स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा को प्रोत्साहित करता है ‘विश्व साइकिल दिवस’

By अमृता गोस्वामी | Jun 03, 2021

साइकिल बचपन से हमें लुभाती आई है, इसे चलाकर बच्चे भी अपने को बड़ा समझने लगते हैं उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है। साइकिल पहले जहां सिर्फ बड़ी साइज में ही उपलब्ध थी उसे चलाने के लिए बच्चे का बड़ा होना पड़ता था वहीं अब यह बच्चे को बड़ा बनाती है। आज एक साल से लेकर हर उम्र के बच्चे के हिसाब से साइकिल बाजार में उपलब्ध हैं।

 

साइकिल चलाना न सिर्फ हमारे शारीरिक विकास के लिए बल्कि मानसिक विकास और स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। आज वातावरण में प्रदूषण और स्वास्थ्य में कमजोरी की वजह ही यह है कि अधिकतर लोगों ने सिर्फ सुख-सुविधा को ध्यान में रखा, उन्हें डीजल-पेट्रोल चलित टू-व्हीलर, फोर व्हीलर गाड़ियां जब से मिलना शुरू हुईं साइकिल को उन्होंने दरकिनार कर दिया।

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साइकिल के महत्व और इसे चलाने से स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए हर वर्ष 3 जून को ‘विश्व साइकिल दिवस’ मनाया जाता है। पिछले दो दशकों से सुविधाजनक पेट्रोल-डीजल जनित गाड़ियों की बढ़ती संख्या ने साइकिल का प्रचलन कम कर दिया जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने ‘विश्व साइकिल दिवस’ मनाने का फैसला किया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला आधिकारिक ‘अंतर्राष्ट्रीय साइकिल दिवस’ 3 जून, 2018 को मनाया गया था।  


प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय साइकिल दिवस सेलिब्रशन के लिए एक खास थीम तय की जाती है, जिसके तहत लोगों को साइकिल चलाने के फायदे, वातावरण में होने वाले इसके पॉजिटिव असर के बारे में जागरूक किया जाता है। इस साल 3 जून 2021 को ‘अंतर्राष्ट्रीय साइकिल दिवस’ को मनाने के लिए थीम यूनीकनेस, वर्सेटैलिटी, लॉन्गिविटी ऑफ द बाइसिकल एंड सिंपल, सस्टेनेबल, एफोर्डेबल मीन्स ऑफ ट्रांसपोर्टेशन’ रखी गई है। 


साइकिल के प्रयोग का विचार यूरोपीय देशों कें लोगों के दिमाग में 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आया था, जर्मनी के कार्ल वॉन ड्रैस ने इसे 1817 में बनाकर 14 किमी तक चलाया था। तब इसका रूप बिल्कुल ही अलग था, यह लकड़ी से बनी थी, इसे हॉबी हॉर्स यानि काठ का घोड़ा नाम दिया गया था। इसमें पैडल नहीं था। इसे चलाने के लिए ड्राइवर को इसकी सीट पर बैठकर पैरों को जमीन पर दौड़ना पड़ता था। साइकिल में पैर से घुमाए जाने वाले पैडल युक्त पहिए का आविष्कार सन् 1865 ई. में पैरिस निवासी लालेमेंट ने किया था। इस यंत्र को वेलॉसिपीड नाम से जाना गया। इसके पहियों के आकार की वजह से इस साईकिल पर चढ़ना काफी थकावट भरा था किन्तु फिर भी यह लोगों को बहुत पसंद आया जिसके बाद इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका में इसमें महत्वपूर्ण सुधार कर सन् 1872 में इसे सुविधाजनक रूप दिया गया। जिसमें लोहे की पतली पट्टी के तानयुक्त पहिए लगाए गए थे। इसमें आगे का पहिया 30 इंच से लेकर 64 इंच व्यास तक और पीछे का पहिया लगभग 12 इंच व्यास का था. इसमें क्रैंकों के अतिरिक्त गोली के वेयरिंग और ब्रेक भी लगाए गए थे।


ज्ञात हो साइकिल एक सरल, किफायती और सुरक्षित साधन है, जिससे शहरों में आसपास की दूरी पर आया जाया जा सकता है। घर से बाहर आने जाने वाले दिन के अपने छोटे-मोटे आसपास के कार्य यदि साइकिल पर जाकर निपटा लिए जाएं तो एक दिन में कई लीटर पेट्रोल बचाया जा सकता है।

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बात करें भारत की तो 1947 के बाद कई दशक तक साइकिल यहां यातायात का मुख्य हिस्सा रही है। दूध की सप्लाई हो या खेतों पर आना जाना साइकिल बहुत काम आई। भारत में स्कूल आते-जाते बच्चों और डाकघर से चिट्ठियां बांटते पोस्टमेन को तो आज भी भारत में साइकिल पर देखा जा सकता है। 


विशेषज्ञों के मुताबिक साइकिल चलाना सिर्फ एक फैशन या मनोरंजन नहीं बल्कि यह हमारे लिए बहुत फायदेमंद है-


-सुबह के समय साइकिल चलाने से दिनभर आप खुद को स्वस्थ महसूस करते हैं, आपकी फिटनेस बनी रहती है। यह एक अच्छा व्यायाम है।

-प्रतिदिन आधा घंटा साइकिल चलाने से पेट की चर्बी कम होती है।

- साइकिल चलाने से हमारा इम्यून सिस्टम ठीक रहता है और बीमार होने का खतरा कम होता है। इससे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और डिप्रेशन की बीमारी में फायदा मिलता है साथ ही फेफड़े, हृदय, दिमाग, मांसपेशियां और पाचन तंत्र भी दुरुस्त रहते हैं। 

- नियमित साइकिल चलाने वाले व्यक्तियों को घुटने और जोड़ों के दर्द की संभावना बहुत कम रहती है। उन्हें वजन बढ़ने की समस्या नहीं होती।

 

साइकिल के फायदे कई हैं। बढ़ते पेट्रोल के दाम आज जहां लोगों की जेबों पर भारी पड़ रहे हैं वहीं साइकिल लोगों की जेब के लिए बहुत किफायती है। परिवहन के बढ़ते साधनों के कारण अब सड़कों पर वाहन खड़ा करना भी अब एक मुसीबत की तरह लगने लगा है जबकि साइकिल रखने के लिए जगह आसानी से मिल जाती है।

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आंकड़ों को देखें तो हाल के दिनों में भारत में साइक्लिंग करने का ट्रेंड बढ़ा है। खासकर कोविड के समय में तो लोगों ने सबसे ज्यादा साइकिल खरीदी हैं। इंडिया साइकिल मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन के मुताबिक इस साल अब तक 40 लाख से ज्यादा साइकिल बिक चुकी हैं।


आज 3 जून अंतर्राष्ट्रीय साइकिल दिवस पर आइए साइकिल के महत्व को समझे और कहीं आसपास आने-जाने में इसका उपयोग कर दूसरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करें।

 

साइकिल पुरानी जरूर हुई है पर इसका महत्व कभी कम नहीं आंका जा सकता, कई लोगों में तो साइकिल चलाने का शौक इतना है कि उन्होंने इसके कई रिकार्ड भी बना डाले। नासिक के साइक्लिस्ट ओम महाजन ने हाल ही में साइकिल पर श्रीनगर से कन्याकुमारी तक की 3,600 किमी की दूरी आठ दिन सात घंटे 38 मिनट में पूरी कर रिकॉर्ड बनाया।


गौरतलब है कि सभी देशों में सरकारें भी साइकिलिंग को बढ़ावा दे रही हैं। साइकिल चालकों के लिए मुख्य सडकों पर अलग यातायात लेन बनवाई गई हैं ताकि उन्हें कोई असुविधा न हो। वहीं कई देश लोगों के अच्छे कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए साइकिल मुफ्त भी बांट रहे हैं। 


- अमृता गोस्वामी

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