केजरीवाल की ही चिंता करेगी पंजाब पुलिस या अपने राज्य पर भी ध्यान देगी?

By राकेश सैन | May 07, 2022

दिल्ली के भाजपा नेता तेजिन्द्र पाल बग्गा की विवादित गिरफ्तारी के बाद लगने लगा है कि बदलाव के नाम पर पंजाब में सत्तारुढ़ हुई आम आदमी पार्टी की सरकार अब बदलाखोरी की कार्रवाईयों में व्यस्त है। रोचक है कि इस तरह की कार्रवाईयां पंजाब के किसी नेता को लेकर नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल को लेकर हो रही हैं। इनसे प्रभावित लोग दिल्ली के और इनका कारण भी दिल्ली के ही मुख्यमन्त्री हैं परन्तु रणस्थल पंजाब को बनाया जा रहा है। केजरीवाल जो देश में लोकतन्त्र की चिन्ता को लेकर दिन रात दुबले पतले होते रहते हैं परन्तु पंजाब जैसे पूर्ण दर्जा प्राप्त राज्य में सत्ता में आते ही अपना असली रंग दिखाने लगे हैं। देश के इस सीमावर्ती राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार के मात्र माह-डेढ़ माह के कार्यकाल में राजनीति से प्रेरित तीन मामले दर्ज हो चुके हैं जिनके केन्द्र में केजरीवाल ही हैं। इनको देख कर पंजाब की जनता पूछने लगी है कि क्या पंजाब पुलिस (पीपी) केजरीवाल की प्राइवेट पुलिस (पीपी) बन रही है? क्या पंजाब सरकार दिल्ली की डुगडुगी पर नाचती है? 

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कश्मीरी हिन्दुओं के दुखान्त पर बनी ‘दि कश्मीर फाइल्स’ को दिल्ली में करमुक्त करने पर मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल ने संवेदनहीन बयान देते हुए कहा था कि इसे यू-ट्यूब पर डाल दो बिल्कुल मुफ्त हो जाएगी। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली इकाई के प्रवक्ता तेजिन्द्रपाल सिंह बग्गा ने मुख्यमन्त्री की कड़ी आलोचना की। इसी आलोचना से चिढ़ कर केजरीवाल की पार्टी के पंजाब प्रवक्ता सन्नी आहलूवालिया न मोहाली में बग्गा के खिलाफ केस दर्ज करवाया। उसने अपनी शिकायत में बग्गा पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, वैमनस्य को बढ़ावा देने और शत्रुता, घृणा की भावना एवं दुर्भावना पैदा करने के लिए भडक़ाऊ एवं मिथ्या बयान देने का आरोप लगाये। बग्गा और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मोहाली स्थित पंजाब राज्य साइबर अपराध पुलिस थाने में एक अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज की गई। 6 मई को पंजाब पुलिस ने कानून लांघ कर जिस तरह से बग्गा की गिरफ्तारी की वह अपने आप में अलग विवाद है।


केवल बग्गा ही नहीं, राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के ही नेता रहे कुमार विश्वास ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने खालिस्तान को लेकर देश की एकता अखण्डता पर आपत्तिजनक बात कही थी। इस पर पंजाब पुलिस ने कुमार विश्वास के खिलाफ रूपनगर कस्बे में प्राथमिकी दर्ज की। 20 फरवरी को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले कुमार विश्वास ने केजरीवाल के खिलाफ बयान दिया था। कवि कुमार विश्वास आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि केजरीवाल के अलगाववादियों के साथ संबंध थे और अलगाववादियों के साथ सहानुभूति रखने वाले लोग पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बैठकों के लिए उनके घर आते थे। रोपड़ के थाने में उनके खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153, 153-ए, 505 और अन्य के तहत मामला दर्ज किया गया है। केवल इतना ही नहीं कांग्रेस की प्रवक्ता अलका लाम्बा ने भी कुमार विश्वास के इस बयान का समर्थन किया तो उनके खिलाफ भी केस दर्ज कर लिया और अलका लाम्बा इस मामले में हाजिर हो चुकी हैं।


अपने आरोपों के लिए भाजपा नेता अरुण जेटली व अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगने वाले अरविन्द केजरीवाल अब अपने राजनीतिक विरोधियों से पुलिसिया डण्डे से निपटने की मूड में दिख रहे हैं। पंजाब में विज्ञापनों के माध्यम से मीडिया का मुंह बन्द करने का प्रयास हो रहा है तो विरोधियों को पुलिसिया कार्रवाई से डराने का। पहले पंजाब के मुख्यमन्त्री की अनुपस्थिति में राज्य के अधिकारियों से बैठक करने के हुए खुलासे और अब राजनीतिक विरोधियों पर केस दर्ज होने से लोगों में सन्देश गया है कि पंजाब के मुख्यमन्त्री ‘दि हाफ सीएम’ ही हैं, सत्ता का सही अर्थों में संचालन तो दिल्ली से हो रहा है।


व्यक्तिवादी व परिवारवादी दलों को लोकतन्त्र के लिए खतरनाक माना जाता है क्योंकि इनके सत्ता में आते ही सारी व्यवस्था खास व्यक्ति या विशेष परिवार के आसपास सिमट जाती है और वैधानिक व्यवस्थाओं का उल्लंघन होता है। अभी तक का अनुभव है कि आम आदमी पार्टी एक घोर व्यक्तिवादी दल है जो अरविन्द केजरीवाल के स्वामित्व में चलती है। इस तरह के दलों में चाहे दिखावे के तौर पर दूसरे चेहरे भी रहते हैं परन्तु ये शंख की तरह बोलते पराई फूंक से ही हैं। पंजाब में भी यही कुछ होता दिख रहा है और केजरीवाल दूसरे राज्य के मुख्यमन्त्री होते हुए भी पंजाब सरकार को अपने हिसाब से चला रहे दिखते हैं।

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कितनी रोचक बात है कि समय-समय पर देश में लोकतन्त्र, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, संघीय ढांचे पर खतरे की दुहाई देने वाले ‘रुदाली कबीले’ में सबसे आगे अरविन्द केजरीवाल जैसे लोग ही रहते हैं परन्तु सत्ता में आते ही इसके विपरीत आचरण करते हैं। केजरीवाल का व्यवहार सन्देह पैदा करता है कि लोकतन्त्र के प्रति उनके आंसू केवल घड़ियाली हैं और वास्तव में उनके मन में जनतान्त्रिक व्यवस्थाओं के लिए कोई सम्मान नहीं है। आम आदमी पार्टी चाहे इसे नई तरह की राजनीति बताती है लेकिन केजरीवाल की इन हरकतों का असर पंजाब सरकार विशेषकर मुख्यमन्त्री भगवन्त मान की लोकप्रियता पर पड़ता दिखाई देने लगा है। आज सोशल मीडिया से लेकर जनचर्चाओं तक में मान को लेकर कई तरह की बातें कही जाने लगी हैं। पार्टी के पूर्व नेता कुमार विश्वास ने ट्वीट कर पंजाब के मुख्यमन्त्री को चेता भी दिया है कि ‘मेरे ही द्वारा ‘आप’ में शामिल करवाए गए भगवन्त मान को आगाह करता हूं कि तुम दिल्ली में बैठे जिस आदमी को पंजाब के लोगों की दी हुई ताकत से खेलने दे रहे हो वह एक दिन तुम्हें व पंजाब को भी धोखा देगा।’

 

केजरीवाल दिल्ली व पंजाब के बाद देश की राजनीति में पैर पसारना चाहते हैं तो उनका स्वागत है परन्तु इसके लिए उन्हें अपने मन को बड़ा करना होगा। पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता को अपना ध्येय वाक्य बनाना होगा कि- छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता और टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।


-राकेश सैन

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