पेरिस में हमारे पहलवान जीत पाएंगे सोना? अभी तक कांस्य व रजत पदक से ही करना पड़ा है संतोष

By आदर्श प्रकाश सिंह | Jul 26, 2024

कुश्ती भारत का परंपरागत और एक जाना पहचाना खेल है। गांव मुहल्लों में आज भी नागपंचमी के दिन अखाड़ों में पहलवान उतरते हैं। ओलंपिक खेलों में हॉकी के बाद भारत को सबसे ज्यादा उम्मीद कुश्ती से रहती है। देश की आजादी के बाद जो ओलंपिक हुआ उसमें भारत को पहला व्यक्तिगत पदक कुश्ती में ही मिला था। हमारी हॉकी टीम को तो पदक मिल रहे थे लेकिन कोई अकेला खिलाड़ी पदक जीतने में नाकाम हो रहा था। आखिरकार 23 जुलाई 1952 वह ऐतिहासिक दिन था जब महाराष्ट्र के सतारा के पांच फुट छह इंच लंबे केडी जाधव ने हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीत लिया। जाधव को ओलंपिक में भेजने के लिए गांव वालों ने चंदा एकत्र किया तो उनके कॉलेज के पूर्व प्राचार्य खारडिकर ने अपना घर गिरवी रख कर उन्हें 7000 रुपये उधार दिए थे। 72 साल पहले की यह घटना हर भारतवासी को रोमांच से भर देती है। जाधव को मरणोपरांत 2001 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।


जाधव के बाद ओलंपिक में भारत को बहुत दिनों तक कोई पदक नहीं मिला। फिर 2008 के बीजिंग ओलंपिक से यह सिलसिला शुरू हुआ है जो अभी तक जारी है। तब सुशील कुमार ने देश को कांस्य पदक दिलाया था। लंदन ओलंपिक−2012 में योगेश्वर दत्त को कांस्य पदक मिला जबकि सुशील कुमार ने रजत पदक हासिल किया। पहली बार कुश्ती में भारत को दो पदक मिले। अगला ओलंपिक 2016 में ब्राजील के शहर रियो डी जनेरियो में आयोजित हुआ। इसमें महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कांस्य पदक जीता। एक विवाद की वजह से सुशील कुमार रियो नहीं जा सके। उनकी जगह नरसिंह यादव को भेजा गया लेकिन दुर्भाग्य से डोपिंग के केस में वह फंस गए। इस वजह से वह रिंग में उतरे ही नहीं।

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टोक्यो− 2020 ओलंपिक के खेल 2021 में हुए। कुश्ती में रवि कुमार दहिया और बजरंग पूनिया ने देश की लाज रख ली। दहिया ने रजत और बजरंग ने कांस्य पदक जीत कर देश का मान बढ़ाया। ओलंपिक में  हमारे पहलवानों को पदक तो मिल रहे थे लेकिन अभी तक किसी ने भी स्वर्ण पदक नहीं जीता है। पेरिस में यह आस पूरी होगी कि नहीं, यह देखने की बात है। पिछले कुछ साल में दिल्ली में पदक विजेता पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के खिलाफ लंबा आंदोलन चला कर माहौल खराब कर दिया। उनके निशाने पर संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह थे। आखिरकार सिंह को पद छोड़ना पड़ा। 


अब आइए पेरिस ओलंपिक 2024 की बात करते हैं। इसमें हिस्सा लेने के लिए भारत के छह पहलवान पेरिस गए हैं। इनमें पांच तो बेटियां यानी महिला पहलवान हैं। पुरुषों में केवल एक पहलवान अमन सेहरावत 57 किलोग्राम भार वर्ग में अपना भाग्य आजमाएंगे। वह पहली बार ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर अपना हुनर दिखाने को तैयार हैं। पिछले 24 साल में यह पहला मौका होगा जब सिर्फ एक भारतीय पुरुष पहलवान ओलंपिक में चुनौती पेश करेगा। जाहिर है, पहलवानों और भारतीय कुश्ती महासंघ के बीच करीब डेढ़ साल तक चली खींचतान के चलते इस खेल को काफी नुकसान हुआ है। इससे पहले केवल दो बार वर्ष 2000 में गुरविंदर सिंह और 1996 में पप्पू यादव ही ऐसे अकेले पहलवान थे जो ओलंपिक में खेलने गए थे। जहां तक महिला पहलवानों की बात है तो 29 वर्षीया विनेश फोगाट को सबसे बड़ी उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। वह पहले भी ओलंपिक में जा चुकी हैं लेकिन पदक हासिल नहीं कर सकी हैं। दो बार क्वार्टर फाइनल तक जाकर वह आगे नहीं बढ़ पाईं। कामनवेल्थ गेम्स में विनेश लगातार तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली अकेली भारतीय रेसलर हैं। भारतीय दल में विनेश के बाद 22 साल की अंशु मलिक को भी ओलंपिक में खेलने का अनुभव है। टोक्यो में पहले दौर में हार के बाद अंशु को रेपचेज में पदक जीतने का मौका मिला था लेकिन वह हार गई थी।


अंतिम पंघाल एक और महिला पहलवान हैं जो पहली बार ओलंपिक में खेलेंगी। वह दो बार जूनियर विश्व चैम्पियन बनने वाली देश की पहली महिला पहलवान हैं। पहली बार रिकॉर्ड पांच भारतीय महिला पहलवान ओलंपिक में चुनौती पेश करेंगी। रोहतक की रीतिका हुड्डा 76 किग्रा भार वर्ग में उतरने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान होंगी। उन्होंने पिछले साल एशियन चैम्पियनशिप में 68 किग्रा में रजत पदक जीता था। रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक की शागिर्द निशा दहिया अपने गुरु की राह पर चल कर पेरिस में पदक जीतना चाहेंगी।

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