By अनन्या मिश्रा | Oct 18, 2023
नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति को बल और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को असाध्य से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलने के साथ अच्छी सेहत का आशीर्वाद मिलता है। मां कूष्मांडा का स्वरूप अपने भक्तों को आर्थिक ऊंचाइयों पर ले जाने में सहयोग करता है। मां कूष्मांडा की पूजा करने से आर्थिक स्थितियां मजबूत होने के साथ घर से दरिद्रता दूर होती है। आइए जानते हैं मां कूष्मांडा का स्वरुप, पूजा विधि और मंत्र के बारे में...
मां कूष्मांडा का स्वरूप
मां दुर्गा का चौथा स्वरूप माने जाने वाली मां कूष्मांडा 8 भुजाओं वाली हैं। इन आठ भुजाओं में मां बाण, चक्र, कमल, अमृत कलश, गदा और कमंडल धारण किए हुए हैं। मां शेर की सवारी करती है और यह सूर्यलोक में निवास करती हैं। बता दें कि हिंदू मान्यता के मुताबिक सिर्फ मां कूष्मांडा में सूर्य लोक में निवास करने की क्षमता है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को जो पुण्यफल प्राप्त होता है, उससे भक्त की किस्मत सूर्य़ की तरह चमकने लगती है।
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
मां कूष्मांडा की पूजा करने से लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें और देवी कूष्मांडा की विधि-विधान से पूजा करने का संकल्प लें। बता दें कि मां कूष्मांडा को हरा रंग अतिप्रिय है। इसलिए मां को हरे रंग के वस्त्र, फल और मिठाई आदि अर्पित करें। वहीं महिलाएं मां कूष्मांडा की पूजा के दौरान सुख-सौभाग्य की कामना करते हुए विशेष रूप से मां को हरे रंग वाला श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
मां कूष्मांडा पूजा मंत्र
बता दें कि नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा में मंत्र जप का विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में मां कूष्मांडा की पूजा में उनके मंत्र 'ऊँ कूष्माण्डायै नम:' का ज्यादा से ज्यादा जप करना चाहिए। मान्यता के मुताबिक मां कूष्मांडा की पूजा के दौरान इस उपाय को करने से कुंडली में स्थित केतु ग्रह से जुड़े दोष दूर होते हैं।