By नीरज कुमार दुबे | Oct 06, 2023
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि मालदीव में चीन समर्थित मोहम्मद मुइज राष्ट्रपति चुनाव जीत गये हैं। निर्वाचित होते ही उनके कुछ ऐसे बयान भी सामने आये हैं जो भारत विरोध के रूप में देखे जा सकते हैं। इसे कैसे देखते हैं आप? इस पर उन्होंने कहा कि मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले बधाई दी और दोनों देशों के संबंधों को प्रगाढ़ बनाने का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि मोहम्मद मुइज ने अपने समर्थकों के बीच उत्साह में जो कुछ कहा है वह कुछ कुछ चुनाव प्रचार जैसा था लेकिन जब वह पद संभालेंगे तो उन्हें बहुत चीजों का पता चलेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें तब समझ आयेगा कि कैसे चीन ने मालदीव को कर्ज में फंसाने की चाल चली थी जबकि भारत ने मालदीव को उसके इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से बाहर निकाला था। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में वैक्सीन की बात हो या अन्न की या फिर आर्थिक मदद की, भारत ने कभी कोई कमी नहीं रखी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रक्षा-सुरक्षा से जुड़े सहयोग और मदद भी दो देश हमेशा आपसी सहमति से करते हैं, भारत ने कभी भी किसी देश में जबरदस्ती अपने सुरक्षाकर्मी या सैनिक नहीं तैनात किये। उन्होंने कहा कि मालदीव के नये राष्ट्रपति को पद संभालने के बाद जब यह समझ आयेगा कि चीन के साथ जाने और भारत से दूर होने पर अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देश मदद करना बंद कर सकते हैं, तो वह जरूर अपना रुख बदलेंगे। उन्होंने कहा कि मालदीव की जनता की भावना भी भारत के साथ मिलकर रहने की है इसलिए नये राष्ट्रपति को उसका ख्याल रखना ही होगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को यह भी जल्द ही समझ आ जायेगा कि भारत की मदद से जो परियोजनाएं मालीदव में चल रही हैं वह उनके देश के लिए कितनी हितकारी हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक चीन का सवाल है तो वहां के राष्ट्रपति ने भी मालदीव के साथ संबंधों को और गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि हमें ध्यान रखना होगा कि मुइज मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के करीबी सहयोगी हैं, जिन्होंने 2013 से 2018 तक राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान चीन के साथ घनिष्ठ संबंध तैयार किए थे। फिलहाल यामीन भ्रष्टाचार के मामले में 11 वर्ष की जेल की सजा काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की ओर से संभल कर कदम उठाये जाने की उम्मीद है।