By अमृता गोस्वामी | Jun 08, 2021
किसी भी ग्रह पर जीवन के लिए महासागरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, महासागर ही हैं जिनकी बदौलत पृथ्वी पर जीवन सुरक्षित है। कहा जाता है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति महासागरों से ही हुई थी। पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित रखने और धरती का मौसम निर्धारित करने में भी महासागरों की भूमिका अहम है। पृथ्वी का लगभग 70 प्रतिशत भाग महासागरों से घिरा है, यहां उपलब्ध समस्त जल का लगभग 97 प्रतिशत जल महासागरों में ही है।
महासागर पृथ्वी पर विशाल क्षेत्र में फैले अथाह जल का भंडार होने के साथ ही अपने अंदर व आसपास ऐसे पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं जिससे इन स्थानों पर अनेक जीवधारी, पौधे, जानवर, अणुजीव और वनस्पतियाँ पनपती हैं। एक अनुमान के अनुसार समुद्रों में जीवों की तकरीबन दस लाख प्रजातियां मौजूद हैं। सबसे विशालकाय जीव व्हेल से लेकर अनेक सूक्ष्म जीवों का आवास, आश्रय महासागरों में ही है।
महासागरों के महत्व को जानने, उन्हें समझने और महासागरों में बढ़ते प्रदूषण के खतरों और उनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 8 जून को ‘विश्व महासागर दिवस’ मनाया जाता है। 1992 में रियो डी जनेरियो के पृथ्वी ग्रह फोरम में ‘विश्व महासागर दिवस’ मनाने का फैसला लिया गया था, जिसके बाद वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मान्यता मिलने के पश्चात साल 2009 से प्रतिवर्ष 8 जून को ‘विश्व महासागर दिवस’ मनाया जा रहा है।
हर वर्ष ‘विश्व महासागर दिवस’ को मनाने के लिए एक खास थीम निर्धारित की जाती है, पिछले वर्ष 2020 में यह थीम ‘एक सतत महासागर के लिए नवाचार’ थी, वहीं इस साल 8 जून 2021 में विश्व महासागर दिवस सेलिब्रेशन की थीम ‘द ओशनः लाइफ एंड लाइवलीहुड’ प्रस्तावित की गई है जिसका मकसद समुद्र के जीवन और इससे उपलब्ध आजीविका पर केन्द्रित होगा। विशेषज्ञों के अनुसार महासागर ही हैं जो पूरी दुनिया में प्रोटीन उपलब्ध कराने का सबसे बड़ा जरिया हैं। हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और रोजगार देने में भी महासागरों की भूमिका महत्वपूर्ण है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 तक दुनिया के 40 मिलियन लोग महासागर आधारित इंडस्ट्री से जुड़े होंगे।
गौरतलब है कि पृथ्वी पर फैले प्रदूषण का असर अब महासागरों में भी दिखाई देने लगा है। समुद्र में ऑक्सीजन का स्तर लगातार घटता जा रहा है और तटीय क्षेत्रों से समुद्री जल में भारी मात्रा में प्रदूषणकारी तत्वों, कचरे आदि के मिलने से समुद्री जीव-जन्तुओं का जीवन संकट में होता जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों के चलते कई समुद्री प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर है और कई का अस्तित्व खत्म भी हो चुका है। तेलवाहक जहाजों से भी समुद्र को बहुत खतरा रहता है, इन जहाजों से समुद्र में तेल के रिसाव के कारण जल मटमैला हो जाता है जिससे सूर्य का प्रकाश उसकी गहराई तक न पहुँच पाने के कारण वहां जीवन को पनपने में परेशानी होती है जिससे महासागरों की जैव-विविधता प्रभावित हो रही है।
पृथ्वी पर एक स्वस्थ और समृद्ध जीवन जीने के लिए आज जरूरत है महासागरों पर विशेष ध्यान देने की, उन्हें साफ-सुथरा और प्रदूषण रहित रखने की ताकि पर्यावरण में संतुलन बना रहे और जनजीवन को सुरक्षित रखा जा सके।
आज 8 जून ‘विश्व महासागर दिवस’ पर आइए जानते हैं विश्व के पाँच महासागरों प्रशांत महासागर, हिन्द महासागर, अटलांटिक महासागर, अंटार्कटिका महासागर और आर्कटिक महासागर के बारे में खास बातें
- प्रशांत महासागर पृथ्वी पर सबसे बड़ा महासागर है, पृथ्वी की सतह का यह लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है। इस महासागर की गहराई 35 हजार फुट और आकार त्रिभुजाकार है। प्रशांत महासागर में करीब 25,000 द्वीप हैं। इस महासागर को ‘शांतिपूर्ण समुद्र’ के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिमी प्रशांत महासागर में मारियाना ट्रेंच दुनिया की सबसे गहरी जगह है। इसकी गहराई समुद्री सतह से 11000 मीटर है।
- अटलांटिक महासागर क्षेत्रफल और विस्तार की दृष्टि से दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा महासागर है, इसके पास पृथ्वी का 21 प्रतिशत से अधिक भाग है। अटलांटिक महासागर का आकार अंग्रेजी के 8 की संख्या के जैसा है। इस महासागर की कुछ वनस्पतियां खुद से चमकती हैं क्योंकि यहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती। अटलांटिक महासागर में सबसे गहरा प्वाइंट प्यूर्टो रिको ट्रेंच में ब्राउनसन डीप को माना जाता है, जिसकी गहराई 8,378 मीटर है।
- हिंद महासागर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है, यह धरती का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा है। हिंद महासागर को ‘रत्नसागर’ नाम से भी जाना जाता है। यह इकलौता ऐसा महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम पर रखा गया है। हिंद महासागर में दुनिया का सबसे नमकीन सागर (लाल सागर) और सबसे अधिक गरम सागर (फारस की खाड़ी) स्थित हैं। हिंद महासागर में सबसे गहरा प्वाइंट 7,187 मीटर है, जो इंडोनेशिया के तट से थोड़ा सा दूर जावा ट्रेंच के रेंज में स्थित है।
- अंटार्कटिक महासागर चौथा सबसे बड़ा महासागर है। इसे दक्षिण ध्रुवीय महासागर और 'ऑस्ट्रल महासागर’ के नाम से भी जाना जाता है। इस महासागर में आइसबर्ग तैरते हुए देखे जा सकते हैं। अंटार्कटिका की बर्फीली जमीन के अंदर 400 से भी अधिक झीलें हैं। अंटार्कटिक महासागर में सबसे गहरा प्वाइंट 7,432 मीटर है, जो साउथ सैंडविंच ट्रेंच की रेंज में स्थित है।
- आर्कटिक महासागर पांच महासागरों में सबसे छोटा और उथला महासागर है इसे ‘उत्तरी ध्रुवीय महासागर’ भी कहते है। सर्दियों में यह पूर्णतः समुद्री बर्फ से ढका रहता है। सभी महासागरों में यह सबसे ठंडा और सबसे कम नमक वाला महासागर है। आर्कटिक महासागर में सबसे गहरा प्वाइंट लिटके दीप है, जिसकी गहराई 5,450 मीटर है। लिटके दीप आर्कटिक महासागर के यूरेशियन बेसिन में स्थित है।
- अमृता गोस्वामी