By अभिनय आकाश | Nov 22, 2022
काशी कहो, बनारस या फिर वाराणसी, गंगा की पवित्रता बसती है जहां दिलों को छू देने वाली प्रकृति का मनमोह लेने वाला नजारा है वहां। भगवान शिव के त्रिशूल पर टिके सबसे प्राचीन नगर वाराणसी में जहां काशी विश्वनाथ मंदिर से आती मंगला आरती की ध्वनियां और इनमें घुलता हुआ घंटियों का मधुर संगीत। इन्हीं ध्वनियों को सुनकर आदिकाल से वाराणसी जागता रहा है। लेकिन वाराणसी की गंगा आरती की तरह पश्चिम बंगाल में भी शाम के वक्त ऐसी आरती देखने को मिल सकती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता नगर निगम (केएससी) के अधिकारियों को वाराणसी की गंगा आरती की भांति यहां भी आरती के लिए हुगली नदी पर घाटों के निर्माण पर विचार करने का निर्देश दिया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के अधिकारियों को वाराणसी की गंगा आरती की भांति यहां भी आरती के लिए हुगली नदी पर घाटों के निर्माण पर विचार करने का निर्देश दिया। हालांकि, उन्होंने इसके लिए हड़बड़ी नहीं करने का निर्देश दिया। उन्होंने उनसे हुगली नदी के तट पर ऐसी जगह ढूंढ़ने को कहा, जहां गंगा आरती की शुरुआत की जा सके। बनर्जी ने राज्य सचिवालय में एक बैठक में कहा, ‘‘ हड़बड़ी करने की कोई जरूरत नहीं है, भले ही इसमें दो साल लग जाएं। लेकिन व्यवस्था सुरक्षित बनायी जानी चाहिए। ’’ संयोग से कोलकाता में हुगली नदी के दोनों तटों का , पश्चिम बंगाल में 2011 में ममता बनर्जी की सरकार सत्ता में आने के बाद, पुनरोद्धार एवं सौंदर्यीकरण किया गया। हजारों तीर्थयात्री एवं आम लोग वाराणसी में दसाश्वमेध घाट पर गंगा आरती देखने जाते हैं।
वाराणशी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती हमेशा से आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र रही है। देश के हर कोने से बनारस आने वाले पर्यटक शाम के वक्त होने वाली गंगा आरती में शामिल होने के लिए घाट पर जरूर पहुंचते हैं। जहां कई लोग घाट पर गंगा आरती में शामिल होते नजर आते हैं तो वहीं कई ऐसे भी हैं जो दूसरी तरफ नाव में बैठकर इसे तस्वीरों में कैद करते हैं। देश ही नहीं विदेश से आने वाले पर्यटक भी इसे देखकर काफी हर्षित होते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में गंगा की 13 सहायक नदियों के तटों पर गंगा आती शुरू करने की योजना बन चुकी है। सीएम योगी की तरफ से नमामि गंगे योजना के आयोजनों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को इस संबंध में दिशा निर्देश दिए गए।