By अंकित सिंह | Jan 12, 2024
क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 22 जनवरी को अयोध्या जाएंगे या नहीं? राम मंदिर के मूर्ति स्थापना समारोह में शामिल होने का फैसला उनका अपना होगा। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने को यह बात कही, जिससे सस्पेंस और बढ़ गया। आपको बता दें कि अधिकांश विपक्षी नेताओं ने 22 जनवरी के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है। इनमें कांग्रेस की सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, सीपीआई (एम) के सीताराम येचुरी शामिल हैं। कांग्रेस ने इसे 'बीजेपी-आरएसएस का कार्यक्रम' बताते हुए न जाने का ऐलान किया है।
क्या नीतीश भी सोनिया-अखिलेश की तरह अयोध्या जाने से इनकार कर देंगे या जेडीयू का रुख सहयोगी दलों से अलग होगा? इस सवाल पर त्यागी ने कहा, 'मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष के तौर पर नीतीश जी को निमंत्रण नहीं मिला है। मिलने पर फैसला नीतीश जी को करना है और हम आपको उनके फैसले से अवगत करा देंगे।' 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अयोध्या में रामलला की मूर्ति स्थापित की जाएगी। उस कार्यक्रम में बीजेपी और आरएसएस के तमाम बड़े नेता शामिल होंगे। इसके अलावा देश-विदेश की मशहूर हस्तियों को भी आमंत्रित किया गया है। विपक्षी दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया। हालाँकि, उनमें से अधिकांश ने 22 जनवरी के कार्यक्रम से दूर रहने का फैसला किया।
जदयू ने अपने कार्य करने की बैठक के बाद साफ तौर पर कहा था कि वह अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होगी। हालांकि जिस तरीके से विपक्ष के कई नेताओं ने से दूरी बनाई है उसके बाद जदयू के स्टैंड में थोड़ा ठहराव जरूर दिखाई दे रहा है। इसी को लेकर बिहार सरकार के बड़े मंत्री अशोक चौधरी कभी बयान आया है। उन्होंने कहा है कि जदयू और नीतीश कुमार भगवान राम में पूरी आस्था रखते हैं। नीतीश कुमार अयोध्या जाएंगे या नहीं जाएंगे, इस पर फैसला खुद मुख्यमंत्री को करना है। यह उनका अधिकार क्षेत्र है। दिलचस्प बात यह भी है कि नीतीश कुमार 21 जनवरी को श्री राम जानकी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का उद्घाटन करेंगे जो की समस्तीपुर में है।
कांग्रेस के जयराम रमेश ने भाजपा और आरएसएस पर चुनावी लाभ के लिए मंदिर स्थापना को एक 'राजनीतिक परियोजना' बनाने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने 'अधूरे' मंदिर के उद्घाटन को लेकर सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए। अन्य विपक्षी दलों के विपरीत, जद (यू) ने पहले भी मंदिर उद्घाटन में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की थी। जेडीयू प्रवक्ता ने कहा था, 'राम सबके हैं। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। अगर नीतीश 22 जनवरी को अयोध्या जाने का फैसला करते हैं तो इससे I.N.D.I.A के सहयोगी नाराज हो सकते हैं। विपक्षी गठबंधन के ज्यादातर दलों ने इसे 'राजनीतिक कार्यक्रम' बताकर इससे दूरी बना ली है। हालाँकि, इससे बीजेपी को विपक्षी दलों को 'हिंदू विरोधी' कहने का एक और मौका मिल गया है।