By अनन्या मिश्रा | Nov 01, 2024
दिवाली के मौके पर मां लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व होता है। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। तब से हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल में दीपावली के पर्व पर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वहीं यह भी कहा जाता है कि जब पृथ्वी लोक पर चारो ओर अंधेरा था, तब एक तेज प्रकाश के साथ कमल पर विराजमान मां लक्ष्मी प्रकट हुईं और संसार में फैले अंधकार को दूर किया था। तब से दिवाली पर लक्ष्मी पूजन और दीपक जलाने की परंपरा है।
शुभ मुहूर्त
कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरूआत- 31 अक्तूबर को दोपहर 03:52 मिनट से।
कार्तिक अमावस्या तिथि की समाप्ति- 01 नवंबर को शाम 06:16 मिनट तक।
लक्ष्मी पूजन का महत्व और विधि
दिवाली पर महालक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश, कुबेर देव और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रदोष काल यानी की सूर्यास्त के बाद दीपावली पर मां लक्ष्मी का तीन मुहर्त में किया जाता है। अमावस्या तिथि में प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा करना उत्तम माना जाता है।
धार्मिक मान्यता के मुताबिक दीपावली की रात मां लक्ष्मी बैकुंठ धाम से धरती पर भ्रमण करने आती हैं। मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर आकर घर-घर जाकर यह देखती हैं कि किन घरों में साफ-सफाई, अच्छी सजावट और विधि-विधान से पूजा होती है। उन घरों में मां लक्ष्मी विराजमान हो जाती हैं। इसलिए दिवाली के मौके पर घर की साफ-सफाई और सजावट करने का विधान है। दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से जातक के जीवन में सुख-शांति, धन-धान्य और संपन्नता आती है।