एसपी बघेल और प्रो. रीता बहुगुणा जोशी के इस्तीफे और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने से चार कैबिनेट मंत्री के पद पहले से ही योगी मंत्रिमंडल में खाली चल रहे थे।
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लंबी चली मशक्कत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी मंत्रिपरिषद का विस्तार तो 2017 में ही करना था लेकिन यह बार-बार टलता गया। इस बार योगी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के केंद्रीय और राज्य के नेताओं के साथ घंटों के विमर्श, मंत्रियों के कार्य प्रदर्शन की रिपोर्टों की समीक्षा, लोकसभा चुनावों में मंत्रियों के क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन और कई अन्य मानकों को देखते हुए नये मंत्रियों की सूची तैयार की थी। 2022 में राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं उससे पहले योगी ने अपनी मंत्रिपरिषद में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को दुरुस्त करने का काम भी किया है और युवाओं को आगे बढ़ाया गया है।
क्षेत्रीय समीकरण
क्षेत्रवार देखें तो आज के विस्तार में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से कपिल देव अग्रवाल और चरथावल से विजय कश्यप, बुलंदशहर से अनिल शर्मा, आगरा छावनी से गिर्राज सिंह धर्मेश और फतेहपुर से चौधरी उदयभान सिंह, मैनपुरी से रामनरेश अग्निहोत्री को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इसी तरह बुंदेलखंड से स्वतंत्र देव के इस्तीफे के बाद चित्रकूट से विधायक चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। कानपुर मंडल से नीलिमा कटियार व कमल रानी वरुण को मंत्रिमंडल में जगह प्रदान की गयी है। बस्ती मंडल से सतीश द्विवेदी और वाराणसी मंडल से रवीन्द्र जायसवाल को मंत्री बनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पर तो योगी काफी मेहरबान दिखे हैं क्योंकि योगी मंत्रिमंडल में वाराणसी से मंत्रियों की संख्या बढ़कर तीन हो गयी है। रवीन्द्र जायसवाल को राज्यमंत्री बनाया गया है तो राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे अनिल राजभर की पदोन्नति कर उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है। इसके अलावा डॉ. नीलकंठ तिवारी जो अब तक राज्यमंत्री थे उन्हें राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ दिलाई गई है।
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जातिगत समीकरण
जातिगत समीकरणों को देखें तो 23 मंत्रियों में से 6 ब्राह्मण, 2 क्षत्रिय, 2 जाट, 1 गुर्जर, 3 दलित, 2 कुर्मी, 1 राजभर, 1 गडरिया, 3 वैश्य, 1 शाक्य और 1 मल्लाह हैं। आज के विस्तार में कुल 18 नये चेहरे शामिल किये गये जबकि पांच का प्रमोशन किया गया।
बहरहाल, अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम पर दारोमदार रहेगा कि जन कल्याण की योजनाओं को तेज गति से आगे बढ़ाया जाये और पार्टी के घोषणापत्र में किये गये वादों को पूरा करें और नया उत्तर प्रदेश बनाने, उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचाने का जो संकल्प मुख्यमंत्री ने लिया है उसे सिद्धि तक पहुँचाये। फिलहाल तो भाजपा की जल्द ही एक बड़ी परीक्षा विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में होने जा रही है। इन उपचुनाव के परिणाम यह भी दर्शाएंगे कि उत्तर प्रदेश में अब मुख्य विपक्षी कौन है क्योंकि बसपा सपा का गठबंधन टूट चुका है और यह उपचुनाव सभी पार्टियां अलग-अलग ही लड़ने वाली हैं।
-नीरज कुमार दुबे