By अनुराग गुप्ता | Aug 24, 2021
काबुल। अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह ने तालिबान के खिलाफ मोर्चा संभाल रखा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अफगानिस्तान को तालिबानिस्तान नहीं बनने देंगे। मुल्क में अफगानी भाई-बहनों का पहला हक है। दरअसल, 15 अगस्त को काबुल में तालिबान की एंट्री के साथ ही राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया और संयुक्त राष्ट्र अमीरात चले गए। जिसके बाद उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह ने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया।
अंग्रेजी न्यूज चैनल 'इंडिया टुडे' के साथ बातचीत में अमरूल्ला सालेह ने तालिबान के दावे को खारिज कर दिया। दरअसल, तालिबान ने दावा किया था कि उसके लड़ाकों ने पंजशीर के कुछ हिस्सों में अपना कब्जा कर लिया है। जिसे सालेह ने सिरे से खारिज कर दिया। दरअसल, पंजशीर के लोग तालिबान के सामने घुटने टेकने को तैयार नहीं हैं और वह उनका डटकर मुकाबला कर रहे हैं।
तालिबान ने 34 में से 33 प्रांतों में कब्जा कर लिया है लेकिन पंजशीर को नहीं जीत पाए हैं। ऐसे में अमरूल्ला सालेह ने उन्हें पंजशीर को जीतने की चुनौती दी थी। अमरूल्ला सालेह खुद पंजशीर घाटी से आते हैं और वहीं से तालिबानियों के खिलाफ मोर्चाबंदी की हुई है। उनके साथ अहमद मसूद भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।सालेह ने बताया कि इस समय हर कोई अहमद मसूद के साथ खड़ा है वो अपने पिता की तरह ही तालिबान के खिलाफ लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं भी यहां पर ही हूं और हम सभी एकजुट हैं। हमने तालिबान पर सबकुछ छोड़ दिया है। अगर वो जंग चाहते हैं तो जंग होगी और अगर बातचीत चाहेंगो तो शांति के साथ बातचीत करेंगे।