नारी राष्ट्र का अभिमान है। नारी राष्ट्र के विकास की नींव है। नारी सृष्टि की सुंदरता का अनमोल उपहार है। संस्कृत में एक श्लोक है- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः। अर्थात्, नारी की पूजा जहां होती है, वहां देवता निवास करते हैं। भारतीय संस्कृति में नारी के आदर को महत्व दिया गया है। लगभग सभी धर्मों में नारी सशक्तिकरण का उदाहरण देखने को मिलता है। वैदिक साहित्य में नारी को अत्यंत गरिमामयी स्थान प्रदान किया गया है। धर्म ग्रन्थ वेद महिलाओं को परिवार की सम्राज्ञी कहते हैं। महिलाएं देश की शासिका बनने का अधिकार रखती हैं।
वेदों में स्त्री यज्ञीय है अर्थात् यज्ञ समान पूजनीय है। वेदों में नारी को ज्ञान देने वाली, सुख–समृद्धि लाने वाली, विशेष तेज वाली, देवी, विदुषी, सरस्वती, इन्द्राणी, उषा (जो सबको जगाती है) इत्यादि अनेक आदर सूचक नाम दिए गए । वेदों में स्त्रियों पर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं है। उसे सदा विजयिनी कहा गया है। प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 की थीम/प्रसंग है- महिला सशक्तिकरण के लिए योग। इस वर्ष योग दिवस, महिलाओं के समग्र कल्याण व समग्र विकास की भावना के साथ मनाया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण के लिए योग एक अद्भुत माध्यम है। योग करने से महिलाएं सशक्त होती हैं। सशक्त महिलाओं से समाज में संतुलन की स्थिति पैदा होती है।
संयुक्त परिवार की शक्ति का केंद्र बिंदु महिलाएं ही हैं। महिलाएं सशक्त होंगी तो परिवार भी सशक्त होगा। योग परिवार को जोड़ने का काम करता है। योग अर्थात जोड़ना। महिलाएं, योग के द्वारा परिवार, समाज और देश में एकता को बल प्रदान करती हैं। योग एक होने का ही नाम है। एकता का सूत्र, योग के द्वारा ही संभव है। महिलाएं योग के द्वारा संतुलित जीवनशैली को प्रोत्साहित करती हैं। योग से महिला सशक्तिकरण को बल मिलता है। नारी सशक्त बनेगी तो देश सशक्त बनेगा। योग, महिला सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली साधन है। योग, महिला सशक्तिकरण का केंद्र बिंदु है। अतएव हम कह सकते हैं कि योग, महिलाओं को एकता के सूत्र में पिरोता है।
- डॉ. शंकर सुवन सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर
फ़ूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग
सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज,
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)