Maha Navami 2024: महानवमी पर कन्या पूजन से घर में आती है सुख-समृद्धि

By प्रज्ञा पांडेय | Oct 11, 2024

आज महानवमी है, इस दिन महागौरी की पूजा होती है। महानवमी पर महागौरी पर की आराधना शुभ माना जाता है, तो आइए हम आपको महानवमी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।


जानें शारदीय नवरात्र के बारे में 

मां दुर्गा को समर्पित नवरात्र का त्योहार साल में 4 बार मनाया जाता है। शारदीय नवरात्र में माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है, जो नवमी तिथि को समाप्त होती है। इस साल नवरात्र 12 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगी। शारदीय नवरात्रि की महा नवमी के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही, इस दिन कन्या पूजन का भी विधान है। इसके अलावा, हवन-अनुष्ठान करना भी शुभ माना जाता है। नवरात्र में अष्टमी और नवमी तिथि की पूजन का काफी महत्व है। इन दो दिनों में जगत जननी का आराधना करने से जातक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। कुछ साधक अष्टमी तिथि को कन्या पूजन के बाद व्रत का समापन करते हैं। कुछ लोग नवमी पर अपना व्रत खोलते हैं।

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नवमी तिथि पर पूजा का शुभ मुहूर्त

11 अक्टूबर 2024 को देवी की आराधना के लिए तीन शुभ मुहूर्त है। अष्टमी और नवमी तिथि पर आराध्या शक्ति की पूजा का समय सुबह 06.20 बजे से 07.47 बजे तक है। उन्नति मुहूर्त सुबह 07.47 बजे से 09.14 बजे तक है। वहीं, अमृत मुहूर्त सुबह 09.14 बजे से 10.41 बजे तक है।


नवमी तिथि पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त  

पंचांग के अनुसार, इस साल अष्टमी और नवमी तिथि एक दिन ही पड़ रही है। ऐसे में 11 अक्टूबर को कन्या पूजा करना शुभ है। कन्या पूजन का मुहूर्त सुबह 10.41 बजे तक है। राहु काल सुबह 10.41 बजे से दोपहर 12.08 बजे तक रहेगा।


शारदीय नवरात्रि नवमी का महत्व

शारदीय नवरात्रि की नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति को सिद्धियों की प्राप्ति होती है। साथ ही, कन्या पूजन से व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मां का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसके अलावा, नवमी पर हवन करने का भी बहुत महत्व माना जाता है। हवन करने से मां के नौ रूपों की कृपा और मां के प्रभाव से नव ग्रहों की शुभता एक साथ मिलती है।


महानवमी के दिन ऐसे करें पूजा 

पंडितों के अनुसार नवरात्रि की नवमी के दिन देवी मां के प्रसाद में हलवा, पूरी, नौ प्रकार के फूल, फल आदि अवश्य शामिल करें। इसके बाद मंत्रों का जाप करते हुए मां दुर्गा का ध्यान करें। फिर मां को फल, भोजन, मिठाई, पांच सूखे मेवे, नारियल आदि अर्पित करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। फिर नवरात्रि के नौवें दिन की कथा सुनें या पढ़ें। अंत में मां दुर्गा की आरती करें। फिर कन्या पूजन करें और फिर प्रसाद ग्रहण करें और अपना व्रत खोलें।


महानवमी के दिन ऐसे करें हवन

महानवमी के दिन हवन का विशेष महत्व है। नवमी हवन को चंडी होम के नाम से भी जाना जाता है। देवी शक्ति से अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें और हवन करें। नवमी का हवन करने के लिए दोपहर का समय सबसे अच्छा माना जाता है।


महानवमी से जुड़ी पौराणिक कथा

पंडितों के अनुसार 8 दिवसीय महान युद्ध के बाद 9वें दिन, देवी दुर्गा अपने लाल रूप में महिषासुर के सामने प्रकट हुईं। अगर वह दुर्गा को देख भी ले तो भी उसे डर नहीं लगेगा। इसके बजाय वह देवताओं का अपमान करता है और मुझे मारने के लिए एक महिला को भेजने के लिए आपका मज़ाक उड़ाता है। जब दुर्गा अपने हाथ में त्रिशूल लेकर क्रोधित हो गईं, तो महिषासुर की मददी, जो दुर्गा की सबसे बड़ी भक्त थीं, ने देवी दुर्गा से अपनी शुभता की रक्षा करने की प्रार्थना की। तब दुर्गा ने अपनी भक्ति को एक बंदोबस्ती में बदल दिया और अंततः महिषासुर का वध कर दिया। तीनों लोकों में हमेशा की तरह शांति और शांति बनी रहे। इसलिए ऐसा माना जाता है कि अगर हम दुर्गाष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा करते हैं तो हमारे अंदर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।


महानवमी पर करें संधि पूजा

महानवमी पर, संधि पूजा एक अनुष्ठान है जो नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन के बीच किया जाता है। 45 मिनट की यह अवधि, जिसे "संधि" क्षण के रूप में जाना जाता है, महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय के समय को चिह्नित करती है। भक्तों का मानना है कि इस अवधि के दौरान देवी की शक्ति अपने चरम पर होती है। पूजा में देवी दुर्गा को प्रार्थना, फूल और प्रसाद चढ़ाना शामिल है। संधि पूजा के दौरान, भक्त ढोल और शंख बजाने के साथ मंत्रों का जाप करते हैं, श्लोक पढ़ते हैं और आरती करते हैं। प्रसाद वितरण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ अनुष्ठान का समापन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संधि पूजा अनुष्ठान में भाग लेने से आध्यात्मिक विकास, समृद्धि और दैवीय कृपा मिलती है।


महानवमी पर ऐसे करें कन्या पूजन 

पंडितों के अनुसार कन्या पूजन से एक दिन पहले कन्याओं को निमंत्रण देकर आएं। फिर जब वह आपके घर आएं तो उनका आदर सत्कार के साथ स्वागत करें। सबसे पहले साफ जल से उनके पैर स्वच्छ करें। फिर उनके पैर साफ कपड़े से पोंछ दें। पैर छूकर आशीर्वाद लें। कन्याओं के पैर छूने से पापों का नाश होता है। इसके बाद सभी कन्याओं का लाल रंग का आसन पर बैठाएं। इसके बाद उन्हें कुमकुम से तिलक करें और सभी को कलावा बांधे। इसके बाद कन्याओं को हलवा, काले चने और पूरी का भोग लगाएं। कन्याओं का संख्या कम से कम 9 होनी चाहिए। बाकी आप अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्या पूजन कर सकते हैं। इसके बाद कन्याओं को भोजन कराने के बाद दक्षिणा जरुर दें। अंत में जाते समय कन्याओं के हाथ में कुछ अक्षत दें और फिर मां दुर्गा के नाम के जयकारा लगाते हुए कन्याओं से वह अक्षत आपके ऊपर डालने के लिए कहें। अंत में सभी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और हंसी खुशी से कन्याओं के विदा करें।


महाष्टमी और महानवमी की पूजा एक ही दिन होगी

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है, जबकि नवें दिन देवी सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। इस वर्ष पंचांग की गणना के अनुसार, सप्तमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12:29 बजे समाप्त हो जाएगी और इसके बाद अष्टमी तिथि का आरंभ होगा। मान्यता है कि अष्टमी तिथि के शुभ मुहूर्त में मां महागौरी की पूजा करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस बार सप्तमी और अष्टमी तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण शास्त्रों के अनुसार अष्टमी का व्रत अगले दिन, 11 अक्टूबर को रखा जाएगा।


- प्रज्ञा पाण्डेय

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