By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 03, 2020
कोलकाता। रेल गाड़ियों के संचालन में निजी इकाइयों को लाने के केंद्र सरकार के फैसले की बृहस्पतिवार को दो पूर्व रेल मंत्रियों ने आलोचना की और कहा कि यह भाजपा सरकार की जन विरोधी मानसिकता को दिखाता है। उन्होंने मांग की कि सरकार राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने के अपने तर्कहीन फैसले पर पुनर्विचार करे। लोकसभा में कांग्रेस के नेता और पूर्व रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि निजीकरण करने से आम आदमी पर और बोझ पड़ेगा, क्योंकि उन्हें ट्रेन की यात्रा पर और अधिक खर्च करना होगा। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि अब सरकार हमारी सबसे बड़ी राष्ट्रीय संपत्ति- में से एक भारतीय रेलवे में से एक बड़ा हिस्सा बेचने पर आमादा है। निजीकरण से रेलवे के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती है। यह रेलवे की अक्षमता है।
चौधरी ने कहा कि जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है तब निजीकरण करने का मतलब है कि ट्रेन यात्रा के लिए अधिक भाड़ा देना होगा।109 ट्रेनों का निजीकरण करना और कुछ नहीं, बल्कि आम आदमी के जख्मों पर नमक छिड़कना है। यह भारत में गरीब लोगों के लिए विश्वसनीय और किफायती परिवहन का माध्यम है। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने फैसले को जन विरोधी बताया जो आम आदमी पर और बोझ डालेगा। त्रिवेदी ने कहा क रेलवे देश में परिवहन के सबसे सस्ते और लोकप्रिय साधनों में से एक है। रेलसंचालन का निजीकरण करने का फैसला न सिर्फ जन विरोधी है, बल्कि इसके दीर्घावधि में व्यापक प्रभाव होंगे। निजी संस्थाएं सिर्फ मुनाफे के लिए आएंगी और यह आम आदमी को प्रभावित करेगा।