योग दिवस की तैयारियों के बीच ही इसका विश्लेषण भी शुरू हो चुका है कि भारत को इससे क्या विशेष लाभ हुआ है। गत वर्ष जब 193 देशों ने 21 जून को विश्व योगा दिवस मनाने पर सहमति दी थी तो यह आभास हो गया था कि भारत भी अब विश्व बाजार में एक शक्ति के रूप में खड़ा दिखाई देगा। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाया जा रहा है और भारत में तो सदियों से योग परम्परागत रूप से जीवन पद्धति का अंग रहा है। योग के चमत्कारिक नतीजों के कारण ही भारत में प्राचीन समय से ही योगाभ्यास की परम्परा रही है लेकिन आधुनिक जीवन पद्धति में इसे केवल कुछ लोगों तक ही सीमित कर दिया गया था और यह वह जमाना था जब संचार का माध्यम केवल अखबार हुआ करते थे, फिर दूरदर्शन आया लेकिन योग में क्रांति तब आयी जब टेलीविजन का दौर शुरू हुआ और बाबा रामदेव ने टी.वी. के माध्यम से इसे घर-घर पहुंचाया और फिर शिविरों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ इसे व्यापार और आयुर्वेद से जोड़कर अपना एक सम्राज्य खड़ा कर दिया।
पिछले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का भारत में जब आयोजन किया गया था तो विश्व के 193 देशों के प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया था और इससे पहले जब संयुक्त राष्ट्र में 21 जून का दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी, तभी यह कयास लगाये जाने लगे थे कि योग के रूप में भी एक बड़ा बाजार विकसित किया जा सकता है। इस वर्ष भी न्यूयार्क सहित विश्व के प्रमुख स्थानों पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। यह लगातार दूसरा साल है, जब अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय को विशेष तौर पर रौशन किया जा रहा है और इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा कई समारोह आयोजित किये जा रहे हैं। विश्वभर में योग की ख्याति होने से निशिचत रूप से इसका बाजार भी विकसित होगा और अभी प्रारंभिक चरण में योग क्रांति के जरिए आयुर्वेद और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं का बड़ा बाजार विकसित हो रहा है।
विश्व में जिस प्रकार से योग के प्रति लोगों की दीवानगी बढ़ रही है वैसे ही योग से जुड़े छोटे-बड़े व्यापार का दायरा भी बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में योग से जुड़े व्यापार का आंकड़ा 20,000 करोड़ रुपए के आसपास हो गया है। योग से जुड़ा कारोबार भारत ही नहीं दुनिया भर में तेजी से बढ़ता जा रहा है। योग से जुड़ी एक्सेसरी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। इसमें योग से सम्बंधित मैट, जूते, सीडी, डीवीडी, बेंड आदि की मांग तेजी से बढ़ रही है। विश्व में योग एक्सेसरी का कारोबार करीब 7.25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का आंका गया है। अमेरिका और अन्य पश्चिम देशों में योग के प्रति जागरूकता के कारण एक लाख करोड़ रुपए का योग से जुड़ी किताबों और इससे जुड़ी वस्तुओं का व्यापार हो रहा है।
एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार योग सिखाने वाले योग टीचर्स की मांग हर साल 40 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। योग सिखाने का कारोबार देशभर में करीब 3.5 हजार करोड़ रुपए पहुंच गया है। इसमें लगाए जाने योग शिविर, कॉरपोरेट्स कंपनी को दी जाने वाली ट्रेनिंग और प्राइवेट ट्रेनिंग शामिल है। दुनिया में योग सीखने वाले लोगों की संख्या करीब 30 करोड़ के आसपास पहुंच चुकी है जिसमें 40 प्रतिशत से अधिक भारतीय शामिल हैं।
एक अनुमान के अनुसार योग के दौरान पहने जाने वाले कपड़ों का बाजार ही 1,000 करोड़ रुपए पहुंच चुका है। योग कपड़ो के सेक्टर में फॉरएवर योग और अर्बन योग जैसी कई कंपनियां योग से जुड़े कपड़े बनाने के कारोबार में उतर चुकी हैं। योगा सेंटर्स और कंपनियां अपनी दीवारों पर लगाने के लिए योग से जुड़ी पेंटिंग्स अधिक खरीद रही हैं। योग पेंटिंग कारोबार का टर्नओवर करीब 800 करोड़ रुपए का हो गया है और यह भी हर साल तेजी से बढ़ रहा है। योग गुरूओं ने योग को सीढ़ी बनाकर बड़ा कारोबार खड़ा कर दिया और उनकी संपत्ति साबित करने के लिए काफी है कि योग तन के लिए ही नहीं, धन के लिए भी अच्छा साबित हो रहा है। लेकिन ट्रस्ट के जरिए कारोबार करने वाले इन व्यापारी बाबाओं को टैक्स में रियायत नहीं मिलनी चाहिए।
योग का बाजार के बढ़ने के साथ ही आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। पश्चिमी यूरोप, रूस, अमेरिका, कजाकिस्तान, यूएई, नेपाल, यूक्रेन, जापान, फिलीपींस, केन्या जैसे देशों में आयुर्वेदिक उत्पादों की जबरदस्त मांग है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों का 2015 में 83 बिलियन यूएस डॉलर का व्यापार हुआ जो 2020 तक 1 ट्रिलियन यूएस डॉलर तक हो जाएगा। मेक इन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार योगगुरु बाबा रामदेव की पंतजलि का 31 मार्च 2017 तक 10, 561 करोड़ रुपये का व्यापार रहा।
योग दिवस शुरू होने का अमेरिका में योग बाजार पर कितना बड़ा प्रभाव पड़ा है इसकी बानगी इन आंकड़ों में दिखती है। 2008 के एक आंकड़े के मुताबिक करीब डेढ़ करोड़ (1.58 करोड़) लोग योग करते थे, लेकिन 2016 में यह संख्या बढ़कर 3.67 करोड़ पर पहुंच गयी। जिस रफ्तार से योग करने वाले बढ़े, उसी रफ्तार से योग सिखाने वाले स्कूल भी अमेरिका में खुले और लगातार खुलते जा रहे हैं। 2008 में सिर्फ 818 योग स्कूल थे और अब यह 3900 का आंकड़ा पार कर गया है। आज की तारीख में अमेरिका में योग का बिजनेस करीब 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का हो गया है। अमेरिका में योग के बारे में 2016 में योग एलांएस की रिपोर्ट के अनुसार 3 करोड़ 60 लाख लोग योग से स्वस्थ रहने के तरीकों को अपना रहे हैं। अमेरिका में योग के बाजार की कुल कीमत लगभग 27 बिलियन डालर हो चुकी है। 2012 की तुलना में इसमें 76 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। योग बाजार में योग सिखाने वाले शिक्षकों की मांग देश ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी बढ़ रही है। योग एलाएंस की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 76,000 पंजीकृत योग शिक्षक हैं और इसके साथ 7000 योग के स्कूल जुड़े हुए हैं।
छोटे से छोटा व्यवसाय शुरू करने के लिए पूंजी की ज़रूरत होती है, लेकिन योग ने कई लोगों को करोड़पति, अरबपति बना दिया है। योग के व्यवसाय ने करोड़ों लोगों की जिन्दगी तो बदली ही लेकिन इसके हाईप्रोफाइल योगाचार्यों पर भी अथाह दौलत बरसाई और वह अब योगाचार्य नहीं व्यवसायी हो गए हैं। देश के कुछ चुनिंदा योग गुरुओं का विवरण इस प्रकार है:-
1. बाबा रामदेव के पतंजलि का कारोबार 11,000 करोड़ रुपए और 2021 तक का टारगेट 20,000 करोड़।
2. योगी हरभजन सिंह, सालाना कारोबार 100 करोड़ डॉलर।
3. भरत ठाकुर, कुल बाजार मूल्य- 10 करोड़ डॉलर।
4. बिक्रम चौधरी, कुल बाजार मूल्य: 7.5 करोड़ डॉलर।
5. श्री श्री रवि शंकर (1956 से), आर्ट ऑफ लिविंग, राजस्व: 1,156 करोड़ रुपए।
इन योग गुरुओं की सम्पत्ति से आंकलन किया जा सकता है कि आने वाले वर्षों में योग का कितना बड़ा बाजार विकसित होने जा रहा है। जब विश्वभर के 200 से ज्यादा देश इससे जुड़कर उत्सुकतावश भारत की ओर देख रहे हैं और उनका भी यह मानना है कि इस जीवन पद्धति का जनक केवल भारत है और भारत ही इसमें विश्व गुरु की भूमिका निभा सकता है।
सोनिया चोपड़ा