Maldives-Bangladesh की तरह बदल जाएगा श्रीलंका का भी समीकरण? भारत विरोधी बयान देने के लिए मशहूर दिसानायके के कमान संभालने का क्या होगा असर

By अभिनय आकाश | Sep 23, 2024

पड़ोसी देश श्रीलंका को उसका नया राष्ट्रपति मिल गया है। मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के 1ववें राष्ट्रपति बन गए हैं। 2022 के आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में पहली बार राष्ट्रपति चुनाव हुए जिसमें अनुरा कुमारा दिसानायके ने जीत हासिल की है। श्रीलंका में इस बार राष्ट्रपति चुनाव इसलिए भी खास रहा क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ है कि पहले चरण में वोटों की गिनती में किसी भी प्रत्याशी को बहुमत नहीं मिला था। इसके बावजूद पहले चरण की गिनती में अनुरा कुमारा दिसानायके को 42 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके बाद दूसरी बार वोटों की गिरती की गई और इसमें भी दिसानायके ही जनता की पहली पसंद बनकर उभरे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि अनुरा कुमारा दिसानायके को चुनाव में जीत पर बधाई। भारत की पड़ोसी प्रथम नीति में श्रीलंका का विशेष स्थान है। मैं अपने लोगों और पूरे क्षेत्र के लाभ के लिए हमारे बहुआयामी सहयोग को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं।

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देश के इतिहास में पहली बार दूसरे राउंड की काउंटिंग

जनता विमुक्ति पेरामुना यानी जेवीपी के अनुरा कुमारा दिसायनके ने जीत हासिल की है। इस बार श्रीलंका के चुनावी मैदान में एक से एक धुरंधर थे। लेकिन इन सब के बीच एक साधारण परिवार से आने वाले दिसानायके ने जीत हासिल की है। इस बार के श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी भी प्रत्याशी को बहुमत हासिल नहीं हुआ था। दरअसल, श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के लिए 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करना जरूरी होता है। लेकिन इस बार के चुनाव में किसी भी प्रत्याशी को 50 प्रतिशत वोट मिले ही नहीं। जिसके बाद फिर से वोटों की गिनती की गई और इसमें दिसानायके जीते। 

जीत के लिए हासिल करना होता है 50 % वोट 

श्रीलंका के चुनाव आयोग के मुताबिक अगर कोई प्रत्याशी 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल नहीं कर पाता है तो मतगणना का दूसरा दौर शुरू किया जाता है। इसमें दूसरे और तीसरे वोटों के आप्शन के आधार पर निर्णय लिया जाता है। श्रीलंका चुनाव आयोग के अध्यक्ष रत्नायके ने कहा कि कुल वोटों और प्रोफेंशल वोटों की गणना के बाद नया राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित कर दिया गया है। बता दें कि श्रीलंका में कोई भी चुनाव कभी भी मतगणना के दूसरे दौर तक पहुंचा ही नहीं था। प्रथम वरीयता मतों के आधार पर ही उम्मीदवार जीत जाता था। 

नए राष्ट्रपति ने ली शपथ

अनुरा कुमारा दिसानायके ने श्रीलंका के नौंवे राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। उनसे देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और भ्रष्टाचार खत्म करने की उम्मीदें हैं। लेकिन अनुरा का चुनाव जीतना भारत के लिए किसी झटके से कम नहीं है। उन्हें चीन का समर्थक माना जाता है। अनुरा कुमारा वामपंथी विचारधारा के माने जाते हैं। जानकार बताते हैं कि इस बात की आशंका काफी ज्यादा है कि ताजपोशी के बाद दिसानायके का चीन के प्रति झुकाव ज्यादा होगा। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी जेवीपी पर 2021 में उनके अभियान के दौरान चीन की मदद के आरोप भी लगे थे। हालांकि एक इंटरव्यू में दिसानायके ने कहा था कि किसी ने दावा किया था कि मैंने विदेश यात्राओं पर 70 मिलियन रुपए खर्च किए हैं। मैंने भारत और चीन की सरकारों के निमंत्रण पर वहां का दौरा किया था। भारत और चीन की सरकारों ने ही सारा खर्च वहन किया।

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भ्रष्टाचार विरोधी संदेश और राजनीतिक संस्कृति बदलने के वादे

अनुरा कुमारा वर्तमान में कोलंबों के सांसद हैं। एकेडी नाम से मशहूर अनुरा इस वक्त दो राजनीतिक दलों का नेतृत्व कर रहे हैं। पहली पीपुल्ल लिबरेशन फ्रंट और नेशनल पीपुल्स पावर है। वो श्रीलंका में मार्क्सवादी विचारधारा वाले नेता माने जाते हैं। दिसानायके का जन्म 24 नवंबर 1968 में हुआ था। चुनाव के दौरान दिसानायके के भ्रष्टाचार विरोधी संदेश और राजनीतिक संस्कृति बदलने के वादे ने युवा मतदाताओं को आकर्षित किया जो आर्थिक संकट के बाद से राजनीतिक व्यवस्था बदलने की मांग करते रहे हैं। 

क्यों माना जाता है चीन समर्थक

अनुरा कुमारा को चीन का समर्थक माना जाता है। 21 सितंबर को मतदान के दौरान उन्होंने कहा था कि हमारे देश को एक नए राजनीतिक संस्कृति की जरूरत है। उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद 45 दिनों के भीतर संसद को भंग करेंगे। उन्होंने समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को सशक्त बनाने और विकास का वादा किया था। उनका राष्ट्रपति बनना भारत के लिए एक चुनौती हो सकती है। श्रीलंका भारत का पडो़सी देश है। अभी तक भारत और श्रीलंका के संबंध काफी अच्छे रहे हैं। इससे पहले मालदीव से भी भारत के संबंध काफी अच्छे रहे थे। लेकिन पिछले साल नवंबर में मोहम्मद मुइज्जू वहां के नए राष्ट्रपति बने। मुइज्जू का भी झुकाव चीन की तरफ ज्यादा था। इसका असर भारत मालदीव संबंध पर पिछले महीने देखने को मिला था। अब श्रीलंका में भी चीन के समर्थन दिसानायके का राष्ट्रपति पद पर आना भारत की चुनौतियां  बढ़ा सकता है। 

कैबिनेट मंत्री से राष्ट्रपति तक का सफर

2004 में दिशानायके को कृषि, पशुधन, भूमि और सिंचाई के प्रबंधन के लिए राष्ट्रपति कुमारतुंगा के तहत कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया था। हालाँकि, 2005 में सुनामी राहत समन्वय के लिए सरकार और लिट्टे के बीच के समझौते के विरोध में दिशानायके और अन्य जेवीपी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।

1987 में जेवीपी ने भारतीय सेना को आक्रमणकारी बताया था

साल 1987 में भारत-श्रीलंका समझौता के तहत भारतीय शांति सेना वहां गई थी ताकि तमिल विद्रोहियों और श्रीलंकाई सेना के बीच चल रही लड़ाई को रोका जा सके। वहीं जेवीपी ने इसे देश में बाहरी हस्तक्षेप मानते हुए काफी बखेड़ा किया था। यहां तक कि भारतीय सेना को आक्रमणकारी तक कह दिया था। आगे चलकर इस पार्टी ने भारत पर तमिल बागियों के समर्थन का भी आरोप लगाया था। उसका आरोप था कि भारत जानकर अपनी पैठ बनाए रखने के लिए विद्रोहियों को उकसा रहा है। 

अडाणी ग्रुप के प्रोजेक्ट को रद्द करने की दी थी धमकी

अनुरा ने चुनाव से पहले भारतीय कंपनी अडाणी के खिलाफ बयान देकर एक नया विवाद शुरू कर दिया था। जेवीपी नेता ने वादा किया था कि राष्ट्रपति चुनाव में जीतने के बाद वे श्रीलंका में अडाणी ग्रुप की विंड पावर प्रोजेक्ट को रद्द कर देंगे। अनुरा ने कहा था कि अडाणी प्रोजक्ट श्रीलंका की ऊर्जा संप्रभुता के लिए खतरा है। अडाणी ग्रुप ने इसी साल श्रीलंकाई सरकार से विंड पॉवर स्टेशन डेवलप करने को लेकर डील की है। इसके लिए कंपनी 442 मिलियन डॉलर (करीब 367 करोड़) निवेश करने वाली है।

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