By अनन्या मिश्रा | Mar 28, 2023
आज यानि 28 मार्च को नवरात्रि का सातवां दिन है। आज मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा और अर्चना का विधान है। मां कालरात्रि को तंक्ष-मंत्र और यंत्र की देवी भी कहा जाता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, मां कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं, इनकी पूजा करने से शनि के दुष्प्रभाव दूर होते हैं। सप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा भी अन्य दिनों की पूजा की तरह होती है। तंत्र साधना करने वाले रात्रि में मां कालरात्रि की विशेष पूजा करते हैं। मां दुर्गा का यह स्वरूप अपने भक्तों को अकाल मृत्यु से बचाता है।
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि के बाल बिखरे हुए हैं। उनके गले में माला बिजली की भांति देदीप्यमान हैं। मां कालरात्रि को आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाला बताया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब शुंभ और निशुंभ की सेना मां से युद्ध के लिए तयार हुई तो इन्हें बड़ा क्रोध आ गया। क्रोध के कारण मां दुर्गा का वर्ण श्यामल हो गया। इसी श्यामल स्वरूप से देवी कालरात्रि का प्राकट्य हुआ। भक्तों के लिए मां का यह स्वरूप ममतामयी है। इस कारण इनकों शुभंकरी भी कहा गया है।
मां कालरात्रि का मंत्र
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
मां कालरात्रि पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन सुबह स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण कर मां दुर्गा का ध्यान करें। मां कालरात्रि की पूजा अन्य दिनों की तरह ही होती है। पूजा के दौरान मां कालरात्रि को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली आदि अर्पित करें। मां कालरात्रि को नींबू और गुड़हल के फूलों की माला पहनानी चाहिए। इसके बाद मां के आगे तेल का दीपक जलाएं। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि को लाल पुष्प अर्पित करें। फिर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, काली पुराण, काली चालीसा, अर्गला स्तोत्रम, का पाठ कर आरती करना चाहिए। मां कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बने व्यंजन का भोग लगाना चाहिए।