By अनन्या मिश्रा | Mar 29, 2023
चैत्र नवरात्रि के 8वें दिन मां महागौरी की पूजा की जाएगी। यह मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। महागौरी की सच्चे मन से उपासना व पूजा-अर्चना से व्यक्ति को अलौकिक सिद्धियों का वरदान प्राप्त होता है। मां महागौरी भक्तों का कल्याण करने वाली हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको महागौरी के पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। मान्यता के अनुसार, मां महागौरी की पूजा से व्यक्ति को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।
ऐसे पड़ा महागौरी नाम
देवी भागवत पुराण के अनुसार, राजा हिमालय के घर देवी पार्वती का जन्म हुआ था। महज 8 वर्ष की आयु से देवी पार्वती को अपने पूर्वजन्म की घटनाओं का आभास होने के कारण भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए उन्होंने कठिन तपस्या शुरू कर दी। इसलिए नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महागौरी की पूजा की जाती है। देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए केवल वायु पीकर तप करना शुरू कर दिया। इस तपस्या के कारण देवी पार्वती को महागौरी नाम मिला था।
महागौरी का प्राकट्य
माता पार्वती का शरीर तपस्या से काला पड़ गया था। भगवान शिव ने देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और गंगा में स्नान के लिए बोला। जब देवी पार्वती ने गंगा में डुबकी लगाई तो तो वह श्याम वर्ण की हो गईं। उनके इस स्वरूप को कौशिकी के नाम से भी जाना गया। वही देवी पार्वती का एक और स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ। वह स्वरूप महागौरी कहलाया।
महागौरी का स्वरूप
मां महागौरी सफेद रंग के वस्त्र और आभूषण धारण करती हैं। इसलिए उन्हें मां श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है। अपनी कठिन तपस्या से इन्होंने गौर वर्ण पाया था। इस स्वरूप के उत्पत्ति के समय वह 8 वर्ष की थीं। इसलिए नवरात्रि के 8वें दिन इस स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी महागौरी के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू रहता है। वहीं एक हाथ में अभय और एक हाथ से वह भक्तों को वरदान देती हैं। महागौरी धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं। देवी वृषभ यानि की बैल की सवारी करती हैं।
पूजन विधि
नवरात्रि की अष्टमी तिथि की पूजा भी अन्य दिनों की तरह की जाती है। अष्टमी तिथि को सुबह स्नान आदि कर मां के सामने देसी घी का दिया जलाएं। इस दौरान उनके स्वरूप का मन में ध्यान करते हुए लाल चुनरी अर्पित करें। मां को सफेद रंग अतिप्रिय है। महागौरी की पूजा के दौरान उन्हें रोली, अक्षत, सफेद फूल, नारियल की मिठाई आदि अर्पित करें। वहीं अगर आप प्रतिदिन अग्यारी देते हैं तो रोज की भांति लौंग, बताशे, इलायची, हवन सामग्री आदि भी अर्पित करें। इसके बाद कीलक, स्त्रोत और सप्तशती का पाठकर महागौरी की आरती करें।
मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥