Karnataka Election 2023: PM मोदी का मैजिक रहेगा बरकरार या चलेगी सत्ता विरोध लहर, जानें राज्य में तीनों दलों की स्थिति

By अनन्या मिश्रा | May 09, 2023

कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार का शोर बीते सोमवार से खत्म हो चुका है। बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस ने इस हाई वोल्टेज अभियान में पूरी ताकत झोंक दी। एक ओर कई चुनावी सर्वे राज्य में कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर बता रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर जेडीएस एक बार फिर से किंग मेकर बनने की उम्मीद संजोए है। आइए जानते हैं कि राज्य में चुनाव-प्रसार पर ब्रेक लगने के बाद आखिर तीनों राजनीकित दलों को राज्य में क्या स्थिति हैं। 


मोदी मैजिक पर भरोसा

भाजपा द्वारा चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में पीएम नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने कमान संभालने का काम किया। पूरे राज्य में पीएम मोदी ने अकेले 20 से ज्यादा रैलियां कीं। इसके अलावा पीएम मोदी के द्वारा बेंगलुरु में दो दिनों के मेगा रोड शो से बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की गई। पीएम ने इस रोड शो के जरिए तकरीबन 25 विधानसभा सीटों को कवर किया। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की दो चूक को भी भुनाना नहीं भूले। 

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पीएम मोदी ने खुद पर किए गए पहले हमले पर पलटवार कर कांग्रेस पर निशाना साधा तो वहीं कांग्रेस द्वारा बजरंग दल पर बैन लगाने के वादे पर पीएम ने भावनात्मक रूप से जनता से जुड़ने की मुहिम चलाई। पीएम मोदी ने आखिरी के दस दिन के प्रचार में अपने हर भाषण की की शुरुआत बजरंग बली की जय से की। वहीं केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भी कांग्रेस पर 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण को लेकर निशाना साधा। फिलहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि मुस्लम आरक्षण को लेकर बोम्मई सरकार का फैसला वोटों में कितना बदल पाता है। राज्य में 1985 से लेकर अब तक कोई भी राजनीतिक दल रिपीट नहीं हुआ है। ऐसे में बीजेपी फिर से इतिहास रचने की उम्मीद लगा रही है।


कांग्रेस को 5 गारंटी से उम्मीद

पार्टी का कभी गढ़ रहे राज्य में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता वापसी की आस लगाए हैं। आखिरी दौर में पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों के बाद भी कांग्रेस पार्टी के नेताओं को अपनी 5 गारंटियों पर पूरा भरोसा है। बीजेपी सरकार के खिलाफ कांग्रेस मजबूत सत्ता विरोधी लहर की उम्मीद है। कांग्रेस को उम्मीद है कि भ्रष्टाचार और महंगाई जैसे मुद्दों को वह सरकार के खिलाफ भुनाने में कामयाब रहेगी। कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ अपने अभियान में स्थानीय मुद्दों को तवज्जो दी है।


इसके अलावा कांग्रेस की ओर से राज्य की बोम्मई सरकार पर कुशासन और भ्रष्टाचार पर फोकस किया गया है। हालांकि पार्टी ने चुनाव के अंतिम दौर में दो गलतियां की हैं। जिनमें पहली गलती मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा पीएम मोदी की तुलना जहरीले सांप से करना तो वहीं दूसरी गलती घोषणा पत्र में बजरंग दल पर बैन की बात लाना। राजनीतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो अभी इसके चुनावी असर को लेकर एक राय नहीं हैं। वहीं सोनिया गांधी ने चार साल बाद हुबली में पहली रैली कर अपनी पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ाने का काम किया है।


क्या जेडीएस बन पाएगी किंगमेकर

कर्नाटक के चुनावी जंग में तीसरा और सबसे अहम खिलाड़ी जेडीएस को माना जा रहा है। पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा और उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव की तैयारियां की थीं। लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के महामुकाबले में जेडीएस पिछड़ी दिखाई गी। वहीं चुनाव के अंतिम दौर में भी देवगौड़ा और कुमारस्वामी की सेहत खराब होने के कारण पार्टी का चुनाव प्रचार फीका लगा। उत्तर कर्नाटक पर जेडीएस की अच्छी संभावनाएं थी। लेकिन वहां पर भी पार्टी अपना फोकस नहीं बना पाई। हालांकि जेडीएस को उम्मीद है कि वह अच्छी संख्या में सीटों पर जीत दर्ज करेगी। ऐसे में यदि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बनती है। तो साल 2018 की तरह जेडीएस पार्टी एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका निभा सकती है।


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